उपमिता वाजपेयी
लेह/लद्दाख। 11500 फीट की ऊंचाई। लेकिन किचन में ताजा सब्जियां। लेह और लद्दाख अब चंडीगढ़ या श्रीनगर से आने वाली सब्जी का मोहताज नहीं है। ये मुमकिन हुआ है डीआरडीओ की तकनीक और किसानों के जतन से। एक ऐसा कमाल, जो यूरोपीय देश नहीं कर पाए, क्योंकि छह से आठ महीने वहां सूर्य निकलता ही नहीं है। लेह स्थित लैब में 75 सब्जियों की पौध तैयार की जा रही है। इनमें से 28 को यहां के किसान अपने खेतों में भी उगाने लगे हैं। लेह से 25 किमी दूर चुशौट गांव के जुबैर अहमद की दो एकड़ जमीन पर हरी सब्जियां लगी हैं। जुबेर अकेले नहीं हैं। उनके जैसे हजारों किसान डीआरडीओ से विपरीत मौसम में सब्जियां उगाने की ट्रेनिंग ले चुके हैं। अब सारे टिह्रश्वस उन्हें रेडियो पर मिलते हैं। दरअसल, लेह और लद्दाख के लोगों और वहां तैनात सैनिकों के लिए बड़े पैमाने पर सब्जियों और अन्य खाद्य सामग्री को चंडीगढ़ और श्रीनगर से मंगाया जाता था। ऐसे में उनका यहां तक ताजा पहुंच पाना मुमकिन नहीं था। सेना और स्थानीय रहवासी ज्यादातर समय आसपास उगने वाली आलू-मूली जैसी दो-तीन सब्जियों से काम चलाते थे।
डीआरडीओ की शाखा डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च (लेह) में 20 साल पहले सब्जियों पर काम शुरू हुआ। चार वैज्ञानिकों ने ये चैलेंज लिया। लद्दाख के लोगों का परिचय टमाटर, गोभी, खीरा और ऐसी ही करीब दो दर्जन सब्जियों से कराया। किसान चौंके, क्योंकि इन सब्जियों को देखना तो दूर, नाम तक नहीं सुने थे। इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर डॉ. आरबी श्रीवास्तव के मुताबिक 28 तरह की सब्जी उगाने की तकनीक किसानों तक पहुंचा दी गई है। इसके अलावा सौ से ज्यादा औषधीय पौधे भी यहां उगाए जा रहे हैं। सियाचीन ग्लेशियर में तैनात जवानों को यहीं से सब्जियां भेजी जाती हैं। इसके अलावा सियाचीन बेस कैंप में ग्रीन हाउस बनाकर सब्जियों की पौध तैयार कर रहे हैं।
डीआरडीओ की शाखा डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च (लेह) में 20 साल पहले सब्जियों पर काम शुरू हुआ। चार वैज्ञानिकों ने ये चैलेंज लिया। लद्दाख के लोगों का परिचय टमाटर, गोभी, खीरा और ऐसी ही करीब दो दर्जन सब्जियों से कराया। किसान चौंके, क्योंकि इन सब्जियों को देखना तो दूर, नाम तक नहीं सुने थे। इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर डॉ. आरबी श्रीवास्तव के मुताबिक 28 तरह की सब्जी उगाने की तकनीक किसानों तक पहुंचा दी गई है। इसके अलावा सौ से ज्यादा औषधीय पौधे भी यहां उगाए जा रहे हैं। सियाचीन ग्लेशियर में तैनात जवानों को यहीं से सब्जियां भेजी जाती हैं। इसके अलावा सियाचीन बेस कैंप में ग्रीन हाउस बनाकर सब्जियों की पौध तैयार कर रहे हैं।
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