नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने 26/11 (मुंबई) हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद अजमल कसाब की अपील पर फैसला सुनाते हुए उसकी फांसी की सजा बरकरार रखी है। कोर्ट ने कसाब की अर्जी में उसकी तरफ से रखी गई सभी दलीलें खारिज कर दी (पढि़ए हमले के तत्काल बाद लिखी गई कल्पेश याज्ञनिक की भावोत्तेजकटिप्पणी)। कोर्ट ने कहा है कि यदि देश की संप्रभुता पर हमला होता है तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस अपराध की सबसे बड़ी सजा मिलनी चाहिए। न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति चंद्रमौलि कुमार प्रसाद की स्पेशल बेंच ने कसाब पर फैसला पढ़ने में करीब पांच मिनट का वक्त लिया।
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा कि अब शायद पाकिस्तान इस मामले को गंभीरता से लेगा। लेकिन पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा, 'भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त इस मामले में साक्षात्कार दे चुके हैं, अभी भारत ने हमें कसाब से बात करने की इजाजत नहीं दी है ऐसे में हम कानूनी प्रक्रिया को आगे कैसे बढ़ाएंगे। पाकिस्तान भी मामले की जांच कर रहा है। दोनों ही देश मिलकर आतंकवाद से मिलकर लड़ सकते हैं। अकेले आतंकवाद से लड़ना मुमकिन नहीं हैं।'
अदालत ने कसाब (देखें कसाब के गांव की तस्वीरें) की कम उम्र की दलील ठुकराते हुए कहा कि यह जंग भारत के खिलाफ (देखें मुंबई हमले के बाद की तस्वीरें) थी और इस मामले में कसाब के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। कोर्ट ने कसाब की तरफ से दी गई यह दलील भी खारिज कर दी कि हमले के वक्त वह सिर्फ रोबोट की तरह काम कर रहा था। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार के वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोकतंत्र की जीत करार दिया है।
कसाब को हत्या, हत्या की साजिश, देश के खिलाफ जंग छेड़ना, हत्या में सहयोग देने और गैर कानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई है। अब कसाब के सामने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का विकल्प है। यदि यह याचिका भी खारिज हो गई तो क्यूरीटिव पीटिशन का विकल्प बचता है। आखिर में कसाब राष्ट्रपति के पास दया याचिका भी भेज सकता है। दया याचिका खारिज होने के बाद कसाब के पास कोई विकल्प नहीं बचेगा और उसे फांसी पर लटका दिया जाएगा। लेकिन इस बीच यह सवाल उठने लगा है कि आखिर कसाब को कब तक फांसी हो सकेगी?
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा कि अब शायद पाकिस्तान इस मामले को गंभीरता से लेगा। लेकिन पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा, 'भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त इस मामले में साक्षात्कार दे चुके हैं, अभी भारत ने हमें कसाब से बात करने की इजाजत नहीं दी है ऐसे में हम कानूनी प्रक्रिया को आगे कैसे बढ़ाएंगे। पाकिस्तान भी मामले की जांच कर रहा है। दोनों ही देश मिलकर आतंकवाद से मिलकर लड़ सकते हैं। अकेले आतंकवाद से लड़ना मुमकिन नहीं हैं।'
अदालत ने कसाब (देखें कसाब के गांव की तस्वीरें) की कम उम्र की दलील ठुकराते हुए कहा कि यह जंग भारत के खिलाफ (देखें मुंबई हमले के बाद की तस्वीरें) थी और इस मामले में कसाब के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। कोर्ट ने कसाब की तरफ से दी गई यह दलील भी खारिज कर दी कि हमले के वक्त वह सिर्फ रोबोट की तरह काम कर रहा था। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार के वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोकतंत्र की जीत करार दिया है।
कसाब को हत्या, हत्या की साजिश, देश के खिलाफ जंग छेड़ना, हत्या में सहयोग देने और गैर कानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई है। अब कसाब के सामने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का विकल्प है। यदि यह याचिका भी खारिज हो गई तो क्यूरीटिव पीटिशन का विकल्प बचता है। आखिर में कसाब राष्ट्रपति के पास दया याचिका भी भेज सकता है। दया याचिका खारिज होने के बाद कसाब के पास कोई विकल्प नहीं बचेगा और उसे फांसी पर लटका दिया जाएगा। लेकिन इस बीच यह सवाल उठने लगा है कि आखिर कसाब को कब तक फांसी हो सकेगी?
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