नई दिल्ली। गुटखा व तंबाकू के चबाने वाले सभी
उत्पादों पर पाबंदी लगाने के लिए डॉक्टर फॉर यू नामक संस्था ने दिल्ली
हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।
हाईकोर्ट
ने इस मामले की सुनवाई के लिए 22 अगस्त की तिथि तय की है। याचिका दायर
करने वाले एडवोकेट वरुण के चोपड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार ने फूड सेफ्टी
एंड स्टैंडर्ड एक्ट-२क्क्६ व फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड (प्रोहिबिशन एंड
रेस्ट्रिक्शन ऑफ सेल्स) रेग्युलेशन, 2011 लागू कर दिया है।
इसके
अलावा आठ राज्यों ने भी इसे लागू किया है तो दिल्ली राज्य सरकार ने इसे
क्यों नहीं लागू किया। उन्होंने कहा, ग्लोबल एंटी टोबैको सर्वे (गैट्स) के
मुताबिक देश की एक चौथाई आबादी गुटखा, तंबाकू व तंबाकू उत्पादों को चबाते
हैं।
गुटखा व तंबाकू से
मुंह व पाचन तंत्र के विभिन्न हिस्सों के कैंसर होने के पुख्ता साक्ष्य
मिलने के बावजूद सरकार इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई उपयुक्त कदम क्यों
नहीं उठा रही है। यदि दिल्ली में गुटखे पर प्रतिबंध लगता है तो करीब 10 लाख
लोगों को फायदा होगा।
देशभर में गुटखे का आसर
20
जार करोड़ रुपए का गुटखे का कारोबार है देशभर में। 16 करोड़ से अधिक लोग
गुटखा खाते हैं देशभर में, इनमें से आधा करोड़ से ज्यादा स्कूली बच्चे
शामिल हैं। 5 हजार नए लोग देशभर में हर रोज गुटखा खाने की शुरुआत करते हैं।
हब है राजधानी
20 फीसदी गुटखे का उत्पादन दिल्ली से ही होता है, यहां छोटी-बड़ी 30 गुटखा उत्पादन कंपनियां हैं।
अकेले राजधानी में करीब 35 लाख लोग गुटखा खाते हैं। : मुख्यमंत्री शीला
दीक्षित ने माना कि गुटखे से दिल्ली वासियों की सेहत को बहुत नुकसान हो रहा
है।
अगले हफ्ते होने वाली शीर्ष बैठक में सरकार तय करेगी कि गुटखा पर प्रतिबंध के लिए क्या किया जाना चाहिए।
मौत को दावत
ओरल कैंसर का सबसे बड़ा कारण गुटखा : हर साल 80 हजार लोग ओरल कैंसर का
शिकार होते हैं। : गुटखा खाने से सबम्यूकस फाइब्रोसिस भी हो जाता है, इसमें
व्यक्ति का मुंह नहीं खुल पाता।
sabhar dainik bhaskar
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