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Monday, September 17, 2012

चीनी का मूल्य 32 हो और किसानों को गन्ना मूल्य 300 रुपये कुन्तल मिले

किसान सेना बनाई जायेः वीएम सिंह

जो वीएम सिंह लिखेंगे ओर कहेंगे वहीं विधानसभा मंे करूंगाः श्यामसुन्दर शर्मा

मेरठ (अलर्ट न्यूज)। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंह ने आज किला परीक्षितगढ के नवीन मंडी स्थल पर विशाल किसान महासभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि अगर चीनी का मूल्य 32 रुपये किलो हो तो गन्ने का मूल्य 300 रुपये होना चाहिए इस बार किसान अपनी फसल का मूल्य 300 रुपये तय करता है और चीनी 32 रुपये किलो से अधिक नहीं होनी चाहिए साथ ही उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के किसान हितेषी फैसलों को लागू कराने के लिए एक किसान सेना बनाई जानी चाहिए जिनकी जिम्मेदारी निर्णयों को हर हालात में लागू कराने की हो। वहीं दूसरी ओर पूर्वमंत्री और सात बार के विधायक श्यामसुन्दर शर्मा ने कहा कि उन्होंने नेता तो बहुत देखे मगर सेवक पहली बार देखा जो अपना जीवन किसानों के लिए समर्पित कर रहा है उन्होने कहा कि वह वायदा करते है जब कभी भी किसी भी प्रकार का कोई मुद्दा या प्रकरण वीएम सिंह उनसे विधानसभा में उठाने के लिए कहंेगे वह उसे हू-ब-हू उठाएंगे।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने रविवार को जनपद के किला परीक्षितगढ स्थित नवीन मंडी स्थल में आयोजित किसान महा पंचायत में बोलते हुए कहा कि एक भाई आपके लिए बीस सालों से लडाई लड रहे है। उन्होने कहा कि मेरा दिल तालियां बजाने से खुश नहीं होता है बल्कि मेरा दिल उस समय ज्यादा खुश होता है जब आपके बैंक खातों में रूपया आता है।
उन्होंने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है परंतु माफ करियेगा खेती करने वालों को  इज्जत नहीं मिलती। लूटेरों को इज्जत मिलती है परंतु पेट भरने वाले किसानों को इज्जत नहीं मिलती। क्यों नहीं मिलती। क्योकि आपसे लेनी नही आती है। आप बिरादरी में बंट जाते हे। जाट बन जाते है सिख बन जाते है। अल्पसंख्यक बन जाते है। जिस दिन किसान एकत्रित हो जायेगा तो भारत में किसान की सरकार होगी। केन्द्र में भी होगी। प्रदेश में भी होगी। उन्हेांने कहा कि कभी किसान मुंगलों के गुलाम थे फिर  गौरे अंग्रेजों के गुलाम थे ओर अब काले अंग्रेेजों के गुलाम है। उन्होंने कहा कि पहले गौरों ने किसानों को बंधुवा बनाकर रखा और आज तक भी हम बंधुवा है। उन्होंने कहा कि वीएम सिंह क्या चाहता है। क्यों आ रहा है आपके बीच बार-बार। उन्होने कहा कि उनकी कोशिश यह है कि उनकी जिंदगी के किसान खडा हो जायेगा जो गुलामी में जकडा हुआ है। उन्होंने कहा कि बहुत नेता आये यहां पर जिन्होंने किसानों को खडा करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह ने किसानों की समस्याएं उठायी है। उन्होंने कहा कि चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत ने आपको खडा होना दिखाया। मुझे अच्छी तरह याद है कि किसानों की हर समस्या को उन्होंने प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि किसान चाहे कोई हो टिकैत ने आपको लडना सिखाया। दिशा दिखाई। उन्होंने कहा कि वीएम सिंह ने शादी नहीं की। शादी हो जाती तो दो तीन बच्चे हो जातें परंतु वीएम सिंह को तो इतना बडा परिवार मिल गया। इस अपने परिवार के लिए ही मैं उनके चूल्हें में इजाफा कराने में जुटा हूं। उन्होने कहा कि कोई नेता आपके पास आकर कहता  है कि गन्ने के पैसे मिल गये तो आपको यकीन हो जाता है कि नेता कह रहा है कि गन्ने के पैसे इसने दिलवाया है उस पर यकीन कर लेता है। उन्होंने कहा कि यदि इसका श्रेय जाता है तो सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट जाता है।
