मुजफ्फरनगर (अलर्ट न्यूज)। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के मंडल संयोजक विकास बालियान ने जानकारी देते हुए बताया कि 52 लाख किसानों की कृषि ऋण की रिकवरी पर तत्काल कोर्ट ने रोक लगा दी है। इस मामले में अगली सुनवाई 13 सितम्बर है। मानकर चले कि कम से कम 13 सितम्बर तक तो किसानों को सरकारी रिकवरी से मुक्ति मिल ही गयी है।
उन्होंने बताया कि चीनी मिलों को इस बार वीएम सिंह ने उन्हीं की चाल से प्रास्त किया।
चीनी मिल मालिक चाहते थे कि उनके द्वारा की गई सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना के खिलाफ स. वीएम सिंह सुप्रीम कोर्ट में दोबारा याचिका डालेंगे तो किसानों को गन्ना भुगतान किये जाने का मामला दो तीन साल तक अटक जायेगा और वह दो तीन साल तक किसानों का गन्ना भुगतान नहीं करंेंगे। इसी लिए मिल मालिकों के इरादे भांप कर वीएम सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल करने के स्थान पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ में याचिका दायर कर किसानों को ब्याज सहित भुगतान दिलाये जाने की मांग की। इस प्रकार अब चीनी मिलें जितना भी भुगतान करने में देरी करेंगी उतना ही किसानों को ब्याज देना पडेगा। 15 प्रतिशत ब्याज दर भी किसानों के घर बडी राशि लेकर आयेगी।
यह नजीर किसानों के लिए त्यौहारों पर खुशियों के साथ एक वरदान के रूप में आयी है।
किसान का नाम लेकर संगठन चलाने वाले एवं सियासत करने वाले दलों को चाहिए कि इस आदेश के बाद किसानों को उनका हक दिलाने के लिए सामने आये।
विकास बालियान ने कहा कि वीएम सिंह कहने में नहीं करने में विश्वास रखते है।
उन्होंने बताया कि वीएम सिंह के सामने अलग अलग मुकदमों में मिल मालिकों की ओर से अभिषेक मनु सिंहवी, अरूण जेटली, प्रशान्त भूषण, शान्ति भूषण, विरेन्द्र भाटिया जैसे नामी गरामी वकील पैरवी करते है। फिर भी वीएम सिंह किसानों के पक्ष में फैंसला कराने में सफल रहते है।
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