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Friday, August 31, 2012

पूर्व केन्द्रीय मंत्री काशीराम राणा का हार्ट अटैक से निधन

अहमदाबाद. बीजेपी के दिग्‍गज नेता रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री काशीराम राणा का आज दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। अहमदाबाद के एक अस्‍पताल में उन्‍होंने आखिरी सांस ली।
केंद्र में एनडीए के कार्यकाल में कपड़ा मंत्री रहे राणा ने बीते दिनों गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी से नाता तोड़ लिया था। राणा ने पूर्व मुख्यमंत्री केशूभाई पटेल के साथ मिलकर गुजरात परिवर्तन पार्टी बनाई और अगला विधानसभा चुनाव बीजेपी के खिलाफ लड़ने का ऐलान किया था।
राणा अपनी नई पार्टी की बैठक के सिलसिले में अहमदाबाद में थे। रात करीब डेढ़ बजे उन्हें छाती में दर्द महसूस हुआ। इसके बाद उन्‍हें शहर के यू एन मेहता अस्‍पताल ले जाया गया। अस्‍पताल में उन्‍हें मृत घोषित कर दिया गया।

दाल खाने के चक्कर में

यज्ञ शर्मा 
मुंबई ठाकुर साहब का दामाद आया है। घर की मुर्गी बहुत खुश है। उसकी जान बच गयी। सास दामाद को दाल बना कर खिलाएगी। इ़ज़्ज़त का सवाल है। दामाद की खातिर अच्छी होनी चाहिए ताकि उसे लगे कि ससुराल में उसकी पूरी इ़ज़्ज़त होती है। जिन सम्पन्न घरानों में यह कहावत आम तौर पर कही जाती थी− घर की मुर्गी दाल बराबर, आज उन घरानों में इस कहावत का इस्तेमाल वर्जित है− दाल की बेइ़ज़्ज़ती होती है। दामाद जब अपने घर लौटा तो महीने भर तक अपनी ससुराल के गुण गाता रहा, ''मैं जितने दिन रहा, सास जी ने रोज़ दोनों टाइम दाल बना कर खिलायी। नाश्ते में भी दालमोठ ज़रूर होती थी।''
मध्यम वर्गीय परिवार में रिश्ते की बात चल रही है। लड़के वाले इस बात पर बड़ा ज़ोर दे रहे हैं कि बारातियों की खातिर अच्छी होनी चाहिए। खाने में दाल ज़रूर होनी चाहिए। जब लड़के के पिता ने यह बात तीसरी बार कही तो लड़की का पिता चुप न रह सका, ''समधी जी, हम अपनी ओर से कोई कसर नहीं रखेंगे। लेकिन एक बात आपको तय करनी है, आपको दहेज चाहिए या दाल?''
मेरे जैसे लोग, जिन्हें मु़फ्त की पार्टियों में जाने का अच्छा अनुभव है, वे जानते हैं कि बुफ़े में सबसे लम्बी लाइन चिकन के डोंगे के आगे लगती है। पांच के बाद छठे आदमी के लिए एक टुकड़ा भी नहीं बचता। अब यही हाल दाल का होने वाला है।
सेठ जी के घर में खाना बनाने वाली महाराजिन दाल भिगो रही थी। उसने देखा किसी का ध्यान नहीं है तो चुपके से दाल का एक दाना उठा कर अपनी अंटी में खोंस लिया। लेकिन सेठानी की नज़र से यह बात छिपी न रही। सेठ लोग ऐसे ही सेठ नहीं बन जाते। चोरी पकड़ी गयी तो नौकरानी गिड़गिड़ाने लगी, ''मेरा बेटा बहुत छोटा है। नासमझ है। बार−बार पूछता है− माई, दाल कैसी होती है? सोचा ले जा कर एक दाना दिखा दूंगी। खा नहीं सकता, देख तो ले।'' सेठानी दयालु थी, बोली, ''ठीक है। आज तो छोड़ देती हूं। आगे ऐसा नहीं होना चाहिए।''
एक समय, एक कहावत बनायी गयी थी− भूखे जन न होय गोपाला। उसके जवाब में कहा गया− दाल रोटी खाओ, प्रभु के गुन गाओ। भूखे जन न होय गोपाला' वाली कहावत आज भी इस्तेमाल की जाती है। लेकिन कोई 'दाल रोटी खाओ, प्रभु के गुन गाओ' नहीं कहता।
सुबह−सुबह पत्नी बोली, ''दाल खत्म हो गयी है।'' मैं तब तक नहाया नहीं था। रात को जो कपड़े पहन कर सोया था, वही मुसे हुए कपड़े पहन कर किराने की दुकान पर चला गया। अरहर की दाल की ओर इशारा करके पूछा, ''कैसे दी?'' दुकानदार ने अपनी दाल की ओर देखा, फिर मेरे मुसे हुए कपड़ों पर नज़र डाली और बोला, ''बोहनी के वक्त मूड मत खराब करो। जो लेना है उसका भाव पूछो।'' फिर वह अपने नौकर पर चिल्लाया, ''कितनी बार बोला, दाल यहां एकदम सामने मत रख! लोग बेकार में भाव पूछ कर टाइम खराब करते हैं।''
समय बदलता है। हालात बदलते हैं। भाषा भी बदलती है। साधारण स्थिति का दामाद, अपनी साधारण स्थिति की ससुराल में पहुंचा। सास ने पूछा, ''कुंवर जी क्या खाओगे ?'' दामाद बोला, ''दाल।'' सास ने पूछा, ''दाल?'' ''हां, कोई भी दाल।'' तब साली से नहीं रहा गया, ''जीजाजी, ज़रा आईने में शक्ल देख ली होती− ये मुंह और कोई भी दाल!'' आजकल मूंग भी मसूर से कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। जो कहावत की चतुराई का प्रतीक हुआ करती थी, आजकल वह समाज में आपकी स्थिति का प्रतीक बन गयी है। पहले लोग कहते थे− तुम डाल−डाल, हम पात−पात। आजकल कहते हैं− तुम दाल−दाल, हम घास−पात।
आज हर गरीब के घर में यह यक्ष प्रश्न गूंज रहा है− दाल कैसी होती है?! मज़दूर की बीवी ने बेटे के सामने एल्यूमिनियम की मुड़ीतुड़ी थाली रख दी। बेटे ने रोटी का एक कौर तोड़ कर मुंह में डाला और पूछा, ''अम्मां, यह दाल क्या होती है?'' मां तुरंत टोकते हुए बोली, ''बेटा, धीरे बोल। कहीं बाज़ार सुन न ले। वरना वह जान जाएगा कि हम लोग एक वक्त रोटी खा लेते हैं।'
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इन पांच कारणों से थमा देश का विकास

