चीनी जब 40-45 रूपये किलो बिक रही है तो गन्ने का मूल्य हो 400 रूपये प्रति कुन्तल

राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन प्रदेश सरकार से सवाल करता है कि उसके मेनीफेटो (घोषणा पत्र) में साफ कहा गया था कि अगर सपा की सरकार बनती है तो गन्ना मूल्य 360 रूपये प्रति कुन्तल किया जायेगा। मगर 280 रूपये प्रति कुन्तल का रेट घोषित कर जहां वह अपने वायदे से मुकर रही है वहीं 25 फीसदी गन्ना किसानों के साथ धोखाधडी भी करने मेें शामिल हो गयी है। सरकार के गन्ना मूल्य देर से घोषित करने से गन्ने का 25 फीसदी गन्ना किसान अब तक कोल्हू में 140 से 180 रूपये प्रति कुन्तल तक डाल चुका है। सरकार की गलती से जिन किसानों को नुकसान हुआ है। क्या उत्तर प्रदेश सरकार उन किसानों को मुआवजा देगी। वहीं सरकार ने कांटे से मिल तक का भाडा 5.75 रूपये से बढाकर 8.75 रूपये कर दिया। इस तरह सरकार का ये वादा भी उसने 40 फीसदी बढाया है यह झूठ है क्योंकि 3 रूपये बाद में बढ जाने के बाद कुल बढोत्तरी 37 रूपये प्रति कुन्तल की होती है।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन का कहना है कि मायावती सरकार के समय वर्ष 2009-10 से 165 रूपये प्रति कुन्तल का रेट दिया था जो वर्ष 2010-11 में 205 रूपये प्रति कुन्तल हो गया था। इस तरह उस वक्त 40 रूपये की बढोत्तरी हुई थी। वर्ष 2011-12 में गन्ना मूल्य 240 रूपये प्रतिकुन्तल था। इस वर्ष गन्ना मूल्य 280 रूपये प्रति कुन्तल किया गया जबकि चीनी 40-45 रूपये प्रति किलो बिक रही है। जिस वक्त गन्ना मूल्य 240 रूपये था उस वक्त चीनी 28 रूपये प्रति कुन्तल बिक रही थी। ऐसे में गन्ने का मूल्य इस वर्ष 400 रूपये प्रति कुन्तल करना था। कुल मिलकर देखा जाये तो अखिलेश सरकार किसान विरोधी और चीनी मिल मालिकों के पक्ष में काम करती दिखाई दे रही है।
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