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Wednesday, September 19, 2012

ममता की दहाड़, झूठ बोल रही सरकार

नई दिल्ली/कोलकाता. रिटेल में एफडीआई, डीजल और रसोई गैस के पेंच से पैदा हुए मौजूदा राजनीतिक संकट (सरकार के पास ये हैं विकल्‍प) के बीच कांग्रेस ने नया दांव खेला है। कांग्रेस आलाकमान ने अपनी पार्टी के मुख्‍यमंत्रियों को सस्‍ते एलपीजी सिलेंडरों का कोटा बढ़ाने को कहा है। यानी कांग्रेस शासित राज्‍यों में रहने वालों को साल में अब सब्सिडी वाले छह की बजाय नौ सिलेंडर मिलेंगे। कांग्रेस प्रवक्‍ता जनार्दन द्विवेद्वी ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि पार्टी अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस के मुख्‍य‍मंत्रियों को इस बारे में निर्देश दिए हैं। हालांकि कांग्रेस ने डीजल की कीमतों में कमी किए जाने की संभावना से इनकार किया है। चिदम्‍बरम ने कहा कि सरकार के बहुत सोच समझ कर फैसला लिया है, ऐसे में पीछे हटने का सवाल ही नहीं है।
ममता की डिमांड की अनदेखी करते हुए कांग्रेस ने अपने राज्यों में 6 की बजाय 9 सिलेंडर देने की घोषणा कर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं कि अब राज्य सरकारें भी सब्सिडी का वजन ढोएं। सोनिया के नए दांव से न सिर्फ यूपीए के सहयोगियों बल्कि बीजेपी और एनडीए में भी हड़कंप मच गया है। बीजेपी ने केंद्र को चुनौती देते हुए कहा कि रोलबैक नहीं हुआ तो सरकार को बोरिया-बिस्‍तर पैक कर लेना चाहिए। बीजेपी प्रवक्‍ता शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि यूपीए सरकार जनता का भरोसा खो चुकी है और इसे जल्‍द से जल्‍द इस्‍तीफा देना चहिए। वहीं केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने साफ किया कि यूपीए-2 को कोई खतरा नहीं है और सरकार चलाने के लिए उसके पास जरूरी संख्‍याबल है।

केंद्र की यूपीए सरकार से बाहर होने का ऐलान करने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने आज अपना रुख और कड़ा कर दिया। ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी अपने फैसले पर कायम है। उन्‍होंने सरकार के इन दावों को भी गलत करार दिया कि एफडीआई पर फैसला लेने से पहले पीएम ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की थी। पार्टी के सांसद कुणाल घोष ने कहा कि मंत्रियों से पहले पीएम को इस्‍तीफा देना चाहिए। सपा संसदीय दल की गुरुवार को बैठक होगी। इसमें फैसला किया जाएगा कि केंद्र को समर्थन जारी रखा जाए या नहीं। पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को कहा, 'सरकार ने देश की जनता को दिया ही क्‍या है?...महंगाई और भ्रष्‍टाचार! हम 20 सितंबर को विरोध-प्रदर्शन करेंगे।' चेन्‍नई में आज होने वाली डीएमके की अहम बैठक भी टल गई है। वहीं, बीजेपी के सीनियर नेता लाल कृष्‍ण आडवाणी चाहते हैं कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए।
तृणमूल के समर्थन वापसी के ऐलान के बाद यूपीए अल्‍पमत में जरूर चली गई है लेकिन फिलहाल सरकार को खतरा नहीं है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अब भी 295 सांसदों का समर्थन हासिल है। इनमें सरकार को बाहर से समर्थन दे रही सपा, बसपा के साथ राजद और जनता दल (एस) के सांसद शामिल हैं। लेकिन कांग्रेस में मंथन जारी है। वहीं, बीजेपी ने सपा और बसपा से इस बारे में अपना रुख साफ करने को कहा है कि वो यूपीए सरकार को समर्थन जारी रखेंगे या नहीं। बीजेपी नेता राजनाथ सिंह ने कहा कि ममता बनर्जी ने यूपीए से समर्थन लेकर 'बड़ा कदम' उठाया है और अब सपा एवं बसपा की बारी है। यूपी में कांग्रेस, बीएसपी और सपा एक-दूसरे से लड़ते रहते हैं और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते रहते हैं, ऐसे में केंद्र में ये तीनों पार्टियां एक साथ कैसे रह सकती हैं। 
तृणमूल के समर्थन वापसी के ऐलान के बाद पैदा हुए सियासी हालात पर चर्चा के लिए बुधवार को पीएम निवास पर कांग्रेस कोर ग्रुप की अहम बैठक हुई लेकिन यह बेनतीजा रही। कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में करीब 2 घंटे तक चली इस बैठक में यूपीए चेयरपर्सन और पीएम ने सरकार की भावी रणनीति तय की। बैठक के बाद वित्‍त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, 'सरकार अपने फैसलों पर कायम है। रोलबैक नहीं होगा। ममता बनर्जी से बात करने की कोशिश की जाएगी। तृणमूल के मंत्रियों को भी समझाने की कोशिश की जाएगी। पीएम मनमोहन सिंह तृणमूल कांग्रेस के मंत्रियों से शुक्रवार को बात करेंगे।' इससे पहले आज ही सुबह पीएम और योजना आयोग के उपाध्‍यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया की भी बैठक हुई।