 
निवेश का बुरा हाल: पिछले 3 सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश की स्थिति काफी खराब रही है। अप्रैल 2012 को खत्म तिमाही में पिछले वर्ष की तुलना में एफडीआई में 41 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट का आंकड़ा सिर्फ 185 करोड़ डॉलर ही रहा है। इससे भारत में उद्योगों की हालत लगातार पतली होती जा रही है। इसका नुकसान आम आदमी को महंगाई के रूप में झेलना पड़ रहा है
वित्तीय घाटा अब भी बड़ी समस्या: अर्थव्यवस्था की रफ्तार में आई मंदी के चलते अब भी वित्तीय घाटा यूपीए-2 सरकार की सबसे बड़ी मुसीबत बना हुआ है। 2010-11 में 4.9 फीसदी रहे वित्तीय घाटे का ग्राफ 2011-12 में बढ़कर 6 फीसदी के काफी करीब है। इन सबके बीच ऐसा नहीं है कि सरकार के पास पैसे नहीं है, बल्कि असल कारण तो विकास संबंधी फैसले लेने में सरकार की सुस्ती है। 
जनता के पैसे से मंत्रियों का विदेशी टूर: आर्थिक बदहाली के बावजूद मई 2009 से लेकर जून 2011 के बीच यूपीए-2 सरकार के मंत्रियों ने 751 बार विदेशी यात्राएं की हैं। इस पर हुआ सारा खर्च आम आदमी की जेब से गया है। इस पैसे का इस्तेमाल कर अर्थव्यवस्था को थोड़ी मजबूती देने के लिए भी किया जा सकता था। मंत्रियों के विदेश दौरों का हिसाब लगाएं तो उन सभी ने 2 साल में कुल मिला कर 3000 दिन विदेश में बिताए। सबसे ज्यादा (51 बार) विदेशी टूर विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने किया है। सरकार की ओर से किफायत बरतने के निर्देश के बावजूद सरकारी खर्च का ग्राफ ऊपर ही जा रहा है। बढ़ा करंट अकाउंट डेफिसिट, रुपया भी लुढ़का: यूपीए के शासन काल में देश का करंट अकाउंट डेफिसिट भी कई गुना बढ़ चुका है। 2006-07 में 1000 करोड़ डॉलर रहा यह आंकड़ा अब 2011-12 में 7000 करोड़ डॉलर को भी पार कर चुका है। यानी 5 साल में यूपीए सरकार ने भारत के सिर 6000 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त घाटा लाद दिया है। इस घाटे की भरपाई को लेकर सरकार की ओर से किए गए सारे प्रयास सीधे आम आदमी की जेब पर डाका डालने का काम करते हैं। उधर, पिछले 3 सालों में डॉलर के मुकाबले रुपया भी 30 फीसदी तक कमजोर हुआ है।

वित्‍त वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही में देश की विकास दर में केवल 0.2 फीसदी का मामूली इजाफा हुआ है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था फिर बुरी तरह आहत हुई है। यूपीए-2 के शासनकाल में लगातार विकास दर कम हुई है और आम आदमी की हालत बद से बदतर हुई है। 2009 से लेकर अब तक लगातार वित्तीय घाटा बढ़ रहा है। महंगाई आसमान पर है। नौकरियों का सूखा-सा पड़ने लगा है। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार दम तोड़ता दिख रहा है। आम जनता की क्रय शक्ति न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है
2004-09 के दौरान औसतन 8 फीसदी की दर से विकास करने के बाद भारत को अब यूपीए-2 के कार्यकाल (2009-12) में 6 फीसदी विकास दर हासिल करने में भी पसीने छूट रहे हैं। आखिर क्‍या है इसकी वजह?

बढ़ा नौकरियों का अकाल, घटी सैलरी: खराब अर्थव्यवस्था, बदहाल निवेश और लचर नीतियों के चलते पिछले 3 सालों में नौकरियों का भी अकाल पड़ गया है। एक सर्वे के मुताबिक 2009 से अब तक प्राइवेट कंपनियों ने हर साल करीब 20 से 50 फीसदी तक छंटनी की है। वहीं, सरकारी महकमे में भी अधिकतर मंत्रालयों ने नौकरी देने की रफ्तार काफी सुस्त कर दी है। इतना ही नहीं, नौकरियों के घटने के साथ-साथ सैलरी में भी 50 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है। कई बड़ी-बड़ी कंपनियों ने हजारों की संख्या में लोगों को काम से निकाला है।

कृषि पर कम ध्‍यान: 2012-13 की पहली तिमाही में विकास दर में हुए मामूली इजाफे में अहम रोल कृषि सेक्टर का है। और सरकार इस सेक्‍टर पर सबसे कम ध्यान दे रही है। आलम यह है कि इंडस्ट्री के खराब प्रदर्शन और उपेक्षा के बावजूद कृषि की बेहतरी से विकास में इन दोनों क्षेत्रों की भागीदारी का अंतर भी लगभग खत्म होता जा रहा है। 2012-13 की पहली तिमाही में यह अंतर केवल 0.7 फीसदी ही बचा है, जो अब तक भारतीय अर्थव्यवस्था में कम ही दिखा है। 
चेतावनी को अनसुना करना: वर्ल्ड बैंक से लेकर इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसियों तक सभी ने भारत की साख पर सवाल उठाते हुए अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। हाल ही में वर्ल्ड बैंक ने भारत में महंगाई को लेकर गंभीर चिंता जताई है। वहीं, कई एजेंसियों ने भारतीय कंपनियों की कर्ज रेटिंग को नकारात्मक बताकर अर्थव्यवस्था की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। आरबीआई गवर्नर ने भी भारतीय बैंकिंग प्रणाली से लेकर अर्थव्यवस्था तक सभी में सुधार को जरूरी बताते हुए चेतावनी जारी की है। लेकिन सरकार ने तो महंगाई पर काबू पा रही है और न ही रुपये की कीमत को थाम पा रही है।
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कल से पूरे 30 दिन के लिए बदल जाएगी सबकी किस्मत, जानें कब क्या होगा


कल से पूरे 30 दिन के लिए बदल जाएगी सबकी किस्मत, जानें कब क्या होगाजानिए अगले महीने में कब क्या होगा आपके साथ? आने वाले 30 दिन कैसे रहेंगे आपकी राशि के लिए? राशि अनुसार जानें अगले महीने में किन लोगों की किस्मत बदलने वाली है? पढि़ए सितंबर का राशिफल 

