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Tuesday, August 28, 2012

हमारा गेंहू का रेट तय करेंगा खरीदने वालाः वीएम सिंह

किसानों को चलना वास्तव में टिकैत ने सिखायाः वीएम सिंह

देश के बडे बडे वकील एकतरफ आपका भाई एकतरफः वीएम सिंह

सहारनपुर (अलर्ट न्यूज)। आप लोगों ने पिछले 15 सालों में जो संघर्ष किया है। क्या संघर्ष किया है। धान व गन्ने के रेट का संघर्ष किया है। अच्छा तब हो जाता है जो आप साथ साथ खडे हो जाते कि जो हमारा गन्ने का रेट है वो दे दो तो इतना रूकना नहीं पडता। उन्होंने कहा कि हमें तो गांव की चौपाल में बैठकर तांस खेंलेंगे। हुक्का पियेंगे। पर मीटिंग में नहीं जायेंगे। उन्होंने कहा कि दो बिन्दू मुख्य है। 20 साल से आपके लिए फसलों का वाजिब मूल्य दिलाने का काम करते आ रहे है। उन्होंने कहा कि दो बडे काम हुए है पर जो सबसे बडा काम हुआ है उसका उल्लेख किसी ने नहीं किया। किसान गन्ना लगता है गेंहू लगाता है कपास लगाता है। लेकिन उसका वाजिब मूल्य नहीं मिलता है। उक्त बाते देवबंद में आयोजित नवीन मंडी स्थल पर किसानों की सभा को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि कानून तो कहता है कि 15 दिन में गन्ने का रेट मिल जायेंगे और यदि चीनी मिले ऐसा नहीं करती है तो उसे ब्याज देना होगा। परंतु ऐसा नहीं है। हमें गन्ना बोने, गेंहू बोने के लिए पैसे न होने के कारण  हम बैंक व सोसायटी से ऋण लेना पडता है और उस पर हमें ब्याज देना पडता है
उन्होंने भाषण सुनकर तालियंा बजा रहे किसानों से दो टूक कह दिया कि मुझे ताली से कोई फायदा नहीं होता जो मैं कहता हूं उसे अपने जहन में डालो अच्छी लगे तो डालों वरना निकालकर बाहर फैंक दो।
उन्होंने कहा कि बात यह है कि अगर 240 भी दिया तो सरकार ने छोड दिया खुले सांड की तरह जाओ जो करना है करों। ये गये सुप्रीम कोर्ट में और कहा कि हम तो 140 रूपये का रेट देंगे। उन्होंने कहा कि नेता हो गया है बेईमान। उन्होंने कहा कि इसलिए मैंने कहा कि आप लोग कोर्ट में आते रहो। देखते रहो कि क्या क्या होता है। पर इस बार कोर्ट ने फिर कहा कि जो हम कटौती करेंगे। आज हम किसान बनकर लडना नहीं जानते है। हम ठाकुर हो जाते, सिख हो जाते हे।, राजपूत हो जाते है।, जाट हो जाते है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी जाति भूलकर किसान बनना होगा तभी जाकर हमारा उद्धार हो सकता है।
उन्होंने कहा कि जब 240 से रेट कम हो रहा था तो कौन बीच में बोला कोई नहीं बोला। देश के बडे बडे वकील एकतरफ आपका भाई एकतरफ।
उस समय हाई कोर्ट में हम लोग जीतकर आ गये। दस फरवरी को हम लोग जीतकर आ गये। जब आपके 5-7 करोड रूपये बचे हो तो जाहिर है की सरकार का हिस्सा अपने आप बन जाता है। फर्क सरकार का नहीं है फर्क नीति का है। उनहोंने कहा कि उसी कानून से हम जीतकर आते है उसी कानून से वह फिर वहीं वापिस पहंुच जाते है। उन्होंने कहा चिंतन करो चिंतन करो ताली मत बजाओ। उन्होंने कहा कि जब जब मैं इलैक्शन लडूंगा। तब तक मुझे कोई जीतने नहीं दूंगा। क्यों नहीं जीतने दूंगा क्योंकि उन्हें पता है कि यदि मैं जीत गया तो मैं उन लोगों के खिलाफ बोलूंगा जो किसानों के खिलाफ जाता है। इसी डर के कारण मुझे जीतने नहीं देते है। उन्होंने कहा कि जिस रास्ते से आप भटक गये हो उस रास्ते से। बडा समय लगा आज जहां जहां मीटिंग हो रही दस हजार से भी ज्यादा किसान वहां इकटठा हो जाते है।
