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Tuesday, September 11, 2012

जेल की क्षमता से जेल में बंद कैदियों की संख्या कई गुना ज्यादा

खाने पीने की व्यवस्था भी चरमराई जेल में, पिछले आठ माह में जेल में बंद 6 कैदियों की बीमारी के कारण मौत

मुजफ्फरनगर (अलर्ट न्यूज) । जिला कारागार की अव्यवस्था और असुविधाओं के चलते जिला जेल में बंद कैदियों को बंदी रक्षकों की हटधर्मिता और दुर्व्यवहार के चलते कैदियों को गुस्सा झेलना पडता है। इतना ही नहीं जिला कारागार की अव्यवस्थाओं के चलते पिछले आठ महीनों में 6 कैदियों की मौत हो चुकी है लेकिन इसके बावजूद भी जिला जेल प्रशासन ने आज तक कोई सुविधाओं को लेकर कोई सुरक्षा व्यवस्था में कोई सुधार नहीं किया है। जिसके चलते आज भी कैदियों को अव्यवस्थाओं का सामना करना पड रहा है।
सूत्रों की माने तो जेल की जितने कैदियांे को रखने की क्षमता है जेल में उससे कई गुना ज्यादा अधिक कैदी निरूद्ध हैं। जेल की क्षमता के हिसाब से संसाधन मुहैया कराये जाते हैं। जेल में बंद कैदियों के खाने पीने से लेकर कपडे आदि सहित दवाईयों का खर्च आदि के लिए सिर्फ जेल में बंद रहने वाले कैदियों की क्षमता के हिसाब से ही उपलब्ध हो पा रहा है।
यदि पिछले आठ माह का रिकार्ड देखा जाये तो जिला जेल मे उम्रकैद की सजा काट रहे जनपद के थाना ककरौली क्षेत्र के गांव जरवड कटिया निवासी कैदी राजवीर सिंह की छह मार्च 2012 को अचानत मौत हो गई थी। राजवीर की मौत का मामला ठण्डा भी नही हुआ था कि जनपद के ही कांधला थाना क्षेत्र के गांव राजपुर-छाजपुर निवासी बुद्धसिंह विगत 23 जनवरी 2012 से अपने बेटे अशोक की हत्या के मामले मे जेल मे बंद था जिसकी तीन अप्रैल 2012 को जिला जेल मे मौत हो गई। वहीं दूसरी ओर जनपद के थाना कोतवाली क्षेत्र के मौहल्ला रामपुरी निवासी ओमेन्द्र शर्मा की जिला जेल मे मौत हो गई। इसके बाद एक सितम्बर को थाना कांधला के गांव किवाना निवासी लक्ष्मी पुत्र दीपचंद को अचानक सीने में दर्द उठने के कारण उसे उपचार के लिए मेरठ हॉस्पिटल में ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उसने दम तोड दिया था। इतना ही नहीं कैदी लक्ष्मी की मौत के ठीक सात दिन बाद आठ सितम्बर की रात एक अन्य कैदी भोपाल सिंह निवासी खरड थाना कांधला  की जिला जेल मे मौत हो गई। भोपाल सिंह वर्ष 2007 से हत्या के मामले मे जेल मे बंद था। जून माह मे भी एक कैदी ने ईलाज के दौरान दिल्ली मे दम तोडा था। इसके अतिरिक्त लगभग एक दर्जन कैदियांे का जिला अस्पताल या मेरठ अस्पतालों मे ईलाज चल रहा है। कैदिेयंों की लगातार हो रही मौत और बीमार कैदियों की संख्या में हो रहे इजाफे से जेल मे बन्द अन्य कैदियों के दहशत है। जिला जेल में बंद कैदियों को अब सजा का डर नहीं सता रहा है बल्कि सजा से ज्यादा जेल में रहकर उन्हें होने वाली बीमारियों का डर सताने लगा है। क्योंकि जेल में बंद कैदियों को बीमारियां अपने कब्जे में जकडने लगी है ओर यदि देखा जाये तो जेल में बंद कैदियों में मरने वाले कैदियों को या तो हृदयगति से मौत हो गयी या फिर उन्हें टीवी की बीमारी ने जकड लिया है। जिससे स्पष्ट होता है कि कहीं ना कहीं जिला जेल प्रशासन द्वारा कैदियों को दी जाने वाली सुविधाओं में सुविधाएं व कमियां होने के साथ साथ उन्हें खाने पीने में खामिया हो सकती है। जिस कारण कैदी अधिकांश बीमारियों की चपेट में आ रहे है ओर जेल में होने वाली बीमारियों के कारण कैदियों की मौत हो रही है। जिला जेल के अधीक्षक के तबादले के बाद अब नये आये जेल अधीक्षक जेल की व्यवस्थाओं में सुधार ला पाते है या नहीं यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।

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