सितंबर महीने का राशिफल


मेष- सितंबर का शुरुआती समय घरेलू समस्याओं को हल करने में बीतेगा परन्तु जो उत्साह पैसों के लेकर रहेगा उससे आपको प्रसिद्धि मिलेगी। इस समय मंगल तुला में और बुध सिंह राशि में रहेगा और महीने के कुछ दिन कन्या में भी रहेगा। जो आपको थोड़ा मेहनत करने पर मजबूर करेगा। मानसिक तनाव हो सकता है। आपका जनसम्पर्क तेजी से बढ़ेगा तथा प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी। व्यवसाय में वृद्धि हो या कोई पद मिले ऐसी संभावना बनती है। यह महीना ऋण वृद्धि का भी रहेगा। सम्बन्धों के लिए समय अनुकूल है परन्तु लव लाइफ में थोड़ा सावधान रहें। व्यक्तिगत रिश्तों में भी सावधानी बरतें क्योंकि स्वाभिमान के कारण कोई तनाव आ सकता है। सितम्बर के अंतिम समय में व्यावसायिक यात्राओं से बाहर जा सकते हैं। इसका लाभ तुरंत सामने आएगा। इस समय वात-विकार बढ़ेंगे और एक या दो दिन खराब हो सकते हैं। 
वृष- इस महीने के पहले सप्ताह में जितना अधिक व्यय होगा, माह के मध्य के बाद दैनिक आय में बढ़ोत्तरी होगी और भागीदारी के काम में भी आपको सफलता मिलेगी। दाम्पत्य जीवन में कुछ अनुकूलता आएगी और निरन्तर चल रही निराशा के बीच में भी कुछ दिन बहुत अनुकूल जाएंगे। महीने के तीसरे सप्ताह में सितारे अत्यंत अनुकूल हो जाने से अचानक धन लाभ के संकेत हैं या वस्त्र, आभूषण इत्यादि पर बड़ा खर्चा करेंगे। यह समय लम्बी यात्राओं से लाभ उठाने का है तथा दु:स्साहस पूर्ण लिए गए किसी निर्णय के कारण आप कोई बड़ा फायदा उठाएंगे। अविवाहित लोगों के लिए थोड़ा सा अनुकूल समय है। प्रोफेशनल्स के लिए भी यह अच्छा समय है, जब वे नए व्यावसायिक रिश्ते बना सकते हैं। यदि आप कॉलेज के छात्र हैं तो सावधान रहें क्योंकि यह प्रेम सम्बन्धों की शुरुआत का समय हो सकता है और जरा सा भी भावुक निर्णय हुआ तो आगे चलकर पछताना पड़ेगा।
 मिथुन- यह महीना अपेक्षाकृत ठीक जाएगा क्योंकि सूर्यदेव महीने के बीच में राशि बदलने के बाद अनुकूल हो जाएंगे। जीवनसाथी से पैसों का सहयोग मिलेगा। मौसमी बीमारियां होने के योग है। भूमि और भवन सम्बन्धी लाभ मिलने के योग है। इस महीने में जायदाद संबंधित विषय सामने आएंगे। महीने के शुरुआती सप्ताह में घर के किसी बड़े सदस्य को रोग का सामना करना पड़ सकता है। सावधान रहें। महीने के दुसरे सप्ताह में वाहन संबंधित खर्च हो सकते हैं। इस समय पुराने पारीवारिक मामले सामने आ सकते हैं। इस महीने में आपको वाणी पर सयंम रखना होगा नहीें तो बिजनेस और कार्यक्षैत्र में बाधा आएगी। छोटे भाई-बहनों के लिए समय अच्छा रहेगा। पारीवारिक आर्थिक समस्या हल होगी। बिगड़े हुए काम बनेंगे और घरेलु सामानों पर खर्च होगा। इस समय पदोन्नति के मामलों में बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है क्योंकि कोई न कोई ऐसा व्यक्ति है जो आपकी उन्नति नहीं चाहता और आपकी राह में परेशानी बन सकता है।
कर्क- सितम्बर का माह शुभ परिणाम लेकर आया है जिसमें आपके आर्थिक लाभों की बढ़ोत्तरी होगी। बड़े भाई या बहिन के लिए श्रेष्ठ समय चल रहा है और उन्हें आर्थिथ्र्य पैदा होगी। इस समय शुक्र पुन: कर्क राशि में आकर आपकी यश वृद्धि करेंगे। इससे पुन: आर्थिक लाभों की योजनाओं को बढ़ाने पर कार्य होंगे। इस समय बाहरी स्रोतों से आय बढ़ जाएगी, यात्राएं बहुत बढ़ेंगी और जो निर्यात का कार्य करते हैं या जिक लाभ होंगे उनके दाम्पत्य जीवन में अच्छी बातें आएंगी और शारीरिक कष्टों से मुकाबला करने की सामनका निजी आय यात्रा करने पर आधारित है उन्हें लाभ होगा। इस समय रक्त स्त्राव या रिक्त विकार हो सकते हैं तथा दाम्पत्य जीवन में आ रही कड़वाहट कम करने में भी मदद मिल सकती है।
सिंह- महीने के पहले सप्ताह में उधार वसूली, कानूनी विवाद या टेण्डर आदि के कामों से लाभ मिलेगा। प्रतिस्पर्धी से व्यवसाय हासिल करने के लिए काम करना पड़ेगा। माह के दूसरे सप्ताह में समस्याएं हल होने लगेंगी और आपका कार्य कौशल फल देने लगेगा। तनावों में कमी आने लगेगी और न केवल शत्रु झुकेगा बल्कि आप अपनी योजनाओं को समय से पूरा करने में सफल हो जाएंगे। इस समय जीवनसाथी के कार्य क्षेत्रों में उपलब्धि होगी और उनकी सफलता का प्रतिशत बढ़ेगा। इस समय आप बौद्धिक कार्यों में ज्यादा सफल होंगे। यह भाग्य बढऩे का समय है और जमीन, मकान सम्बन्धी कोई निर्णय आप इस समय कर सकते हैं। यह ऋणों के पुनर्भुगतान के लिए भी शानदार समय है। जिन लोगों के लिए विवाह सम्बन्धों की बातें चल रही हैं, उन्हें सावधानी से काम लेना चाहिए और कार्यक्रमों को थोड़ा स्थगित कर सकते हैं। कुछ दिन बाद यह कार्य करने में कोई हर्ज नहीं। माह का अंतिम सप्ताह धन प्रदायक है। इसमें कई स्रोतों से धन प्राप्त होगा। आपके काम बनेंगे, उधारी भी वसूल होगी और नई उधारी के लिए भी कोशिश कर सकते हैं।
कन्या- इस समय यात्राएं कष्टकारक हो सकती हैं। चिंताओं का समय बना रहेगा। आपका व्यय अधिक होगा और उसके मुकाबले आय नहीं होगी। सितम्बर के दूसरे सप्ताह में भी ऐसी ही स्थितियां रहेंगी परन्तु आय में वृद्धि होगी। इस समय आपके पुत्र का काम भी बहुत श्रेष्ठ रहेगा और वह अपने परीक्षा में या व्यावसायिक कार्य में अच्छी प्रगति करेंगे। सितम्बर के दूसरे पक्ष में आपकी कुछ चिंताएं बढ़ जाएंगी और मंगल का प्रभाव बढऩे से स्वभाव में उग्रता आएगी। अपने आप ही कुछ चिड़चिड़ापन आने लगेगा। यह समय आजीविका क्षेत्रों में श्रेष्ठ रहेगा और संभवत: कार्य का दबाव आपको परेशान करेगा। सितारों के असर से पिता के कामकाज में वृद्धि होगी परन्तु स्वास्थ्य की दृष्टि से कुछ सावधानी बरतने की आवश्यकता है। सितम्बर का अंतिम सप्ताह शानदार रहेगा। यदि आप किसी को अपने दिल की बात बताना चाहते हैं तो उसके लिए यह समय उत्तम है। पति-पत्नी के बीच संबंध सामान्य रहेंगे। आपकी लवलाईफ के लिए यह समय ठीक रहेगा।
