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Sunday, August 5, 2012

सच्चा प्यार बनाम दोस्ती


दोस्ती एक सबसे बडा रिश्ता

सचिन धीमान
मुजफ्फरनगर (अलर्ट न्यूज) दोस्ती ही एक ऐसा नाता है जिसे कभी कोई नहीं भूल सकता यूं तो होगें ढेर रिश्ते लेकिन दोस्ती की बात ही कुछ निराली होती है। क्योंकि जब भी किसी को दर्द होता है तो सबसे पहले दोस्त ही याद आता है।
जी हॉ अगस्त माह के पहले सप्ताह का पहला रविवार दोस्ती के नाम समर्पित है जिसे एक दोस्त दूसरे दोस्त को फ्रैंडशिप के रूप में मनाते है। वैसे तो दोस्ती के लिए मनाये जाने वाले इस दिवस के नाम पर अनेकों लोकोक्तियां औद दंत कथाएं प्रचलित है। लेकिन दोस्ती अवधरणा सदियों पुरानी है। पौराणिक कथाओं में भी मित्रता संबंधी कथाएं और संवाद भरे पडे है। हमारे ग्रंथ महाभारत ओर रामचरित्र मानस भी दोस्ती के बोर में बहुत कुछ कहते है। दोस्ती की कोई परिभाषा नहीं। यह वह नाता है जो एक बार जोड लिया जाये तो समर्पित भाव से निभाया जाता है। यदि दो दोस्तों के बीच कभी कोई मन मुटाव पैदा हो जाते है तो उनमें एक आगे बढकर निपटा लेता है। दोस्तों में औपचारिक बंधन नहीं रह जाते। सच्चा दोस्त अपनी सच्ची दोस्ती में दूसरे दोस्त के लिए उसके सुख दुख में साथ देता हैं यहंा तक की वह अपने दोस्त के लिए जान भी देने के लिए तैयार रहता है। इसे ही सच्चा मित्र कहते है। 
फ्रैंडशिप डे मानने का चलन अमेरिका से शुरू हुआ था। जीवन में दोस्तों और मित्रों की समर्पित भूमिका को देखते हुए 1935 में अमेरिका कांग्रेेस द्वारा अगस्त सप्ताह के पहले रविवार को मित्रता के नाम घोषित कर दिया गया। वक्त के साथ यह अमेरिका की यी राष्ट्रीय परंपरा सरहदों को पार करके पूरी दुनिया में फैल गई और इस खूबसूरत रिश्ते का एक दूसरे को अहसास दिलाने का लोगों को नया बहाना मिल गया।
सन् 1997 में संयुक्त राष्ट्र ने दोस्ती के इस रिश्ते को और आगे बढाते हुए ‘विनी द पूह’ को मित्रता का दूत बताया।
सच्चा दोस्त अपने दोस्त के लिए जान तक देने को तैयार रहता है। भारत में महाभारत काल में भी सूर्य पुत्र कर्ण की दोस्ती, साथ ही श्रीराम चन्द्र जी की हनुमान जी के साथ दोस्ती भी दोस्ती की एक मिशाल है।

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