रायपुर! खुदरा व्यापार देश में कृषि के बाद रोजगार प्रदान करने वाला सबसे प्रमुख क्षेत्र है। खुदरा व्यापार के जरिये देश के लगभग 4 करोड़ परिवारों की रोजी रोटी चल रही है। 1998 की आर्थिक गणना के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 38.2 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 46.4 प्रतिशत लोग खुदरा व्यापार के क्षेत्र में रोजगार कर रहे थे। वर्तमान में खुदरा व्यापार का सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 14 प्रतिशत योगदान है। अनुमान के अनुसार देश में रिटेल यानी की खुदरा बाजार का कारोबार लगभग 30 लाख करोड़ है, जो सालाना 20 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है। इसी ग्रोथ रेट के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नजर भारत के इस बाजार पर है।
रिटेल बिजनेस से जुड़ी यह महत्वपूर्ण जानकारी मंगलवार को शंकर नगर स्थित एक कॉलेज में वाणि'य एवं प्रबंध संकाय द्वारा आयोजित व्याख्यान में दी गई। व्याख्यान ‘खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी का निवेश’ विषय पर आयोजित हुआ। इसमें अर्थशास्त्री व छत्तीसगढ़ रा'य वित्त आयोग के सदस्य डॉ. अशोक पारख ने अर्थशास्त्र के विद्यार्थियों के साथ चर्चा की।
डॉ. पारख ने कहा कि तेजी से उभरते भारतीय उपभोक्ता बाजार पर बहुराष्ट्रीय कंपनियां काफी लंबे समय से नजर टिकाए हुए हैं। देश में खुदरा व्यापार से बड़ी संख्या में लोग जुड़े हुए हैं। इस बाजार में विदेशी निवेश होने से व्यापारी और कृषक सीधे प्रभावित होंगे। खाद्य महंगाई की समस्या से छुटकारा पाने के लिए रिटेल में एफडीआई के बजाय सरकार को कृषि उत्पादकता में सुधार लाने पर जोर देना चाहिए। इस मौके पर प्राचार्या डॉ. ममता शर्मा, राजकुमार गंभीर व ममता ध्रुव सहित कई शिक्षक व स्टूडेंट्स मौजूद रहे।
चार करोड़ परिवार होंगे प्रभावित
व्याख्यान में वक्ता ने बताया कि भारत में प्रति 11 व्यक्ति पर औसतन एक रिटेल स्टोर है। खुदरा व्यापार में विदेशी कंपनियों के प्रवेश के बाद छोटे दुकानदार, ठेला लगाने वाले, पटरी पर दुकान लगाने वाले सामान्य व्यापारी भी प्रभावित होंगे। बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी तेजी से बढ़ेगी। इस विदेशी निवेश से एक ओर जहां एक करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं चार करोड़ परिवारों की रोजी-रोटी प्रभावित होगी। मूल्यों पर विदेशी कंपनियों का अप्रत्यक्ष नियंत्रण हो जाने से महंगाई भी नित नई ऊंचाइयां छुएगी।
रिटेल बिजनेस से जुड़ी यह महत्वपूर्ण जानकारी मंगलवार को शंकर नगर स्थित एक कॉलेज में वाणि'य एवं प्रबंध संकाय द्वारा आयोजित व्याख्यान में दी गई। व्याख्यान ‘खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी का निवेश’ विषय पर आयोजित हुआ। इसमें अर्थशास्त्री व छत्तीसगढ़ रा'य वित्त आयोग के सदस्य डॉ. अशोक पारख ने अर्थशास्त्र के विद्यार्थियों के साथ चर्चा की।
डॉ. पारख ने कहा कि तेजी से उभरते भारतीय उपभोक्ता बाजार पर बहुराष्ट्रीय कंपनियां काफी लंबे समय से नजर टिकाए हुए हैं। देश में खुदरा व्यापार से बड़ी संख्या में लोग जुड़े हुए हैं। इस बाजार में विदेशी निवेश होने से व्यापारी और कृषक सीधे प्रभावित होंगे। खाद्य महंगाई की समस्या से छुटकारा पाने के लिए रिटेल में एफडीआई के बजाय सरकार को कृषि उत्पादकता में सुधार लाने पर जोर देना चाहिए। इस मौके पर प्राचार्या डॉ. ममता शर्मा, राजकुमार गंभीर व ममता ध्रुव सहित कई शिक्षक व स्टूडेंट्स मौजूद रहे।
चार करोड़ परिवार होंगे प्रभावित
व्याख्यान में वक्ता ने बताया कि भारत में प्रति 11 व्यक्ति पर औसतन एक रिटेल स्टोर है। खुदरा व्यापार में विदेशी कंपनियों के प्रवेश के बाद छोटे दुकानदार, ठेला लगाने वाले, पटरी पर दुकान लगाने वाले सामान्य व्यापारी भी प्रभावित होंगे। बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी तेजी से बढ़ेगी। इस विदेशी निवेश से एक ओर जहां एक करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं चार करोड़ परिवारों की रोजी-रोटी प्रभावित होगी। मूल्यों पर विदेशी कंपनियों का अप्रत्यक्ष नियंत्रण हो जाने से महंगाई भी नित नई ऊंचाइयां छुएगी।
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