तुला- माह के पहले सप्ताह में आपकी कार्यशैली में परिवर्तन आएगा और आप बहुत अधिक घंटे काम करेंगे। आय बढ़ेगी, काम बढ़ेगा और आप जोखिम लेकर काम करेंगे। दु:स्साहसपूर्ण फैसले करेंगे। सूर्य और मंगल के कारण कार्यशैली बदलने के संकेत हैं। दूरस्थ यात्राएं फल देंगी और राजकीय सम्बन्धों से भी आय बढ़ेगी। आपको कोई आकस्मिक आय हो सकती है या किसी चीज में आपकी हिस्सेदारी का प्रतिशत बढ़ जाएगा। महीने के बीच में ग्रह स्थिति और सुधर रही है और कोई स्रोतों से आय होगी। बुध के कारण अचानक लाभ मिलेगा। बृहस्पति और बुध के कारण लाभ हो सकता है। इस समय आप कोई ट्रेडिंग या मार्केटिंग का कार्य करेंगे तो ज्यादा लाभ होगा। दूरस्थ यात्राएं भी करनी पड़ सकती है परन्तु किसी कानूनी विवाद से सावधान रहें। माह का तृतीय सप्ताह भाग्य बढ़ाने वाला है तथा अनपेक्षित आय कराएगा। इस समय लाभ की मात्रा अधिक होगी। राजकीय लोग आपकी मदद करेंगे। घर में सुख-उपयोग की वस्तुएं बढ़ेंगी। काली कमाई करने से कोई कष्ट आ सकता है। माह का अंतिम सप्ताह कुल मिलाकर शुभ जाएगा और आपको पद सम्बन्धी या सेवा सम्बन्धी लाभ कराएगा। इस समय वाहन सुविधा में सामान्य सी कमी आएगी परन्तु भाग्यबल के कारण आर्थिक लाभ बढ़ेगा। तामसी वृत्तियों में वृद्धि होगी और कमाए हुए धन का अनुचित प्रयोग करने की प्रेरणा मिलेगी
वृश्चिक- माह का पहला सप्ताह अजीब-सा रहेगा, जबकि शुभ और अशुभ परिणाम एक साथ मिलेंगे। इस समय आप काफी अधिक श्रम करेंगे और अब तक किए गए कार्यों को लाभ में बदलने की चेष्टा करेंगे। आपका जनसम्पर्क भी उच्च कोटि का होगा, परन्तु आर्थिक लाभ उस कोटि का नहीं होगा, जैसा कि आप चाहते हैं। आरोप-प्रत्यारोप के वातावरण में भी आप बहुत कार्य करेंगे और परिस्थितियों को यथा संभव अपने अनुकूल बना लेंगे। महीने के मध्य तक अपनी प्रतिभा के बल पर आप कोई न कोई कार्य ऐसा कर डालेंगे जिससे आगे चलकर आपको लाभ मिलेंगे। इस समय ग्रह स्थितियां आपके अनुकूल चल रही हैं। जिस कार्य में हाथ डालेंगे, सफलता मिलेगी। किसी विवाद या कानूनी समस्या का समाधान हो जाएगा। कुछ परेशानी में जरूर रहेंगे। भूमि सम्बन्धी किसी गणित को आप हल कर लेंगे और उससे आर्थिक लाभ उठाने में सफल हो जाएंगे। सितम्बर के अंतिम सप्ताह में छोटे भाई या बहन की समस्या चरम पर होगी और आप उनकी तरफ से चिंतित रहेंगे। 
धनु- इस महीने में आपकी ग्रह स्थिति बदल रही है और लग्न के स्वामी महीने की शुरुआत मेेें ही अच्छा फल देने वाले रहेंगे। इस कारण आपके उत्साह में वृद्धि होगी, धनार्जन बढ़ेगा, भूमि या वाहन लेने की इच्छा प्रबल हो जाएगी। माता का सुख बढ़ेगा और जन्म स्थान की यात्रा कर सकते हैं। माह के मध्य में आपकी आय बढ़ेगी। सितारे अनुकूल हो जाएंगे और शुभफल प्रदान करेंगे। भाग्यवृद्धि होगी, ससुराल पक्ष में लाभ होगा एवं उनका रोजगार अच्छा चलेगा। आपके घर में थोड़ा-थोड़ा कलह रहेगा। परन्तु तीसरे सप्ताह में परिस्थितियां काफी कुछ आपके अनुकूल हो जाएंगी और आपको आर्थिक लाभ होगा। माह के अंतिम भाग में आपकी यश-प्रतिष्ठा बढ़ेगी, स्वभाव में तेजी आएगी, संतान के लिए शुभ समय होगा, घर से दूरस्थ यात्राएं होंगी व माता को शारीरिक कष्ट हो सकता है। महीने के अंतिम दिनों में ऋण का दबाव तो बहुत रहेगा, परन्तु धन लाभ की मात्रा बढऩे लग जाएगी। पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी। संतान का समय बहुत शुभ है। आप अपने स्वभाव में नरमी लाएं। शांति से कार्य करने पर आपके अनुकूल परिणाम आएंगे। धन प्राप्ति के साधन बढ़ेंगे और एक या दो व्यवसाय में आप हाथ डाल सकते हैं। माता के स्वास्थ्य की चिंता करें, क्योंकि अंतिम सप्ताह में वे क्रोध और परेशानियों से घिरी रहेंगी। 
मकर- महीने की शुरुआत एक तरफा धन देने वाली रहेगी। दूसरी तरफ व्यय भी अधिक होंगे। यह बहुत अधिक सावधानी बरतने वाला समय है, क्योंकि आपके थोड़े से भी प्रयास धन प्राप्ति करा सकते हैं। इस समय कई स्रोतों से लाभ प्राप्ति हो सकती है। जमीन-जायदाद से सम्बन्धित बड़े निर्णय भी अमल में ला सकते हैं। गृह कलह बढ़ सकता है। समझौते के रूप में किए गए कई कार्य निष्फल सिद्ध हो जाएंगे। खानदानी मामलों में आपको अपनी भूमिका सीमित कर लेनी चाहिए। संतान की तरफ से कुछ चिंतित रहेंगे परन्तु फिर भी यह समय शुभ फल देने वाला है। आजीविका क्षेत्रों के षडयंत्र अब आपको पीड़ा नहीं देंगे। घर में किसी मंगल कार्य में कोई विघ्न नहीं आ जाए, इसके लिए आपको प्रयास करना चाहिए। उच्च पद-प्रतिष्ठा के अवसर हैं और आपको आए हुए किसी अवसर को नहीं त्यागना चाहिए। जीवनसाथी के नाम से किए गए व्यवसाय में लाभ होगा। कहीं-कहीं गलतफहमी परेशानी दे सकती है। आने वाले प्रस्तावों को संदेह की दृष्टि से नहीं देखें, क्योंकि आने वाले निर्णय आपको अनंत लाभ की ओर ले जा सकते हैं। 
कुंभ- माह के शुरुआत में आपकी इच्छाकूल कार्य होंगे। सावधान रहें किसी व्यर्थ के विवाद में फँसना पड़ सकता है, वह विवाद कानूनी भी हो सकता है लेकिन आपके विरुद्ध कुछ नहीं होगा। इस समय आपको सितारों का साथ मिलेगा। किसी न किसी मार्ग से धन आएगा जो कि अनुमान से अधिक होगा। इस समय आप कई आध्यात्मिक उपायों पर भी कार्य करेंगे जिससे आपको लाभ होगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में इजाफा होगा। कुछ समय शांति में बीतेगा। माह के बीच मेें जब सूर्य देव राशि बदलकर कन्या राशि में जाएंगे तब आपको अधिक सावधान रहने की जरूरत है। लोगों के साथ अधिक तालमेल बैठाने की जरूरत है। इस समय अचानक कलह होने के योग बनेंगे। मानसिक चिंता कोई काम नहीं करने देगी। यह स्वास्थ्य सम्बन्धी सामान्य कष्टों का समय है, जिसे आप आसानी से झेल लेंगे। किसी भूमि या भवन से सामान्य या आर्थिक लाभ संभावित हैं 
मीन- सितम्बर का पहला सप्ताह घरेलू समस्याओं को हल करने में बीतेगा। जीवनसाथी के लिए समय अच्छा रहेगा। जीवनसाथी के सितारे आपको लाभ देने वाले रहेंगे। आपका जन सम्पर्क तेजी से बढ़ेगा और आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। आपके व्यवसाय में वृद्धि होने के योग है और कोई उच्च पद प्राप्त होने के भी योग बन रहे हैं। इस महीने में ऋण लेना पड़ सकता है। इस महीने में आप पर कोई बड़ी जिम्मेदारी आ सकती है। सितारों के अनुसार आपको अचानक पद और धन प्राप्ति हो सकती है। सितम्बर का अंतिम भाग आपके लिए अशुभ फल देने वाला हो सकता है। महीने के आखिरी दिनों में कुछ कलह का वातावरण रहेगा और भागीदारी के मामलों में कुछ मन मुटाव उभर कर सामने आ सकते हैं। व्यक्तिगत रिश्तों में भी सावधानी बरतें क्योंकि स्वाभिमान के कारण कोई तनाव आ सकता है। सितम्बर के अंतिम भाग के एक या दो दिन खराब हो सकते हैं। 
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नेपाल में विदेशी षड्यंत्रों पर भारत की चुप्पी

