नई दिल्ली. किसी भी महिला की ओर से दहेज प्रताडऩा के आरोप में भाई-बहन, परिजनों और रिश्तेदारों को केंद्र सरकार की ओर से बड़ी राहत मिलने वाली है। दहेज कानून में प्रस्तावित संशोधन के मसौदे के अनुसार कोई भी पीडि़त महिला दहेज के नाम पर सिर्फ पति और सास-ससुर पर ही आरोप लगा सकेगी। ससुराल पक्ष के अन्य रिश्तेदारों पर दहेज कानून के तहत आरोप नहीं लगाया जा सकेगा।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने इस नए संशोधन के मसौदे को जल्द ही कैबिनेट में मंजूरी के लिए पेश करने वाला है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने भास्कर से खास बातचीत में कहा, 'अक्सर दहेज प्रताडऩा के मामलों में पीडि़ता अपने पति और सास-ससुर के अलावा उन सभी रिश्तेदारों का भी नाम शामिल करा देती है, जिनका फसाद से कुछ लेना देना नहीं होता। कई बार तो पूरे परिवार को ही दहेज मामले में बेवजह परेशान करने की नीयत से नाम जोड़ दिया जाता है।' कृष्णा तीरथ ने बताया कि मंत्रालय ने विभिन्न घटकों से ढेरों बैठकों के बाद फैसला किया है कि दहेज कानून में बदलाव कर सिर्फ पीडि़ता के पति और अभिभावकों तक ही सीमित करने का फैसला किया है। इससे परिजनों और दूर के रिश्तेदारों को बड़ी राहत मिलने वाली है।
दोषी को हो सकती है सात साल तक की सजा दहेज लेने के मामले में दोषी करार दिए जाने पर आरोपी को सात साल तक की सजा हो सकती है। अब तक किसी दहेज प्रताडऩा के मामले में दोषियों को कोई बड़ी सजा का प्रावधान नहीं है। दहेज कानून संशोधन में लगे विशेषज्ञों की समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि दोषी को ज्यादा से ज्यादा सात साल तक के कारावास की सजा को लागू किया जाए।
उपहारों की लिस्ट सौंपनी होगी सरकार को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से भेजे गए सिफारिशों को भी नए संशोधन में जगह दी गई है। आयोग ने मंत्रालय को सुझाया था कि शादी में मिलने वाले हर उपहार की लिस्ट बनाई जाए और इसे सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट से सत्यापित कराया जाए, ताकि दहेज की शिकायत होने पर बेहतर तरीके से फैसला किया जा सके। अगर अंतिम मसौदे को सांसदों की मंजूरी मिल जाती है तो इसे जल्द कैबिनेट में भेजने की तैयारी है।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने इस नए संशोधन के मसौदे को जल्द ही कैबिनेट में मंजूरी के लिए पेश करने वाला है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने भास्कर से खास बातचीत में कहा, 'अक्सर दहेज प्रताडऩा के मामलों में पीडि़ता अपने पति और सास-ससुर के अलावा उन सभी रिश्तेदारों का भी नाम शामिल करा देती है, जिनका फसाद से कुछ लेना देना नहीं होता। कई बार तो पूरे परिवार को ही दहेज मामले में बेवजह परेशान करने की नीयत से नाम जोड़ दिया जाता है।' कृष्णा तीरथ ने बताया कि मंत्रालय ने विभिन्न घटकों से ढेरों बैठकों के बाद फैसला किया है कि दहेज कानून में बदलाव कर सिर्फ पीडि़ता के पति और अभिभावकों तक ही सीमित करने का फैसला किया है। इससे परिजनों और दूर के रिश्तेदारों को बड़ी राहत मिलने वाली है।
दोषी को हो सकती है सात साल तक की सजा दहेज लेने के मामले में दोषी करार दिए जाने पर आरोपी को सात साल तक की सजा हो सकती है। अब तक किसी दहेज प्रताडऩा के मामले में दोषियों को कोई बड़ी सजा का प्रावधान नहीं है। दहेज कानून संशोधन में लगे विशेषज्ञों की समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि दोषी को ज्यादा से ज्यादा सात साल तक के कारावास की सजा को लागू किया जाए।
उपहारों की लिस्ट सौंपनी होगी सरकार को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से भेजे गए सिफारिशों को भी नए संशोधन में जगह दी गई है। आयोग ने मंत्रालय को सुझाया था कि शादी में मिलने वाले हर उपहार की लिस्ट बनाई जाए और इसे सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट से सत्यापित कराया जाए, ताकि दहेज की शिकायत होने पर बेहतर तरीके से फैसला किया जा सके। अगर अंतिम मसौदे को सांसदों की मंजूरी मिल जाती है तो इसे जल्द कैबिनेट में भेजने की तैयारी है।
sabhar प्रदीप सुरीन dainikbhaskar.com
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