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Monday, February 11, 2013

बसेड़ा गैंगरेप में पांच को आजीवन कारावास, सभी चौदह आरोपी दोषी करार

दो महिलाओं सहित एएनएम को भी दी सजा

मानवता को शर्मसार करने वाला था गैंगरेप: न्यायाधीश

मुजफ्फरनगर (अलर्ट न्यूज)। जनपद के चर्चित बसेडा गैंगरेप कांड में सोमवार को अपर जिला सत्र न्यायधीश चतुर्थ आरपी सिंह ने सभी चौदह आरोपियों को दोषी ठहराया है। दोषी ठहराये गये आरोपियों में से पांच आरोपियों को गैंगरेप में तीन महिलाओं को अपहरण और साक्ष्य मिटाने के आरोप में दोषी ठहराते हुए उन्हें कारावास एवं आर्थिक दंड की सजा सुनाई। विद्वान न्यायाधीश आरपी सिंह ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्तगणों से वसूली गयी जुर्माना राशि की आधी धनराशि दुष्कर्म की पीड़िता को दी जाये। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि ऐसी लड़की के साथ जिसका कोई भी दोष पूरे प्रकरण में नहीं था जबरदस्ती बलात्कार कर वीभत्स एवं मानवता को शर्मसार करने वाला गम्भीर अपराध कारित किया है इसलिए अभियुक्तगण के खिलाफ उदारता का दृष्टिकोण अपनाये जाने का प्रश्न ही नहीं उठता।

अपर जिला सत्र न्यायाधीश चतुर्थ आरपी सिंह की अदालत में लगभग एक दशक पुराने चर्चित बसेड़ा गैंगरेप कांड के निर्णय को सुनने के लिए कचहरी परिसर के अंदर भारी संख्या में पक्ष विपक्ष के लोग मौजूद रहे। इस दौरान सुरक्षा की दृष्टि से कचहरी परिसर के साथ अदालत में विशेष सुरक्षा प्रबंध किये गये। अदालत ने आज गैंगरेप के आरोपी जुल्लू उर्फ जुल्फकार को तीन वर्ष की सजा व तीन हजार रूपये का जुर्माना, रियासत को तीन वर्ष की सजा व दो हजार रूपये जुर्माना, इजराइल को सात वर्ष की सजा व आठ हजार रूपये जुर्माना तथा इंतजार को तीन वर्ष की सजा व चार हजार रूपये जुर्माना के अलावा अपहरण व बलात्कार की गंभीर धाराओं में आरोपी अभियुक्त जुबेर के अलावा मेहताब, हिफजू उर्फ हिफजुर्रहमान, शमशाद व अनीस अहमद मास्टर को आजीवन कारावास व बीस-बीस हजार रूपये के जुर्माना की सजा सुनाई। इसके अलावा श्रीमति रूखसाना को सात वर्ष की सजा व छह हजार रूपये जुर्माना, श्रीमति अफसर जहां को सात वर्ष की सजा व दस हजार रूपये का जुर्माना, मुस्तफा को तीन वर्ष की सजा व तीन हजार रूपये जुर्माना व मुख्त्यार राही को तीन वर्ष की सजा व तीन हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई गई इसके अलावा बलात्कार की शिकार युवती के टांके लगाने वाली एएनएम श्रीमति शशिप्रभा को तीन वर्ष की सजा व दो हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। विद्वान न्यायाधीश आरपी सिंह ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्तगणों से वसूली गयी जुर्माना राशि की आधी धनराशि दुष्कर्म की पीड़िता को दी जाये।
गौरतलब है कि 9 अक्टूबर 2003 को जनपद के छपार थाना क्षेत्र के गांव बसेड़ा में पन्द्रह वर्षीय किशोरी के साथ गैंगरेप किया गया था इस मामले में पुलिस ने ग्यारह लोगों के विरूद्ध अपहरण, बलात्कार आदि के आरोप में अदालत में चार्जशीट भेजी थी। बाद में पीड़िता के बयान और गवाहों के बयान के आधार पर अदालत ने पांच और लोगों के नाम आरोपियों में जोड़ दिये गये। इस तरह सोलह आरोपियों के खिलाफ अदालत में यह मामला चला जिनमें दो आरोपियों को नाबालिग घोषित कर दिया गया था। उनकी सुनवाई अभी किशोर न्यायालय में विचाराधीन है।
बसेडा गैंगरेप कांड का वादी रविंद्र कुमार अपने परिवार के साथ आरोपी इजराइल के मकान में किराये पर रहता था। उसके भाई देवेंद्र के मकान मालिक की लड़की के साथ प्रेम संबंध बन गये थे और वह कथित तौर पर इजराइल की लड़की को भगाकर ले गया था। इस मामले में इजराइल ने अपनी बेटी के अपहरण की रिपोर्ट भी दर्ज करायी थी। इसके बाद नौ अक्टूबर को इजराइल पक्ष के कुछ युवकों ने बदला लेने की इरादे से रविंद्र की नाबालिग बहन का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। यही नहीं आरोपियों ने रविंद्र के घर में घुसकर उसके परिवार के साथ भी मारपीट की थी। दुष्कर्म के बाद सभी आरोपी पीड़िता को बेहोशी की हालत में छोड़कर भाग गये थे। उसे बेहोशी की हालत में ही थाने ले जाया गया था। सरेआम हुए इस घटनाक्रम से बाजार में भी उस समय भगदड़ मच गयी थी। अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जितेंद्र त्यागी ने इस चर्चित गैंगरेप कांड में कुल चौदह गवाह पेश किये। न्यायाधीश आरपी सिंह ने पूर्व में हुई दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए विभिन्न धाराओं में दोषी मानते हुए आरोपियों को अलग-अलग आजीवन कारावास, सात वर्ष और तीन वर्ष की सजा के साथ आर्थिक दंड भी की सजा सुनाई है।
न्यायाधीश आरपी सिंह ने अपने आदेश में माना है कि इस प्रकार एक ऐसी लड़की के साथ जिसका कोई भी दोष पूरे प्रकरण में नहीं था जबरदस्ती बलात्कार कर वीभत्स एवं मानवता को शर्मसार करने वाला गम्भीर अपराध कारित किया है इसलिए अभियुक्तगण के खिलाफ दंड के सम्बन्ध में उदारता का दृष्टिकोण अपनाये जाने के पात्र नहीं है। वहीं दूसरी ओर न्यायधीश आरपी सिंह ने अपने आदेश में आरोपियों की उपयुक्त सभी सजाएं साथ-साथ चलने का आदेश देते हुए सजा की उक्त अवधि में आरोपियों द्वारा अभियोग में अन्वेषण, जांच एवं विचारण के दौरान कारागार में अभिरक्षा में बिताई गयी अवधि को समायोजित करने के भी निर्देश दिये। एसओ सिविल लाईन कमल यादव भारी पुलिस बल व पीएसी जवानों के साथ सजा सुनाने के बाद आरोपियों को जिला कारागार लेकर गये।
जब पुलिसकर्मी सभी आरोपियों को न्यायालय से बाहर ला रही थी तीनों महिलाओं की आंखों में आंसू थे जबकि एक आरोपी ने पत्रकारों को कहा कि वह बेकसूर है और उन्हें अकारण ही फंसाया गया है। आरोपियों ने उक्त निर्णय को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही।

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