 News Delhi.पिछले दिनों नेपाल से दो वरिष्ठ नेता भारत आये और विभिन्न राष्ट्रीय राजनैतिक दलों के भारतीय नेताओं से भेंट की। उनकी वार्ताओं से यही निष्कर्ष निकला कि विश्व में अपनी हिन्दू पहचान के प्रति अभिमानी एकमात्र संवैधानिक हिन्दू राष्ट्र नेपाल सेकूलर रास्ते के छलावे में आकर न केवल हिन्दू राष्ट्र पद गंवा बैठा बल्कि एक अँधेरी लोकतान्त्रिक राह पर चल पड़ा जहाँ आज इस महान देश में उसके इतिहास का सबसे बड़ा संवैधानिक संकट आ खड़ा हुआ है। गत बारह वर्षों से वहां संसद के चुनाव नहीं हुए हैं, लगभग पंद्रह वर्षों से पंचायत के चुनाव लंबित हैं, आज वहां कोई चुनी हुई सरकार नहीं है, विभिन्न दल आपस में नेपाल के हित के लिए भी एकमत नहीं हो पा रहे हैं, मंत्रिमंडल केवल राष्ट्रपति और कार्यकारी प्रधानमंत्री की सलाह पर बना है, बजट पेश नहीं किया जा सकता इसलिए वोट आन अकाउंट से ही काम चलाना पड़ रहा है, और उस पर विदेशी पश्चिमी शक्तियाँ तथा चीन वहां की स्थिति का अपने अपने ढंग से लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं।
वहां अब यह प्रश्न पूछा जा रहा है कि भारत के सेकूलर वामपंथियों के प्रोत्साहन तथा नेपाली माओवादियों के दबाव में जब नेपाल को उसके हिन्दू राष्ट्र पद से मुक्त करने का संवैधानिक कदम उठाया गया था तो बड़े जोर−शोर से उस कदम को नेपाल के विकास, लोकतंत्र के सशक्तिकरण इत्यादि से जोड़ा गया था। लेकिन क्या उसके बाद नेपाल का विकास बढ़ा? क्या नेपाल में लोकतंत्र का आदर्श रूप दिखा? क्या नेपाल से हिन्दू राष्ट्र पद समाप्त करने का जश्न मनाने वाले वहां के संविधान और नेपाली जनता की भावनाओं के अनुरूप एक स्थाई सरकार दे पाए? हिन्दू राष्ट्र पद समाप्त होने के बाद क्या नेपाली जनता अधिक सुखी और समृद्ध हुई? उलटे सब कुछ पहले से भी ज्यादा बिगड़ गया। लोकतान्त्रिक झगड़े अधिक बढ़े, राजनीतिक दलों में अविश्वास और मतभेद गहरे हुए, नेपाल एक भयानक आर्थिक संकट और बेरोजगारी के भंवर में फंस गया, संविधान सभा का गठन होने के बाद बार−बार उसकी अवधि बढ़ाई गयी फिर भी नया संविधान नहीं बन पाया, और जिस देश भारत के साथ नेपाल के विश्व में सर्वाधिक आत्मीय और प्रगाढ़ सम्बन्ध थे उसी देश के साथ सर्वाधिक कटुता और विरोध शुरू हो गया। भारत के तिरंगे का अपमान ही नहीं नेपाली मीडिया में भारत विरोध एक फैशन बन गया है और उसके विपरीत चीन, पाकिस्तान और बंगलादेश के प्रति एक अनापेक्षित लगाव दिखने का चलन चला है। यह स्थिति तब है जबकि नेपाली जनता और भारतीय जनता के बीच अभी भी आत्मिक सम्बन्ध कायम हैं, फिर भी चीन और पाकिस्तान के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं कहा जाता और भारत से सर्वाधिक सहायता प्राप्त करने के बावजूद भारत विरोध राजनीतिक और मीडिया के लाभ का विषय माना जाता है।
इस परिस्थिति में नेपाल में पश्चिमी शक्तियाँ अपना प्रभाव बढ़ाने की होड़ में हैं। इनमें सबसे खतरनाक ईसाई मिशनरी कार्य है जो हालैंड, जर्मनी, नार्वे, स्वीडन, अमरीका और ब्रिटेन के चर्चों द्वारा सहायता प्राप्त है। नेपाल में पचास हजार से ज्यादा एनजीओ तो पंजीकृत हैं और इतने ही गैर पंजीकृत एनजीओ की संख्या है। वहां के पहाड़ी क्षेत्रों और अब मधेशी प्रभाव के तराई क्षेत्रों में भी बहुत बड़ी संख्या में सामान्य हिन्दुओं के धर्मान्तरण का सतत प्रयास चल रहा है। एक अनुमान के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों में तीस प्रतिशत हिन्दू नेपाली ईसाई बन चुके हैं। धन तथा बढ़ती संख्या के प्रभाव से वे अब वहां की राजनीति को भी प्रभावित करने की स्थिति में आ गए हैं। यानि वह नेपाल जो पशुपतिनाथ की छत्रछाया में था अब धीरे−धीरे क्रास के साए में लाया जा रहा है।
उधर माओवादी बड़ी संख्या में अपने पूर्व गुरिल्ला सैनिकों को नेपाल की नियमित सेना में भर्ती करने के लिए प्रयास में आंशिक तौर पर सफल हो गए हैं। नेपाल के साथ हमारी लगभग सत्रह सौ किमी लम्बी सीमा है जो खुली है। वहां जाने के लिए अभी भी पासपोर्ट या वीसा की आवश्यकता नहीं होती। वहां आमतौर पर हमारी करेंसी बाजार में स्वीकार की जाती है। वहां के गोरखा हमारी फौज के शानदार सैनिक बनते हैं और माओवादी हिंसा के एक संक्षिप्त दौर के अलावा उनकी भरती बराबर जारी है। हमारे वरिष्ठ सैनिक अधिकारी हर वर्ष वहां की सौजन्य यात्रा पर जाते हैं और उससे भी बढ़कर, नेपाली समाज के साथ हमारे रोटी बेटी के सभ्यतामूलक सम्बन्ध हैं जो रिश्ता भारत और नेपाल के बीच है, वह भारत का किसी और देश के साथ नहीं है। हमारा धार्मिक और सांस्कृतिक ताना−बाना हमें बहुत गहराई के साथ एक दूसरे से जोड़ता है।
पर सत्य यह भी है कि नेपाल एक संप्रभुता सार्वभौमिक राज्य सत्ता है और उसकी सामरिक स्थिति के कारण अन्य देशों की भी नेपाल में रणनीतिक दिलचस्पी बढ़ी है। माओवादियों का उभार, चर्च संगठनों की अचानक बाढ़, पश्चिमी देशों की अरबों रुपये की डॉलर की सहायता, इन सबका नेपाल के जनजीवन और राजनीति पर बहुत तीव्रता से असर हो रहा है।
भारत अपनी ही राजनीतिक समस्याओं और भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध में रमा हुआ दिखता है। ऐसी स्थिति में क्या हम नेपाल के प्रति अपने कर्तव्य को भूल जाएंगे और वहां विदेशी शक्तियों के खेल को नजर अंदाज करते हुए अपनी सीमा पर एक और बांग्लादेश जैसी परिस्थिति निर्मित होने देंगे? नेपाल में वही होना चाहिए जो नेपाल की जनता चाहती है और जो उसकी संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करे। इसके लिए भारत का यह कूटनीतिक धर्म है कि वह नेपाल का पूरा बंधु भाव के साथ सहयोग करे।
sabhar तरुण विजय prabhasakshi.com