ममता ने नहीं उठाया पीएम का फोन
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधारों को लेकर बड़े फैसले लेने से पहले तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी को रिटेल में एफडीआई को मंजूरी देने के अपने इरादे के बारे में स्पष्ट कर दिया था। शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने कैबिनेट की बैठक से पहले उन्हें फोन किया, लेकिन ममता की ओर से कोई जवाब नहीं आया। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री सोमवार को भी ममता से बात करना चाहते थे और इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से उन्हें फोन किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। 
बैकडोर मैसेज की भी अनदेखी 
ममता को बैकडोर मैसेज भी भिजवाए गए कि प्रधानमंत्री उनसे बात करना चाहते हैं लेकिन इसे भी कोई तवज्जो नहीं मिली। एफडीआई के मुद्दे पर अंधेरे में रखे जाने के ममता के दावे को खारिज करते हुए सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 22 अगस्त को यूपीए समन्वय समिति की बैठक में अपने इरादे को बयां कर दिया था। इस बैठक में ममता भी मौजूद थीं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि ममता ने यूपीए समन्वय समिति की बैठक में ही एफडीआई पर अपना विरोध साफ कर दिया था। उन्होंने रिटेल में एफडीआई के साथ विमानन क्षेत्र में भी एफडीआई का विरोध किया था।
चिदंबरम ने कहा कि पीएम ने ममता ने बात करने की कोशिश की थी लेकिन उन्‍होंने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन तृणमूल सांसद सौगत रॉय ने इस बात से इनकार किया है कि सरकार ने तृणमूल आलाकमान से संपर्क करने की कोई कोशिश की थी। उन्‍होंने दोहराया कि वह अपने रुख पर कायम हैं। रॉय ने बुधवार को कहा, 'हमारे मंत्री पीएम को इस्‍तीफा सौंपेंगे। हमने सिद्धांतों के आधार पर फैसला किया है और हम इससे समझौता नहीं करेंगे।' रॉय ने यह भी कहा कि वह अभी किसी के साथ गठबंधन नहीं करने जा रहे हैं। सौगत रॉय की तरह मुकुल रॉय ने भी इससे इनकार किया कि तृणमूल आलाकमान को कांग्रेस आलाकमान की तरफ से कोई संदेश मिला है। उन्‍होंने कहा, 'मुझे किसी की तरफ से किसी चीज बारे में कोई भी मैसेज नहीं मिला है।'
उधर, यूपीए में शामिल डीएमके भी अब सरकार के खिलाफ हो रही है। पार्टी प्रमुख एम करुणानिधि ने 20 सितंबर को भारत बंद में शामिल होने की घोषणा कर दी है। डीएमके डीजल, गैस और रिटेल में एफडीआई पर सरकार के फैसले का विरोध कर रही है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक डीएमके चाहती है कि सरकार डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी वापस ले और एलपीजी का कोटा बढ़ाया जाए लेकिन डीएमके यूपीए से अलग नहीं होना चाहती।

तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मंगलवार को करीब सवा तीन घंटे की बैठक के बाद सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी थी। साथ ही कहा था कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल उनके सभी छह मंत्री शुक्रवार को तीन बजे प्रधानमंत्री को इस्तीफा सौंप देंगे। बुधवार सुबह घोष ने कहा कि इससे पहले प्रधानमंत्री अपना इस्‍तीफा दें। सरकार किसी की निजी संपत्ति नहीं है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया था। इसके खत्म होने के बाद मंगलवार को पार्टी के संसदीय दल की बैठक में सरकार से बाहर आने का फैसला किया गया। तृणमूल कांग्रेस डीजल, रसोई गैस और मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई (पढ़ें, इसके पांच फायदे और पांच नुकसान) पर सरकार के निर्णय का विरोध कर रही थी। तृणमूल के पास 19 सांसद हैं। ममता के फैसले तक यह उम्मीद जताई जा रही थी कि पार्टी के मंत्री इस्तीफा देंगे, लेकिन सरकार को बाहर से समर्थन जारी रहेगा। शाम 5 बजे तृणमूल के संसदीय दल की बैठक शुरू हुई। जो 8.15 तक चलती रही। सूत्रों के मुताबिक कुछ मंत्री सरकार से हटने को तैयार नहीं थे। इसलिए उन्हें मनाने में काफी वक्त लगा।
 
ममता के समर्थन वापसी के कठोर फैसले के बाद केंद्र सरकार पूरी तरह से बैकफुट पर आ गई है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख के दो-टूक अंदाज के बाद सत्ताधारी दल का पूरा सियासी गेम प्लान बदल गया है। तृणमूल की घोषणा होने के तुरंत बाद कांग्रेस और सरकार के रणनीतिकार यूपीए-दो के सबसे बड़े सियासी संकट से जूझने की मशक्कत में जुट गए। कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेताओं के बीच गुफ्तगू का दौर शुरू हो गया है। सरकार के रणनीतिकारों ने सपा और बसपा के अलावा छोटे-छोटे दलों से बातचीत शुरू कर दी है। शुक्रवार तक बचे हुए समय में सरकार का पूरा जोर सरकार बचाने पर होगा। कांग्रेस ने ममता को नरम संदेश देते हुए कहा है कि जब तक कोई अंतिम परिणाम नहीं आता, हम उन्हें बहुमूल्य सहयोगी मानते रहेंगे।

हालांकि कांग्रेस को रिटेल में एफडीआई, डीजल व रसोई गैस के पेंच से पैदा हुए मौजूदा राजनीतिक संकट में अपनी बिछाई हुई सियासी बिसात के सहारे संकट से बाहर निकलने का भरोसा है। यूपीए सरकार 'सेकुलर राग' को अपनी सबसे बड़ी ढाल मानकर चल रही थी लेकिन अब यह भी उतना आसान नहीं रह गया है। सरकार का यह दांव अब पूरी तरह से सपा और बसपा के रुख पर निर्भर है। हालांकि सांसदों की चुनाव के प्रति अनिच्छा से राजनीतिक दलों में अंदरूनी दबाव सत्ताधारी दल का तनाव कम करने में मदद कर सकता है। 
कांग्रेस पड़ी नरम 
तृणमूल की समर्थन वापसी के बाद कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा, 'लोकतंत्र की यही खूबी है। सभी राजनीतिक दलों को स्वतंत्र रूप से अपनी राय रखने का अधिकार है। इसी राय की वजह से यूपीए बना और दूसरे गठबंधन बने। उन्होंने कहा कि हम तृणमूल को अपना बहुमूल्य सहयोगी मानते रहे हैं। जो भी मुद्दे ममता जी ने उठाए हैं, उनपर सरकार से चर्चा होगी। जब तक अंतिम फैसला नहीं आता हम उन्हें अपना बहुमूल्य सहयोगी मानते रहेंगे।''

ममता को कुछ अफसोस भी...
ञ्च हमने लोगों से वादा किया था कि पांच साल सरकार का समर्थन जारी रखेंगे। 
ञ्च कांग्रेस की राज्य इकाई हमारे विरोध में बयान देती रही है, पर हम चुप रहे। 
ञ्च हमने सरकार को तीन दिन का समय दिया था, लेकिन हमसे किसी ने बात भी नहीं की। 
ममता ने समर्थन के लिए रखी 3 शर्तें
1. रियायती दर पर सालभर में 24 सिलेंडर दिए जाएं। 
2. डीजल दर में इजाफा पूरी तरह खत्म हो। 
3. मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई पर फैसला वापस ले सरकार। 
ममता की 5 दलील
1. यूपीए-2 सरकार लगातार जनविरोधी फैसले कर रही है। 
2. फैसले से पहले सरकार हमारी पार्टी से चर्चा नहीं करती थी। 
3. सरकार का अपने सहयोगी दलों से समन्वय सही नहीं है। 
4. हमारे मना करने पर भी सरकार ने फैसले लिए। 
5. समर्थन जारी रखा तो पेंशन और बीमा बिल भी आ जाएगा।
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