उन्होंने कहा कि कई बार केन्द्र सरकार खुद को किसान हितेषी बताती है परन्तु ह सच है कि जब सुप्रीम कोर्ट में गन्ना मिल मालिकों की ओर से पैरवी की जाती है और झूठ बोलकर किसानों का पैसा हजम करने का प्रयत्न किया जाता है उस समय उनका वकील जो झूठी दलील देता है वो और कोई नहीं कांग्रेस अभिषेक मनु सिंघवी होता है जो किसानों का पैसा लूटवाने में लगा था।
उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि सारे मिल मालिकों के हाथों में केवल एक गोली दे दो और उनसे पूछे की ये गोली किसको मारेंगे तो वह कहेंगे कि वीएम सिंह को।
उन्होंने कहा कि ये आपका भाई हर साल 2 हजार 3 हजार करोड के लिए मिल मालिका से लडता है आपके लिए। इसलिए कहता हूं 99 साल का पटटा लेकर नहीं आया जो में आपके लिए हमेशा लडता रहूंगा अपनी लडाई खुद लडना सीखों
उन्होंने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में 7 जजों का फैंसला नहीं होता और वह खामोश रह जाते तो किसानों का लगभग 100 रुपये कुन्तल हर वर्ष मिल मालिक हजम कर जाते अगर कोई किसान 300 कुन्तल गन्ना भी मिल को बेचता तो उसे तीस हजार रुपये का नुकसान रहता।
उन्होनें कहा कि मिल मालिक इस वर्ष किसानों को 145 रुपये से अधिक नही देना चाहते थे परन्तु उन्होनंे सुप्रीम कोर्ट से किसानों का पक्ष रख कर कहा कि प्रदेश में समझौता मूल्य लागू होता है और यह दिल्ली का रेट लागू नही होता इसलिए किसानों को प्रदेश सरकार द्वारा घोषित मूल्य ही दिलाया जाए इस पर कोर्ट ने हमारी बात मानी और तीन किस्तों में 5400 करोड रुपये देने के लिए कहा। मिलों ने कोर्ट के आदेश के बाद सात मई को तो पहली किश्त दे दी परन्तु एक चाल चलते हुए दूसरी सात जून को दी जाने वाली किस्त किसी भी 124 मिलों में से नहीं दी। किस्त न देने पर आरसी मिलों की नहीं कटी। तीसरी किस्त का भी समय निकल गया और आरसी नहीं कटी। उन्होंने कहा कि हमने मिल मालिकों को सबक सिखाने का फैसला ले लिया और हम हाईकोर्ट पहुंच गये। उन्होंने मिल हाईकोर्ट से मांग की कि हमारा पैसा फंसा पडा है और किसानों की बैंक से लिये गये लोन की वसूली न होने पर आरसी काट दी गयी है। उन्होने कहा कि जब कानून में ब्याज है और सुप्रीम कोर्ट की मोहर लग गयी है। हमने भी  दिन बाद भुगतान करने वाले मिलों से ब्याज सहित गन्ने का भुगतान दिलाने के आदेशों के साथ ही भुगतान होने तक किसानों की आरसी काटने पर रोक लगा दी गयी है। कोर्ट के कहने के बाद भी तीस मिलों ने किसानों का पैसा नहीं दिया। जिनमें मवाना, तितावी, मोदीनगर सहित पूरे देश की मिलों पर 356 करोड रूपया बाकी है। उन्होंने कहा कि मलिकपुर में आज भी 100 करोड 56 लाख रूपये बकाया है।
उन्होंने कहा कि 15 दिन तक आपका गन्ना डालने के बाद नहीं मिलता है तो आपको गन्ना डालने की तिथि से 15 दिन के बाद भुगतान करने पर उनसे ब्याज सहित पैसा दिलाया जायेगा।
उन्होंने कहा कि जिस पर सरकार अपना रेट लेती है उसी प्रकार यदि हममें ताकत के तो अपनी फसल का उचित रेट लगवाना है। उन्होंने कहा कि जब गेंहू बेचा तो खरीदार ने रेट तय किया और जब आटा खरीदने गये तो किसने रेट तय किया। कुछ नहीं ओर कहते हो कृषि प्रधान देशं ये है कृषि प्रधान देश। यदि आप बैंक की रिश्त देने में जरा भी देरी कर देते हो तो आपकी आरसी कट जाती है। परंतु जब आपको आपकी फसलों का वाजिब मूल्य नहीं दिया जाता और समय पर नहीं दिया जाता तो आरसी नहीं काटी जाती है।
