New Delhi. उच्चतम न्यायालय ने कोयला ब्लाक के आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर विचार नहीं करने का केन्द्र सरकार का आग्रह ठुकरा दिया। न्यायालय ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि क्या 2004 से 2011 के दौरान कोयला ब्लाक आवंटन में दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया है। न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा और न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की खंडपीठ ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर वकील मनोहर लाल शर्मा ने यह जनहित याचिका दायर की है।
शीर्ष अदालत ने केंद्र की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि चूंकि इस मामले को संसदीय समिति देख रही है, इसलिये अदालत को इस मुद्दे पर विचार नहीं करना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा, ''ये अलग अलग कार्य हैं।’’ शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा और न्यायमूर्ति एआर दवे की पीठ ने कहा कि याचिका में गंभीर प्रश्न उठाये गए हैं और ''इस पर सरकार को स्पष्टीकरण देने की जरूरत है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा, ''लोक लेखा समिति (पीएसी) का कार्य अलग है। संसद और पीएसी, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के आधार पर काम करते हैं। हम उनके कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते, लेकिन याचिका में अलग विषयों को उठाया गया है। इसमें ठोस बातें उठायी गई हैं जिसके बारे में आपको स्पष्टीकरण देने की जरूरत है।’’
न्यायाधीशों ने केन्द्र सरकार की इस दलील को ठुकराते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने तो सिर्फ अवैधता की ओर ध्यान आकर्षित किया है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। न्यायालय ने कहा कि कथित रूप से असंवैधानिक और मनमाने तरीके से कोल ब्लाक के आवंटन पर निर्देश के अनुरोध के साथ दायर याचिका पर केन्द्र को सफाई देनी होगी क्योंकि यह राज्य की संपत्ति के थोड़ी मात्रा में वितरण के बारे में नहीं बल्कि टनों आवंटन से संबंधित है। न्यायाधीशों ने सवाल किया कि सरकार ने 2004 मे ‘प्रतिस्पर्धा से बोली लगाने’ की नीति तैयार की थी फिर कोल ब्लाक के कथित रूप से अवैध आवंटन के मामले में राजनीतिक व्यक्तियों और उनके रिश्तेदारों के नाम कैसे आ गये।
न्यायालय ने सालिसीटर जनरल की इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर यह याचिका समय से पहले ही दायर की गयी है क्योंकि अभी तो भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति 20 सितंबर को कोयला ब्लाक के आवंटन के औचित्य पर विचार करेगी।
इसके साथ ही अदालत ने जानना चाहा कि उन आवंटियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करने का प्रस्ताव किया गया है जिन्होंने आवंटन की शर्तों का पालन नहीं किया और समझौते को तोड़ा। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसे मुख्य रूप से कोयला ब्लाक आवंटन से जुड़ी नीतियों एवं दिशानिर्देशों के पालन की चिंता है। कथित अनियमितता की सीबीआई से जांच कराने की मांग समेत अन्य विषयों को अभी नहीं लिया जायेगा। सुनवाई के दौरान सोलिसिटर जनरल ने पीठ को सूचित किया कि कोयला ब्लाक आवंटन में अपराध से जुड़ी कथित अनियमिमता के विषय की सीबीआई पहले ही जांच कर रही है। पीठ ने कहा, ''हम अभी आवंटन के विषय को देख रहे हैं और कोई अन्य बात नहीं।’’ अदालत ने कहा कि हमारा ध्यान कोयला ब्लाक आवंटन पर दिशानिर्देशों के पालन से जुड़े विषय पर है।
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