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Tuesday, August 28, 2012

कोयले की दलाली में 'मोटा माल', भड़के चिदंबरम

 
नई दिल्‍ली. बीते सप्‍ताह पूरे दिन हंगामा करने के बाद संसद के दोनों सदनों में सोमवार को भी विपक्ष, खास कर भाजपा का हंगामा जारी रहा। हंगामे के बीच ही लोकसभा में प्रधानमंत्री ने कोल ब्‍लॉक आवंटन पर अपना बयान पढ़ दिया। हालांकि उन्‍हें बीच में ही बात रोकनी पड़ी। उन्‍होंने कहा कि विपक्ष के आरोपों का कोई आधार नहीं है, लेकिन भाजपा सांसद (संसद के स्‍थगित होने का डर) लगातार नारे लगाते रहे कि बयान नहीं, इस्‍तीफा चाहिए  यही वाकया राज्‍यसभा में भी दोहराया गया। 
ससद के बाहर भाजपा ने कांग्रेस पर तीखे हमले जारी रखे। अपनी पार्टी के तमाम आरोपों को दोहराते हुए सोमवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने यह तक कह दिया कि कोयले की दलाली में कांग्रेस नेमोटा माल खाया है।
सुषमा स्वराज के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, 'किसी गंभीर मुद्दे पर हो रही बात में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। मई 1998 से मई 2004 के बीच आवंटित की गई खदानों के बारे में भाजपा का क्या तर्क है? संसद में जिस दिन की भी कार्यवाही स्थगित होती है वो दिन लोकतंत्र पर काला धब्बा होता है। जिस दिन हम संसद के बजाए संसद के बाहर बहस करते हैं वो दिन लोकतंत्र को कमजोर करता है। हम विपक्ष से कहते हैं कि संसद में आओ और जितना चाहते हो उतनी बहस करो।'
भाजपा के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, 'भाजपा ने कहा कि कोयले की खदानों के आवंटन में कांग्रेस को मोटा माल मिला है। ये मोटा माल और छोटा माल भारतीय जनता पार्टी की संस्कृति हो सकती है कांग्रेस पार्टी की नहीं। छोटे माल के चक्कर में उनके एक पूर्व अध्यक्ष अभी भी जेल में बंद हैं। दूसरों पर आरोप लगाने से पहले भाजपा खुद अपने गिरेबां में झांक कर देख ले। अगर बीजेपी को अपने तर्कों पर इतना ही विश्वास है, अगर उन्हें लगता है कि उनका मसौदा ठोस है तो वो संसद में बहस कराएं।'
कोयला घोटाले के मुद्दे पर सदन में विश्वस मत लाने का संकेत देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, 'जहां तक नंबरों का सवाल है हमारे पास साल 2008 में भी नंबर थे और अब भी हैं। हम चाहते हैं कि सदन में चर्चा हो।'
इससे पहले हंगामे के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही लगातार स्‍थगित होने के बाद प्रधानमंत्री ने संसद के बाहर मीडिया के जरिए अपनी बात रखी। उन्‍होंने कहा कि मंत्रालय की सारी जिम्‍मेदारी उनकी है, लेकिनसीएजी की रिपोर्ट और नुकसान का आकलन विवादास्‍पद है। उन्‍होंने खुद पर लगाए गए विपक्ष के सभी आरोपों को गलत बताया और कहा कि संसद की कार्यवाही इस तरह नहीं चलने देना बेहद अफसोसनाक है। उन्‍होंने विपक्ष को संसद में मुद्दे का सामना करने की चुनौती दी। उन्‍होंने कहा कि मुझे बोलने का मौका दिया जाना चाहिए। फिर वह बोले, 'हजार जवाबों से अच्‍छी है मेरी खामोशी...'
कोयला घोटाले की वजह से भाजपा को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का इस्तीफा चाहिए। कांग्रेस संसद में बहस से ज्यादा के लिए राजी नहीं है। दोनों पार्टियां अपने रुख पर अड़ी हुई हैं। प्रधानमंत्री को गुट निरपेक्ष देशों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए मंगलवार को तेहरान जाना है। इसलिए सोमवार तक कोई रास्ता नहीं निकला तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव और बढ़ जाएगा।
भाजपा ने कहा है कि वह अपनी मांग (पीएम का इस्‍तीफा) पूरी होने तक संसद नहीं चलने देगी। पार्टी ने इस मुद्दे पर रणनीति तय करने के लिए सोमवार को बैठक भी की। कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने भाजपा की जिद को गलत बताया और सदन में सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव रखने तक की चुनौती दे डाली।
ससंद में लगातार हंगामे पर प्रतिक्रिया देते हुए राजद अध्‍यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा, 'बीजेपी बहस इसलिए नहीं चाहती क्योंकि उसके कई मुख्यमंत्री फंसे हुए हैं। संसद में हो हल्ला करके संविधान को हलाल कर रही है बीजेपी। भाजपा ने संसद को फुटपाथ बना दिया है, केजरीवाल की तरह दौड़ रहे हैं, प्रधानमंत्री बोल रहे थे और विपक्ष सुनने को तैयार नहीं। ऐसे सांसदों को निलंबित कर देना चाहिए जो संसद नहीं चलने दे रहे हैं।'
सरकार के सूत्रों का कहना है कि सब कुछ विपक्ष के रुख पर टिका है। तमाम क्षेत्रीय दल भी दबाव बना रहे हैं कि संसद की कार्यवाही चले और कोयला आवंटन सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हो। टीम केजरीवाल के प्रदर्शन (देखें तस्‍वीरें) के बाद सरकार के रणनीतिकार विपक्ष के खेमे में यह संदेश भी पहुंचा रहे हैं कि अगर संसद नहीं चली तो इसका फायदा बाहरी तत्वों को हो सकता है। संसदीय कार्य राज्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि विपक्ष को देखना चाहिए कि उनके गैर जिम्मेदारी वाले रवैए का फायदा कोई और न उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार कोयला आवंटन सहित सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। विपक्ष को चाहिए कि वह संसद में ही सारे सवालों को उठाए। लेकिन उनकी दलील का भाजपा पर कोई असर नहीं हुआ है।
sabhar dainikbhaskar.com

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