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Tuesday, August 28, 2012

सीएम की सिफारिश बन गयी है सपा के गले की हड्डी

विजय उपाध्याय
लखनऊ . यूपी में यूनिवर्सिटी और डिग्रीकॉलेजों के छात्रसंघ चुनाव को लिंगदोह समिति की सिफारिश के आधार पर कराने के सीएम अखिलेश यादव के निर्देश की सपा से जुड़े छात्रनेताओं ने विरोध शुरू कर दिया है। रविवार को छात्रसंघ चुनाव को लेकर छात्र नेताओं की बैठक में सीएम के निर्देश पर कड़ी आपत्ति की है। सीएम के निर्देश के बाद अकेले लखनऊ में 11 छात्र नेताओं की होर्डिग पोस्टर उतार कर उन पर साढ़े तीन लाख का जुर्माना किया गया है। इनमें अधिकांश सपा से जुड़े है।
 सपा के यूथविंग के कार्यालय में हुई बैठक में लिंगदोह की सिफारिशों व सीएम के निर्देशों के अनुपालन की चर्चा हुई जिसमें शामिल विभिन्न यूनिवर्सिटी व डिग्रीकॉलेज के छात्र नेताओं ने अपनी बात रखी। कुछ छात्रनेताओं ने लिंगदोह की सिफारिशों पर आपत्ति जाहिर की, उनका आरोप था कि लिंगदोह की सिफारिशों को आधार बना कर छात्रों का उत्पीड़न हो रहा है। लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. निर्भय सिंह पटेल ने कहा कि पिछली सरकार में यूपी की जो दुर्गति हुयी उसका खामियाजा सबसे ज्यादा छात्रों-नौजवानों को भुगतना पड़ा।
बैठक में मुख्य अतिथि सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी भी मौजूद थे। चौधरी ने छात्रनेताओं की बातों को सुना और भरोसा दिया कि लिंगदोह की सिफारिशों की आड़ में छात्रों को बेवजह परेशान नहीं किया जायेगा।
बैठक की अध्यक्षता समाजवादी छात्रसभा के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल कश्यप व संचालन लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष डा. निर्भय सिंह पटेल ने किया। डा.राजपाल कश्यप ने कहा कि छात्रसंघों के माध्यम से सामान्य परिवार के नौजवान संघर्ष कर देश और प्रदेश की राजनीति में अपनी पहचान बनाते हैं। इसलिए नौजवान छात्रनेताओं से अपील है कि वे सीएम के निर्देशों के अनुपालन में पूर्ण सहयोग करें। छात्रसभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह यादव ने कहा कि तमाम राजनीतिक दल एक साजिश के तहत छात्रसंघ चुनाव नहीं चाहते। जबकि सपा छात्रसंघ चुनाव की पक्षधर रही है।
भाजपा के प्रवक्ता हृदय नरायण दीक्षित ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव लिंगदोह समिति की सिफारिशों के मुताबिक कराने के सीएम के निर्देश के बाद तमाम सपाई छात्र नेता बेचैन है क्योंकि वे उम्मीदवारी की मानक से बाहर हो जाएगें। यूपी में सपा की सरकार बनते ही अखिलेश यादव ने छात्र संघों की बहाली का एलान कर दिया था। 21 मार्च को लिंगदोह समिति की संस्तुतियों के अनुसार छात्रसंघ चुनाव कराए जाने संबंधी शासनादेश भी जारी कर दिया गया था। इसके बाद ही पूरे सूबे में छात्र नेता सक्रिय हो गए। इलाहाबाद में छात्र राजनीति में वर्चस्व बनाने के लिए गोलियां चली और एक छात्र नेता की मौत हो गई। राज्य के कई जगहों से लगातार हिंसक झड़पों की खबरे मिल रही थी।
यूनिवर्सिटी परिसरों में हंगामा होने लगा। लखनऊ के एक प्रतिष्ठित डिग्री कालेज के प्रार्चाय को उनके आफिस में छात्र-नेताओं ने पीट दिया। क्या कहा था अखिलेश ने- ‘यूनिवर्सिटी और डिग्रीकॉलेज के साथ स्थानीय प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि छात्रसंघ चुनाव के नाम पर इस प्रकार की आवांछित गतिविधिया न हों। छात्र राजनीति में ऐसे लोगों को सामने आना चाहिए जो छात्र समुदाय के साथ-साथ समाज में रोल मॉडल के रूप में देखे जाते हों।’
sabhar dainikbhaskar.com

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