उन्होंने कहा कि 15-20 सालों में आपको सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट ने ताकत दी है। आपने हक छिनना सीखों खडा होना  सीखो। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करो। एक सोसायटी में दो रेट नही ंहोंगे। उन्होंने कहा कि किसी को मिले 185 सिी को मिले 150 और अन्तिम में मिले 260 रूपयें ऐसा नहीं होगा। जिसके खिलाफ हम कोर्ट की शरण में पहुंच गये। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मायावती सरकार में लागू हुए और सभी को 215 और 220 रूप्ये प्रति कुन्तल की दर से लागू कर यिा गया। जिसके बाद हम कोर्ट गयें जिसके बाद 260 रूप्ये का रेट हो गया। ििजस पर 75 रूपये की बढोत्तरी हो गयी। उनहोंने कहा कि कम से कम 25 से लेकर 30 हजार रूपये आयेंगे। उनहोंने कहा कि जब आपके खाते में 30 हजार रूप्ये आयेंगे तो मिल मालिकों को अपने खातों से करोडों रूपया देना पडेगा। मिल मालिकों के दबाव में पुलिस वीएम सिंह को पकडने के पीछे लग गयी। उनहोंने कहा कि मिल मालिकों को बहुत नुकसान हो रहा है वह इतना रेट नहीं दे पायेंगे। उन्होंने कहा कि मिल मालिकों के पक्ष में कांग्रेस सरकार खुलकर आ गयी। एक मिल मालिक को तो देवबंद में टिकट भी दे दिया था।
 किसानों के घर में लाखों रूपये आ गये जिसका सरे सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट को जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने हमारी बात सुनी और किसानों को हक मिल गया। उनहोंने कहा कि यही मैं चाहता हूं कि आप लोग मजबूत जाये तो आपका 75 रूप्ये प्रति कुन्तल का रेट भी जल्द ही आ जायेगा। उन्होंने कहा कि पहले कोर्ट से लागू कराओ फिर मजबूती के साथ खडे होकर उसे लो।
 उन्होंने कहा कि जब गन्ने का रेट 2008-09 में 140 था तब चीनी का रेट था 16 रूपये। आज चीनी का रेट 42 रूप्ये हो गया है ऐसे में गन्ने का रेट 400 रुपये होना चाहिए परन्तु हम चाहते है कि इस बार गन्ने का रेट 300 रूपये से कम नहीं लेंगे और चीनी 32 रुपये से ऊपर नहीं होनी चाहिए। क्योंकि डीजल का रेट सरकार ने बढा दिया। खाद का कट्टा जो साढे तीन सौ रूप्ये का था वह 1200 रूप्ये का हो गया है वो भी ब्लैक में मिलेगा। रसोई गेस के रेट बढा दिये है जंगल में लकडी नही ंहै। इसलिए गन्ने का रेट 300 रूपये कुन्तल होना चाहिए। उन्होनें एक आंकडा देते हुए कहा कि एक कुन्तल गन्ने में साढे पांच किलो शीरा निकलता है 32-33 किलो खोई निकलती है बाकी मैली है। आज खोई 400 रूपये की बिकती हे। मिल मालिक खोई व शीरा बेचते है। जब ये तीस रूप्ये किलो के हिसाब से चीनी बेचेेंगे तो इनका फायदा होगा। जब तुम दिन दोगुनी रात चौगनी तरक्की करके अपना पैसा बटोर रहे है तो हमें हमारा हक दे दो। उनहोंने कहा कि 300 रूप्ये का रेट गन्ने का दिया जाना चाहिए 2012-13 का व चीनी 32 रूपये किलो होना चाहिए। उनहोंने कहा कि अपनी ताकत दिखाओ। एक बार ताकत दिखाई थी। हम 260 तक पहुंच गये और जब इस बार ताकत दिखाओंगे तो आपका रेट 300 रूप्ये कुन्तल के हिसाब से मिलेगा।  उन्होंने कहा कि मेरी आदत है कि जो में बोलता हूं वो करूं। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा एफडीआई का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि बाहर के लेाग आ रहे है देश में राज कर रहे है ओर हमारे देश के लोग भींख मांगे। उन्होंने बिजली व मवाना चीनी मिल द्वारा किसानो की ली गई जमीन को मुक्त कराने की बात भी कही। 
इस दौरान हजारों की संख्या में किसानों ने सुबह से नवीन मंडी स्थल पर अपने प्रिय किसान नेता राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह के ओजस्वी विचार सुनने के लिए धूप में बैठे रहे।
महा पंचायत को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भरत सिंह, हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजेन्द्र पाण्डेय, विकास बालियान, अरिदमन चौहान, मेजर हिमांशु, जितेन्द्र प्रधान सिवाया, उपेन्द्र चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष, जितेन्द्र राणा आदि ने सम्बोधित किया।
कुसीनगर से गन्ना समिति चेयरमैन विवेक सिंह, विजय शुक्ला, बरेली चेयरमैन उलफत सिंह, उधम सिंह बावना मंच, चौ. राजबीर सिंह मुडेंट आदि उपस्थित रहे।
वीएम सिंह को किसान का प्रतीत लकडी का हल भेंट किया गया। सभी अतिथियों को माला पहनाकर सम्मानित किया गया। साथ ही उन्हें शॉल भी भेंट किये गये।

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