नई दिल्ली। सोचिए अगर शादी-ब्याह बिना
बैंड-बाजे और छत्तीस भोग के व्यंजनों के संपन्न करना पड़े तो क्या होगा?
जी हां, केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय की चली तो जल्द ही आपको अपने
'बिग-फैट वेडिंग' को सिर्फ चाय-पकौड़े में ही निबटाने पर मजबूर होना
पड़ेगा। तृणमूल कांग्रेस और सहयोगियों के रुख के चलते मध्यावधि चुनावों की चर्चा के बीच सरकार का यह मंत्रालय जल्द एक ऐसा प्रस्ताव लेकर आ रहा है जिसके कानून का रूप लेने के बाद पूरे देश में शादी का आयोजन दिन के उजाले में और चाय-नाश्ते तक सीमित रख कर ही संपन्न करना होगा।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने 'भास्कर' से खास बातचीत में कहा, 'सरकार ऐसा कानून लाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत सभी धर्मों और तबके के लोगों के लिए शादी-ब्याह के खर्च को सीमित करना होगा। इसमें शादी के बाद दूल्हा- दुल्हन के बेहद करीबी रिश्तेदारों को चाय-नाश्ता देने पर ही पैसा खर्च करने का प्रावधान होगा।'
तीरथ ने बताया कि भारतीय समाज में बेटी पैदा होने पर मां-बाप दहेज और शादी के लिए पैसा जोडऩे या कर्ज लेने जैसे बोझ के डर की वजह से ही भ्रूण-हत्या जैसा कदम उठाते हैं। इससे समाज में लिंग अनुपात में खासी कमी देखी जा सकती है। अगर नया कानून लागू होता है तो देश में बेटियों के प्रति नजरिए में खासा बदलाव होगा।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने 'भास्कर' से खास बातचीत में कहा, 'सरकार ऐसा कानून लाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत सभी धर्मों और तबके के लोगों के लिए शादी-ब्याह के खर्च को सीमित करना होगा। इसमें शादी के बाद दूल्हा- दुल्हन के बेहद करीबी रिश्तेदारों को चाय-नाश्ता देने पर ही पैसा खर्च करने का प्रावधान होगा।'
तीरथ ने बताया कि भारतीय समाज में बेटी पैदा होने पर मां-बाप दहेज और शादी के लिए पैसा जोडऩे या कर्ज लेने जैसे बोझ के डर की वजह से ही भ्रूण-हत्या जैसा कदम उठाते हैं। इससे समाज में लिंग अनुपात में खासी कमी देखी जा सकती है। अगर नया कानून लागू होता है तो देश में बेटियों के प्रति नजरिए में खासा बदलाव होगा।
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