आशा भोंसले ने दी राज ठाकरे को चुनौती

आशा भोंसले ने दी राज ठाकरे को चुनौतीमुंबई. उत्‍तर भारतीयों के खिलाफ टिप्‍पणी के चलते सुर्खियों में रहने वाले एमएनएस चीफ राज ठाकरे को मशहूर गायिका आशा भोंसले ने चुनौती दी है। आशा भोंसले ने कहा है कि एमएनएस की धमकी के बावजूद वे एक निजी टीवी चैनल पर जल्द प्रसारित होने वाले रिएलिटी शो में हिस्सा लेंगी
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फेसबुक अकाउंट बना जंजाल, लड़की की जिंदगी हुई मुहाल!

नई दिल्ली। अशोक विहार थाना पुलिस ने युवती की नकली फेसबुक प्रोफाइल बनाकर उसे बदनाम करने वाले वसीम अकरम को गिरफ्तार किया है। 
पुलिस के मुताबिक आरोपी ने फेसबुक पर नकली प्रोफाइल बनाकर युवती से पहले दोस्ती की। लेकिन युवती को जब उसकी सच्चाई का पता चला तो उसने आरोपी से दूरी बना ली। वसीम ने युवती के समक्ष शादी का प्रस्ताव भी रखा जिसे पीड़िता ने ठुकरा दिया।
इससे गुस्साए वसीम ने फेसबुक पर पीड़िता की नकली प्रोफाइल बना डाली और उसे बदनाम करने लगा। पुलिस के मुताबिक आरोपी ने पीड़िता की मां से ऐसा न करने के एवज में पांच लाख रुपए की रंगदारी भी मांगी। परेशान पीड़िता ने मामले की सूचना पुलिस को दी।
कार्रवाई करते हुए पुलिस ने वसीम को गिरफ्तार कर लिया। पीड़िता को एसएमएस करने में इस्तेमाल मोबाइल फोन, एक मेमोरी कार्ड और कंप्यूटर की हार्डडिस्क पुलिस ने बरामद कर ली है।
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अब टिकट घोटाला में फंसेगा कांडा

नई दिल्ली। एयर होस्टेस गीतिका शर्मा खुदकुशी मामले के मुख्य आरोपी हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा की मुश्किल और बढ़ने वाली है। उसके खिलाफ झारखंड में एमडीएलआर एयरलाइंस का एजेंट रहा एक शख्‍स कोर्ट गया है। कोर्ट ने ऑर्डर दे दिया है कि कांडा के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया जाए।
कांडा फिलहाल अस्‍पताल में है। उसे हाई ब्लड प्रेशर के चलते रोहिणी जेल के अंदर बने हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। जेल प्रवक्ता सुनील गुप्ता ने बताया कि बुधवार शाम को कांडा की तबीयत अचानक बिगड़ गई। फिलहाल उसका इलाज चल रहा है। अस्पताल में उसके साथ उसका एक भतीजा मौजूद है।
कांडा को पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है। पुलिस कस्टडी के दौरान भी कई बार उसका ब्लड प्रेशर बढ़ गया था और थाने में ही डॉक्टर की व्यवस्था करनी पड़ी थी। उसके वकीलों के अनुरोध पर रोहिणी जिला अदालत ने भी उसे जेल के अंदर दवाइयां ले जाने की इजाजत दी थी।

अरुणा की न्यायिक हिरासत बढ़ी

गीतिका सुसाइड मामले में कांडा की सह-आरोपी अरुणा चड्ढा की रोहिणी जिला अदालत ने गुरुवार को न्यायिक हिरासत की अवधि को 12 दिन के लिए बढ़ा दिया है। अरुणा को अब 11 सितंबर को कोर्ट में पेश किया जाएगा। कांडा की न्यायिक हिरासत भी 11 सितंबर को ही खत्म होगी। 11 सितंबर को दोनों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई होगी। 14 दिन की न्यायिक हिरासत खत्म होने के बाद अरुणा को गुरुवार को एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट देवेंद्र कुमार जांगला की अदालत में पेश किया गया। यहां पुलिस ने कोर्ट को बताया कि मामले की जांच अभी जारी है, जिसके बाद अरुणा की न्यायिक हिरासत की अवधि को 12 दिन के लिए बढ़ा दिया गया।
 गीतिका ने सुसाइड नोट में गोपाल कांडा और अरुणा द्वारा नौकरी दोबारा ज्वाइन करने का दबाव बनाने की बात कही थी। इसके बाद आठ अगस्त को अरुणा को गिरफ्तार कर लिया गया था। 16 अगस्त को अरुणा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। 
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दहेज कानून से रिश्तेदार होंगे बाहर!

 
नई दिल्ली. किसी भी महिला की ओर से दहेज प्रताडऩा के आरोप में भाई-बहन, परिजनों और रिश्तेदारों को केंद्र सरकार की ओर से बड़ी राहत मिलने वाली है। दहेज कानून में प्रस्तावित संशोधन के मसौदे के अनुसार कोई भी पीडि़त महिला दहेज के नाम पर सिर्फ पति और सास-ससुर पर ही आरोप लगा सकेगी। ससुराल पक्ष के अन्य रिश्तेदारों पर दहेज कानून के तहत आरोप नहीं लगाया जा सकेगा। 

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने इस नए संशोधन के मसौदे को जल्द ही कैबिनेट में मंजूरी के लिए पेश करने वाला है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने भास्कर से खास बातचीत में कहा, 'अक्सर दहेज प्रताडऩा के मामलों में पीडि़ता अपने पति और सास-ससुर के अलावा उन सभी रिश्तेदारों का भी नाम शामिल करा देती है, जिनका फसाद से कुछ लेना देना नहीं होता। कई बार तो पूरे परिवार को ही दहेज मामले में बेवजह परेशान करने की नीयत से नाम जोड़ दिया जाता है।' कृष्णा तीरथ ने बताया कि मंत्रालय ने विभिन्न घटकों से ढेरों बैठकों के बाद फैसला किया है कि दहेज कानून में बदलाव कर सिर्फ पीडि़ता के पति और अभिभावकों तक ही सीमित करने का फैसला किया है। इससे परिजनों और दूर के रिश्तेदारों को बड़ी राहत मिलने वाली है। 
दोषी को हो सकती है सात साल तक की सजा दहेज लेने के मामले में दोषी करार दिए जाने पर आरोपी को सात साल तक की सजा हो सकती है। अब तक किसी दहेज प्रताडऩा के मामले में दोषियों को कोई बड़ी सजा का प्रावधान नहीं है। दहेज कानून संशोधन में लगे विशेषज्ञों की समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि दोषी को ज्यादा से ज्यादा सात साल तक के कारावास की सजा को लागू किया जाए। 
उपहारों की लिस्ट सौंपनी होगी सरकार को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से भेजे गए सिफारिशों को भी नए संशोधन में जगह दी गई है। आयोग ने मंत्रालय को सुझाया था कि शादी में मिलने वाले हर उपहार की लिस्ट बनाई जाए और इसे सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट से सत्यापित कराया जाए, ताकि दहेज की शिकायत होने पर बेहतर तरीके से फैसला किया जा सके। अगर अंतिम मसौदे को सांसदों की मंजूरी मिल जाती है तो इसे जल्द कैबिनेट में भेजने की तैयारी है।
sabhar प्रदीप सुरीन dainikbhaskar.com

खेलने का फायदा विश्व कप में मिलेगा

ढाका | बांग्लादेश के विस्फोटक सलामी बल्लेबाज तमीम इकबाल का कहना है कि उनकी टीम को श्रीलंका प्रीमियर लीग (एसएलपीएल) में खेलने का फायदा आगामी ट्वेंटी-20 विश्व कप में मिलेगा। श्रीलंका में आयोजित एसएलपीएल ट्वेंटी-20 टूर्नामेंट में बांग्लादेश के कई खिलाड़ियों ने अलग-अलग फ्रेंचाइजी टीम की ओर से हिस्सा लिया था। तमीम ने वायम्बा युनाइटेड की ओर से छह मैच खेले जिनमें उन्होंने 190 रन बनाए। वायम्बा को सेमीफाइनल मुकाबले में हार झेलनी पड़ी है।
तमीम गुरुवार को कप्तान मुशफिकुर रहीम और नासिर हुसैन के साथ स्वदेश लौट आए। समाचार पत्र ने तमीम के हवाले से लिखा है, "मुझे लगता है कि जब हम श्रीलंका में विश्व कप खेलेंगे उस दौरान हमें एसएलपीएल में खेलने का अनुभव जरूर मदद करेगा। सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि हमने पाल्लेकेले में मैच खेले हैं जहां विश्व कप में हम अपने ग्रुप के मैच खेलेंगे। इसलिए निश्चिततौर पर हमें यहां फायदा होगा, क्योंकि हम यहां की परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं।" उल्लेखनीय है कि विश्व कप का आयोजन 18 सितम्बर से श्रीलंका में होगा।
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लगातार बड़ा निवेश करने वाले सहारा समूह को सुप्रीम ...


