नई दिल्ली। देशद्रोह का मुकदमा भारत में कोई नई बात नहीं है। कई बार लोगों ने ऐसे काम किए या फिर बयान दिए कि उन पर देशद्रोह का केस चलाया गया। जिनमें से कुछ ने तो जेल की हवा भी खाई। महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक से लेकर विनायाक सेन और अरुंधती रॉय तक इसकी चपेट में आ चुकी हैं।
नेहरू ने कानून हटाने को कहा था
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने आईपीसी की धारा 124 ए के बारे में बात करते हुए 1951 में संसद में कहा था- जहां तक मेरी सोच का सवाल है, यह धारा पूर्णत: आपत्तिजनक और निंदनीय है। इसका व्यावहारिक और ऐतिहासिक दोनों तरीकों में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
ब्रिटेन ने कानून खत्म किया, हम लीक पीट रहे
ब्रिटेन में साल 2009 में ही देशद्रोह के खिलाफ बना कानून लॉ ऑफ सेडीशियस लाइबेल व आपराधिक मानहानि का कानून खत्म कर दिया है। जबकि इसी पर आधारित भारतीय कानून आईपीसी की धारा 124 ए अभी तक जारी है। देश में अब यह बहस का मुद्दा बन गया है।
नेहरू ने कानून हटाने को कहा था
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने आईपीसी की धारा 124 ए के बारे में बात करते हुए 1951 में संसद में कहा था- जहां तक मेरी सोच का सवाल है, यह धारा पूर्णत: आपत्तिजनक और निंदनीय है। इसका व्यावहारिक और ऐतिहासिक दोनों तरीकों में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
ब्रिटेन ने कानून खत्म किया, हम लीक पीट रहे
ब्रिटेन में साल 2009 में ही देशद्रोह के खिलाफ बना कानून लॉ ऑफ सेडीशियस लाइबेल व आपराधिक मानहानि का कानून खत्म कर दिया है। जबकि इसी पर आधारित भारतीय कानून आईपीसी की धारा 124 ए अभी तक जारी है। देश में अब यह बहस का मुद्दा बन गया है।
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