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Saturday, February 9, 2013

अजमल-अफजल के बाद किसका नम्बर ?

नई दिल्ली: आतंकवाद पर सख्ती बरतने के अपने इरादों को अमलीजामा पहनाते हुए सरकार ने अजमल कसाब के बाद अफजल गुरू को फांसी के फंदे पर लटका दिया है. सरकार के इस फैसले का पूरे देश ने स्वागत किया है. इसके साथ ही अब ये सवाल भी उठने लगे हैं कि अगली बारी किसकी? आतंकी गतिविधियों में फांसी की सजा पाए बाकी लोगों को कब फांसी होगी? फांसी की सजा पाने की कतार में खड़े लोगों पर एक नजर..
भुल्लर : रायसीना पर बम ब्लास्ट का दोषी
11 सितंबर 1993 को दिल्ली के रायसीना रोड स्थित यूथ कांग्रेस के दफ्तर के बाहर आतंकवादियों ने कार बम धमाका किया था. इसमें 9 लोगों की मौत हो गई थी और 35 लोग घायल हुए थे. पटियाला हाउस कोर्ट में बने टाडा कोर्ट ने 25 अगस्त 2001 को इस मामले के मुख्य अभियुक्त देविंदर पाल सिंह भुल्लर को फांसी की सजा सुनाई. सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च 2002 को फांसी की सजा पर मुहर लगा दी. इसके बाद भुल्लर ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की. राष्ट्रपति ने 27 मई 2011 को दया याचिका खारिज कर दी. इसी दौरान भुल्लर के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर फांसी की सजा कम किए जाने की गुहार लगाई, जो अभी पेंडिंग है.
राजोआना : बेअंत सिंह की हत्या का दोषी
पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में बलवंत सिंह राजोआना को फांसी की सजा सुनाई गई थी. 31 अगस्त 1995 को बेअंत सिंह जब चंडीगढ़ में सचिवालय में अपने दफ्तर से बाहर निकले तो आत्मघाती हमलावर दिलावर सिंह ने उन्हें विस्फोट में मार डाला. घटना में 17 और लोग मारे गए थे. दिलावर के विफल रहने की स्थिति में राजोआना दूसरे मानव बम के तौर पर हमले के लिए तैयार था.
चंडीगढ़ में विशेष सीबीआई कोर्ट ने राजोआना और जगतार सिंह हवारा को बेअंत सिंह हत्याकांड में 1 अगस्त 2007 को फांसी की सजा सुनाई थी. तीन दूसरे आरोपी को बेअंत सिंह की हत्या की साजिश रचने के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई, जिनमें लखविंदर सिंह, गुरमीत सिंह और शमशेर सिंह हैं. राजोआना ने न तो फैसले के खिलाफ अपील की और न ही कोई दया याचिका दाखिल की. हवारा को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया था. उसने फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की थी.
अशफाक : लाल किले पर हमले का दोषी
22 दिसंबर 2000 को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने लालकिले पर हमला किया था. इस मामले में अशफाक उर्फ आरिफ को गिरफ्तार किया गया. दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2005 को अशफाक को फांसी की सजा सुनाई. फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. हाई कोर्ट ने 13 सितंबर 2007 को अशफाक की सजा बरकरार रखी. फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त 2011 को अशफाक की फांसी की सजा बरकरार रखी.
राजीव गांधी के हत्यारों संथन, मुरुगन और पेरारिवलन
राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी करार दिए गए संथन, मुरुगन और पेरारिवलन को 1998 में फांसी की सजा सुनाई गई थी. इन्हें 9 सितंबर 2011 को फांसी पर लटकाया जाना था लेकिन इनकी ओर से हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया कि इनकी दया याचिका के निपटारे में 11 साल लगे हैं और ऐसे में इन्हें फांसी की सजा दिया जाना सही नहीं होगा. 11 अगस्त 2011 को राष्ट्रपति ने इनकी दया याचिका खारिज कर दी थी. इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
sabhar shrinews.com

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