लगातार बड़ा निवेश करने वाले सहारा समूह को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तगड़ा झटका दिया। कोर्ट ने सहारा को निवेशकों के 17400 करोड़ रुपये वापस लौटाने का फैसला सुनाया। सहारा समूह की रियल एस्टेट कंपनी से जुड़े मामले पर आए इस फैसले में कोर्ट ने निवेशकों को 15 फीसदी ब्याज भी देने का निर्देश दिया है। शीर्ष कोर्ट ने पैसा लौटाने के लिए कंपनी को केवल 3 महीने का समय दिया है।
दिलचस्प है कि कोर्ट ने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) से भी इस मसले पर सहारा समूह की 2 कंपनियों की जांच करने को कहा है। ये कंपनियां हैं- सहारा रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन। कोर्ट ने कहा है कि सेबी की जांच से सहारा का वास्तविक ग्राहक आधार पता लगाया जा सकेगा।
सहारा समूह की दो कंपनियों के खिलाफ सेबी की जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति बीएन अग्रवाल करेंगे।
रिपोर्टों के मुताबिक 2008 और 2011 के बीच सहारा ने करीब दो करोड़ निवेशकों से अरबों रुपए जमा किए थे। जून 2011 में सेबी ने सहारा से कहा था कि वो निवेशकों से निवेश लेना बंद करे क्योंकि इस पूरी व्यवस्था में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
सहारा ने फिर सिक्योरिटी अपीलेट ट्राइब्यूनल का रुख किया था जिसने सेबी के आदेश को बरकरार रखा। ट्राइब्यूनल ने कहा था कि वो निवेशकों का धन छह हफ्तों में वापस करे। सहारा ने फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
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प्रधानमंत्री ने इस्तीफा देने से इंकार किया

New Delhi.
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कोयला ब्लॉक आवंटन पर कैग रिपोर्ट के मद्देनजर अपने इस्तीफे की विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए कहा कि हमने स्थिति साफ कर दी है और मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। उन्होंने कहा कि हमें प्रधानमंत्री पद की मर्यादा रखनी चाहिए और देश की जनता ने हमें पांच साल के लिए चुना है इसलिए विपक्ष की मांग के आगे झुकने का सवाल ही नहीं है।
ईरान दौरे पर गए प्रधानमंत्री ने स्वदेश लौटते समय विमान में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि विपक्ष को चाहिए कि वह संसद को चलने दे और वहां सरकार से सवाल जवाब करे। उन्होंने कहा कि मैं दबाव में नहीं आउंगा और यदि मैं इस्तीफा देने पर विचार भी कर रहा होता तो मैं ईरान के दौरे पर जाता ही नहीं।
प्रधानमंत्री सिंह ने उन पर हुए हालिया हमलों के संदर्भ में कहा, मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय की गरिमा बनाए रखनी है। भाजपा को राजनीतिक एजेंडा तय करने देने पर प्रधानमंत्री ने कहा, नेताओं के साथ आरोप प्रत्यारोप में शामिल नहीं होना चाहता, यही बेहतर है जैसा कि मैंने पहले भी कहा है। मैं चुप रहता हूं।
राहुल गांधी के मंत्री बनने की संभावनाओं पर पूछे गये प्रश्न के उत्तर में प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने राहुल से कई बार कहा है कि वह सरकार में शामिल हों लेकिन अंततः निर्णय उन्हें ही करना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि वह सरकार में मंत्री बनेंगे।
उन्होंने कहा कि घरेलू राजनीति में समन्वय की कमी एक वजह रही है जिससे देश नौ प्रतिशत आर्थिक वृद्धि की बुनियाद को पक्की नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि सरकार जीएसटी लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति से हुई मुलाकात के बारे में उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक भावना होनी चाहिए कि पाकिस्तान अपनी सरजमीं से भारत के खिलाफ आतंकवाद के मामले से निबटने में वह सब कुछ कर रहा है जो वह कर सकता है। उन्होंने कहा कि मुंबई नरसंहार के जघन्य अपराध के आरोपियों की सुनवाई पाकिस्तान की महत्वपूर्ण परीक्षा है।
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माया को जेल में बिताने होंगे 28 साल, बजरंगी को उम्र कैद

LIVE: माया को जेल में बिताने होंगे 28 साल, बजरंगी को उम्र कैद
अहमदाबाद. गुजरात के नरोडा पाटिया नरसंहार के लिए दोषी करार दिए गए लोगों को यहां की विशेष अदालत ने सजा सुना दी है। पूर्व मंत्री माया कोडनानी (पढ़ें प्रोफाइल) को 28 साल जबकि बाबू बजरंगी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। सरकारी वकील शमशाद पठान ने बताया कि कोडनानी को पहले धारा 326 के तहत 10 साल की कैद काटनी होगी, फिर धारा 302 के तहत उनकी उम्र कैद की सजा शुरू होगी। इस तरह उन्‍हें 28 साल जेल में बिताने होंगे। बाबू बजरंगी को ताउम्र जेल में सजा काटनी होगी। कुछ दोषियों को 31 साल तो बाकी को सामान्‍य उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। जज ने सजा सुनाते हुए सख्‍त टिप्‍पणी की और कहा कि यह घटना लोकतंत्र पर काला धब्‍बा है। कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कडे इंतजाम हैं। नरोडा में भी एहतियातन सुरक्षा के कड़े बंदोबस्‍त किए गए हैं। रैपिड एक्‍शन फोर्स (आरएएफ) के जवान तैनात कर दिए गए हैं। स्‍थानीय प्रशासन ने नरोडा में बंद (तैनाती और बंदी की तस्‍वीरें) रखा है। 
साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों के समय हुए नरोडा पाटिया हत्याकांड (तस्वीरें) मामले में कोर्ट ने कोडनानी और बाबू बजरंगी (जिन्‍होंने दंगों में शामिल होने की बात कुबूल भी की थी, देखें स्टिंग का वीडियो) सहित 32 लोगों को दोषी ठहराया था। 
कोडनानी नरेंद्र मोदी सरकार से जुड़ी पहली शख्‍स हैं जिन्‍हें दंगों का दोषी ठहराया गया है (ट्वीट्स: क्‍या दंगों का ईनाम था माया का मंत्री पद)। विपक्ष लगातार दंगों में मुख्‍यमंत्री मोदी की भूमिका होने के आरोप लगाता रहा है, लेकिन मोदी का साफ मानना है कि उन्‍होंने कोई गलती नहीं की है। वह इसी तर्क के आधार पर माफी की मांग को भी नकारते रहे हैं। हाल ही में उन्‍होंने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर वह दोषी हैं तो उन्‍हें फांसी पर लटका दिया जाए (पढ़ें मोदी की सफाई)। कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी का इस्‍तीफा मांगा तो बीजेपी ने सीएम का बचाव करते हुए कहा कि दंगों (गुजरात दंगों से जुड़े मामलों की दास्‍तां पढें) में उनका नाम बेवजह घसीटा जा रहा है।
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Thursday, August 30, 2012

