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Wednesday, November 21, 2012

पाक ने पत्रकारों को कसाब के गांव जाने से रोका

पाक ने पत्रकारों को कसाब के गांव जाने से रोका
मुंबई.  भारत में कसाब को फांसी दिए जाने के बाद  पाकिस्तान में उसके गांव जा रहे पत्रकारों को पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने रास्ते में ही रोक दिया । पाकिस्तान के टीवी चैनलों के पत्रकार कसाब के गांव जाना चाहते थे लेकिन उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया।  कसाब की मौत की खबर भी पाकिस्तान में सुर्खी नहीं बन सकी। पाकिस्तान की समाचार वेबसाइटों और टीवी चैनलों से कसाब की मौत की खबर चंद घंटों में ही गायब हो गई। 
इससे पहले 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले (तस्‍वीरें) के गुनहगार अजमल आमिर कसाब को बुधवार सुबह पुणे के यरवदा जेल में फांसी दे दी गई। उसे जेल के पास ही एक मैदान में दफन भी कर दिया गया। भविष्य में किसी भी विवाद से निपटने के लिए मुंबई पुलिस ने कसाब की फांसी की पूरी प्रक्रिया का वीडियो भी बनाया है।
बताया जाता है कि दो दिन पहले ही उसके लिए कब्र खोद ली गई थी। उसकी कब्र पर कोई पहचान नहीं होगी। सूत्रों के मुताबिक उसने मरने से पहले कहा- अल्‍लाह कसम, दोबारा ऐसी गलती नहीं होगी
केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने दिल्‍ली में बताया कि 16 अक्‍तूबर को कसाब की दया याचिका राष्‍ट्रपति को भेजी गई थी। 5 नवंबर को राष्‍ट्रपति ने उसे खारिज कर दिया था। 7 नवंबर को उन्‍होंने (गृह मंत्री ने) उन पर दस्‍तखत कर दिए। अगले दिन महाराष्‍ट्र सरकार को इसकी जानकारी दे दी गई और उसी दिन तय हो गया था कि 21 तारीख को कसाब को फांसी होगी। इस फैसले पर एकदम गोपनीय तरीके से अमल कर लिया गया। 
शिंदे ने यह भी बताया कि कसाब को फांसी दिए जाने की जानकारी उसे 12 नवंबर को ही दे दी गई थी। उसने कहा था कि उसकी मां को यह जानकारी दे दी जाए। इसकी सूचना पाकिस्‍तान को भी दे दी गई थी। उन्‍होंने बताया कि भारतीय मिशन के जरिए पाकिस्‍तानी विदेश मंत्रालय को सूचना भेजी गई। मंत्रालय ने चिट्ठी स्‍वीकार नहीं की तो फैक्‍स से जानकारी भेजी गई। कसाब के परिवार को भी कूरियर के जरिए फांसी के बारे में बता दिया गया था। 
कसाब की फांसी पर पाकिस्‍तान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन लश्‍कर-ए-तैयबा के कमांडर ने समाचार एजेंसी 'रायटर' को बताया कि कसाब 'हीरो' था और उसकी 'शहादत और हमलों के लिए प्रेरणा देगी'।
sabhar dainikbhaskar.com

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