आज ना मैं विधायक हूं और ना सांसद ना वकील। पर इतना वादा को वीएम सिंह करता है हर चूल्हे में फायदा दिलाया है। पर हुआ क्या हर जगह सरकार बीच में आ जाती है।
कितने किसान नेता को आपने वोट दिया है। पदम विभूषण नहीं मिला है। मिला है बताओ मूझे। उन्होंने कहा कि मैं इस मंच से कहता हूं कि मृत्यु उपरांत टिकैत को पदमविभूषण दिया जाना चाहिए।
किसानों को चलना वास्तव में टिकैत ने सिखाया है। उन्होंने कहा कि सरकार उसे पदम विभूषण देती है जिसने दो ठूमके लगा दिये उसे पदम विभूषण दे दिया। मुझे बताओं किस किसान को सरकार ने पदम विभूषण दियां
उन्होंने कहा कि गंेहू बोये जाते है रेट कौन तय करेगा खरीदने वाला। उन्होंने कहा कि हमारा गेंहू का रेट तय करेंगे खरीदने वालो।
हम दिल्ली का रेट देंगे बाकी 95 रूपये दे देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने कहा कि हमें मंजूर है 145 रूपये प्रति कुन्तल गन्ना दें दें।
सुप्रीम कोर्ट ने हमारी बात मानी और और 240 रूपये प्रतिकुन्तल की दर से देने की बात की। यदि 95 रूपये प्रतिकुन्तल की दर से गन्ना रेट कम मिलता या रूक जाता है 95 रूपये प्रति कुन्तल का गन्ना भुगतान मिल जाता और जब तक रूकता जब तक सात जजों का फैंसला नहीं आता। चाहे वह एक साल का रूकता दो साल का रूकता ये नहीं पता कि कितना रूकता। परंतु सरकार ने तीन किस्तों में गन्ना भुगतान किये जाने के चीनी मिलों को आदेश पारित कर दिये परंतु सात, मई, सात जून सात जुलाई, चली गई लेकिन किसानों को गन्ना भुगतान नहीं दिया गया। लेनिक 8 अगस्त को हाईकोर्ट लखनऊ की खण्डपीठ से मैंने 14 दिन के अंदर किसानों को गन्ना मूल्य दिलाये जाने के आदेश पारित कराये तथा साथ ही किसानों की काटी गई आरसी पर रोक लगायी।
इसके अलावा पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने मंच से अपने सम्बोधन में कहा कि हमारी आर्थिक स्थिति है हम कृषि पर निर्भर है। एक वर्ग जिसको ध्यान नहीं होता वह किसान है। सब्सिडी कोई इण्डस्ट्रील को जाती है। 65 साल से सहनकर रहे है तो आपका भला नहीं होता। जब तक आप अपने हक के लिए नहीं लडेंगे तब तक आपको आपके अधिकार नहीं मिलेंगे। जिसके अंदर असमानता कम हो हम पर राज कर रहे है। उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि धर्म जात को खत्म करेे। उन्होंने कहा कि  दिन आपने ये कर दिया तो आपके दुखों व समस्याओं का पक्का निस्तारण होगा। उनहोंने कहा कि मैं ये मानता हूं कि किसान एक रथ को चलाता है। रोटी को मोहताज है वही मेरे भारत के पार्थ क्यो सोता है।
अपनी आवाज उठाईये अपना हक मांगिये हम आपके संघर्षाें के लिए हर सम्भव तैयार है। जय जवान जय किसान के नारों से गूंजता रहा पंडाल।
इनसे पूर्व राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के मंडल संयोेजक विकास बालियान में भी सभा को सम्बोधित किया। इनके अलावा वहां मौजूद कई व्यक्ताओं ने किसानों को सम्बोधित किया।
सरदार वीएम सिंह व जनरल वीके सिंह से सुनने के लिए तीस हजार से ज्यादा किसान नवीन मंडी स्थल पर पहुंचे। नवीन मंडी स्थल पूरा किसानों से भरा हुआ था। 

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