सफल रहा पहला दिन

मुजफ्फरनगर। नगर को पिछले काफी लम्बे अरसे से जाम की जकडऩ से मुक्त कराने के क्रम में जुटे प्रशासन ने एक बार पुन: बीड़ा उठाया है। नगर में बृहस्पतिवार से एक बार पुन: काफी लम्बे समय बाद प्रशासन ने योजनाबद्ध तरीके से अतिक्रमण हटाओं अभियान शुरु किया गया। हालांकि अभियान का पहला दिन सफलताओं से भरा रहा, क्योंकि पहले दिन हटाये गये अतिक्रमण के दौरान प्रशासन को किसी तरह का विरोध नहीं झेलना पड़ा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आगे की राह भी आसान होगी, क्योंकि प्रशासन की टीम जैसे-जैसे अतिक्रमण हटाने के लिए मुख्य बाजारों की ओर बढ़ेगी और स्थाई अतिक्रमण पर कार्रवाई करेगी तो विरोध की संभावना भी उतनी ही प्रबल होगी।
पूर्व नियोजित ढंग से नगर मजिस्ट्रेट डा.इन्द्रमणि त्रिपाठी के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम पुलिस बल को साथ लेकर बृहस्पतिवार की सुबह महावीर चौक पहुंची। टीम में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी डिप्टी कलैक्टर श्रीभवन सिंह, अन्य पालिका अधिकारी एवं सीओ सिटी संजीव कुमार वाजपेयी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे। इस बार के अतिक्रमण हटाओ अभियान में खास यह रहा कि किसी भी दुकानदार के साथ जोर-जबरदस्ती नहीं की गई। नगर मजिस्ट्रेट के आग्रह पर महावीर चौक से लेकर प्रकाश चौक तक के दुकानदार किये गये अस्थाई अतिक्रमण को हटाते चले गये। बावजूद इसके एक ओर जहां अतिक्रमण करने वाले दुकानदारों को हाथों-हाथ नोटिस थमा दिया गया, वहीं पक्के बने अस्थाई अतिक्रमण को घनों से तोड़कर नेस्तानेबूद कर दिया गया। अस्थाई अतिक्रमण का पर्याय बने कुछ सामानों को हाथों-हाथ जब्त भी कर लिया गया। महावीर चौक से लेकर प्रकाश चौक तक के एक तरफा मार्ग का समस्त अतिक्रमण बृहस्पतिवार को हटवाया गया। नोटिस मिलने वाले दुकानदारों को यह हिदायत भी दी गई कि अगर यहां दोबारा अतिक्रमण मिला तो एक ओर जहां सम्बन्धित दुकानदार के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जायेगा, वहीं पांच सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना वसूलने के बाद अतिक्रमण का पर्याय बने सामान को भी जब्त कर लिया जायेगा। दिन भर चले अतिक्रमण अभियान में कुल 75 से 8० अतिक्रमणकारी दुकानदारों को जहां नोटिस जारी किये गये, वहीं 22 अतिक्रमणकारी दुकानदारों पर 5०० रुपये का जुर्माना भी ठोका गया। नगर मजिस्ट्रेट डा.इन्द्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि दूसरे दिन का अतिक्रमण हटाओं अभियान महावीर चौक से झांसी की रानी की ओर बढ़ेगा।
इसके अलावा पहले दिन अतिक्रमण अभियान का भी निरीक्षण किया जायेगा, यदि पहले दिन के रुट पर अतिक्रमण मिला तो अतिक्रमण को जहां जेसीबी मशीन से तुडवाया जायेगा, वहीं अतिक्रमणकारी दुकानदारों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया जायेगा।

कल संसद के गेट पर धरना देंगे मुलायम

नई दिल्ली । कोलगेट कांड पर कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार और मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के बीच बढ़ते टकराव संसद में बने गतिरोध को देखते हुए मुलायम सिंह यादव अपनी 'राजनीतिक खिचड़ी' पकाने में लग गए हैं। समाजवादी पार्टी हालांकि यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है, लेकिन इसके बावजूद मुलायम ने गैर कांग्रेस- गैर बीजेपी दलों को एक जगह लाने की मुहिम शुरू कर दी है। इसी मुहिम के तहत समाजवादी पार्टी ने गुरुवार को सीपीआई, सीपीएम और टीडीपी के साथ मिलकर इस मामले की सुप्रीम कोर्ट के किसी मौजूदा जज से जांच कराए जाने की मांग की।
एसपी प्रमुख मुलायम सिंह ने संसद परिसर में कहा, 'हमारी पार्टी ने सीपीआई, सीपीएम और टीडीए के साथ मिलकर गुरुवार को इस मामले की सुप्रीम कोर्ट के किसी मौजूदा जज से जांच कराने की मांग को लेकर संसद के सामने धरना देने का फैसला किया है।' उन्होंने यह भी कहा कि वे इस कथित घोटाले की जांच की मांग के लिए अन्य दलों को भी साथ लाने का प्रयास कर रहे हैं। मुलायम सिंह ने कहा कि हम अन्य दलों से भी बातचीत कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।
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अखिलेष के राज में अखिलेष भी लूटा!

लाखों की नकदी व जेवरात चुराए, घटना से कस्बा भोपा में सनसनी

मुजफ्फरनगर (अलर्ट न्यूज)। घर में सो रहे परिजनों की मौजूदगी में अज्ञात चोरों ने घर मंे रखी लाखांे की नकदी व जेवरात के अलावा अन्य कीमती सामान चुरा लिया। इस घटना से कस्बे में सनसनी फैल गई। गृह स्वामी ने अज्ञात चोरों के खिलाफ तहरीर देते हुए कार्यवाही की मांग की।
प्राप्त समाचार के अनुसार जनपद के थाना भोपा क्षेत्र के कस्बा भोपा निवासी अखिलेश पुत्र धर्मवीर सिंह जो कि किसान होने के साथ साथ मकैनिकल इन्जिनियर भी है। घटनाक्रम के अनुसार गत रात्रि गृहस्वामी अखिलेश अपने परिवार के साथ अपने घर मंे सोया हुआ था तभी देर रात्रि अज्ञात चोर उसके घर मंे जा घुसे। चोरांे ने उसके घर मे घुसने के बाद देखा कि गृह स्वामी एक अलग कमरे मंे अकेला सो रहा है। चोरों द्वारा ली गई तलाशी में उन्हें उसकी अलमारी की चाबी उक्त गृह स्वामी के तकिये के नीचे रखी मिल गई। जिसके बाद चोरों ने उसके घर में रखी अलमारी का ताला खोलकर अलमारी में रखे लाखों की कीमत के गहने जिनकी कीमत लगभग आठ लाख रूपये बताई गई। इनके अलावा लगभग दस लाख रूपये नकद व अन्य कीमती सामान चुरा लिया। सुबह जब गृह स्वामी की आंख खुली तब तक चोर उसके घर में रखी लाखों की नकदी व जेवरात समेट कर मौके से फरार हो चुके थे। घटना की सूचना पर अखिलेश के पड़ौसी व अन्य लोग एकत्रित हो गए। जिन्होंने घटना की सूचना एसओ भोपा को दी। घटना की जानकारी मिलते ही एसओ भोपा मौके पर पहंुचे तथा मौका मुआयना कर अज्ञात चोरों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास तेज किए।

महिलाओं संबंधी मोदी की टिप्पणी की आलोचना

New Delhi. 
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने राज्य की महिलाओं के अधिक कुपोषित होने की टिप्पणी करने को लेकर आज चारों ओर से आलोचना का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने उनकी टिप्पणी को सभी महिलाओं की ‘बेइज्जती’ करार दिया है। कांग्रेस ने मोदी पर महिलाओं के प्रति संवदेनशील नहीं होने का आरोप लगाते हुए उनसे अपनी ‘बचकाना’ टिप्पणी को वापस लेने की मांग की। वहीं, संप्रग के घटक दल राकांपा ने कहा कि एक मुख्यमंत्री को इस तरह की टिप्पणी शोभा नहीं देती है। राजद के लालू प्रसाद ने भी इस टिप्पणी की निंदा की है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि दुनिया के सबसे अच्छे प्रशासकों में अपना नाम गिनाने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री महिलाओं के बारे में इस तरह के बचकाना बयान दे रहे हैं और इस मुद्दे को हल्के में ले रहे हैं।
गौरतलब है कि मोदी ने अपने राज्य में कुपोषण की उच्च दर मौजूद होने के बारे में वाल स्ट्रीट जर्नल को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘गुजरात एक मध्य वर्गीय राज्य है। मध्य वर्ग स्वास्थ्य की तुलना में सुंदरता के प्रति अधिक सचेत होता है, जो एक चुनौती है। यदि एक मां अपनी बेटी से दूध पीने को कहती है, तो उनके बीच झगड़ा हो जाता है। बेटी अपनी मां से कहती है कि ‘मैं दूध नहीं पीयूंगी क्योंकि इससे मैं मोटी हो जाउंगी।’’
sabhar प्रभासाक्षी