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Monday, October 8, 2012

पेशाब में जलन दूर करे बरगद


डॉ दीपक आचार्य
अहमदाबाद। बरगद भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है। बरगद को अक्षय वट भी कहा जाता है, क्योंकि यह पेड कभी नष्ट नहीं होता है। बरगद का वृक्ष घना एवं फैला हुआ होता है। इसकी शाखाओं से जड़े निकलकर हवा में लटकती हैं तथा बढ़ते हुए जमीन के अंदर घुस जाती हैं एंव स्तंभ बन जाती हैं।बरगद का वानस्पतिक नाम फाइकस बेंघालेंसिस है। बरगद के वृक्ष की शाखाएँ और जड़ें एक बड़े हिस्सेक में एक नए पेड़ के समान लगने लगती हैं। इस विशेषता और लंबे जीवन के कारण इस पेड़ को अनश्वंर माना जाता है। पातालकोट के आदिवासियों का मानना है कि तीन महीने तक अगर बरगद के दूध (लेटेक्स) की दो बूंद बताशे में डालकर खाने से पौरूष्त्व बढ़ता है।बरगद की हवाई जड़ों में एँटीऑक्सीडेंट सबसे ज्यादा होता है। इसके इसी गुण के कारण वृद्धावस्था की ओर ले जाने वाले कारकों को दूर भगाया जा सकता है। लगभग १० ग्राम बरगद की छाल, कत्था और २ ग्राम कालीमिर्च को बारीक पीसकर पाउडर बनाया जाए और मंजन किया जाए तो दांतों का हिलना, सडी बदबू आदि दूर होकर दांत साफ और सफ़ेदी प्राप्त करते हैं।पेशाब में जलन होने पर १० ग्राम ग्राम बरगद की हवाई जडों का बारीक चूर्ण, सफ़ेद जीरा और इलायची (२ - २ ग्राम) का बारीक चूर्ण एक साथ गाय के ताजे दूध के साथ लिया जाए तो अतिशीघ्र लाभ होता है। पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार बरगद की जटाओं के बारीक रेशों को पीसकर लेप बनाया जाए और रोज सोते समय स्तनों पर मालिश करने से कुछ हफ्तों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है। (साई फीचर्स) (लेखक हर्बल मामलों के जाने माने विशेषज्ञ हैं)
SABHAR  (साई) 

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