नई दिल्ली। मजबूत लोकपाल के लिए करीब डेढ़ साल पहले शुरू हुआ टीम अन्ना का आंदोलन अब किस ओर जाएगा, इसे लेकर कुछ ठोस संकेत नहीं मिल रहा है। ऐसे में कहा जा रहा है कि इस आंदोलन की मौत हो गई है।
25 जुलाई से अनशन कर रही टीम अन्ना शनिवार को अपनी मांगें पूरी हुए बिना अनशन तोड़ने जा रही है। अब टीम अन्ना देश को राजनीतिक विकल्प देने की तैयारी में है। टीम अन्ना ने जनता से पूछा है कि क्या उन्हें राजनीति में आना चाहिए? इस सवाल के ज्यादातर जवाब हां में आ रहे हैं। लेकिन टीम अन्ना के सदस्य मनीष सिसोदिया ने कहा कि अभी राजनीतिक पार्टी बनाने पर कोई विचार नहीं हो रहा है, बात राजनीतिक विकल्प देने की हो रही है।
शुक्रवार को 23 प्रतिष्ठित नागरिकों ने जैसे ही टीम अन्ना से अनशन छोड़ कर राजनीतिक विकल्प देने की अपील की, टीम अन्ना ने जनता से इस बारे में राय पूछी। तभी दैनिक भास्कर.कॉम ने अपने पाठकों से इस पर रायशुमारी करवाई। हमने अपने पाठकों से सवाल पूछा था कि क्या टीम अन्ना को राजनीतिक पार्टी बनानी चाहिए? इस सवाल के जवाब में 90 फीसदी पाठकों ने माना कि टीम अन्ना को ऐसा करना चाहिए। इससे देश को बेहतर विकल्प मिलेगा। वहीं, महज 10 फीसदी पाठक राजनीतिक पार्टी बनाने के विरोधी हैं। उनका मानना है कि अगर टीम अन्ना राजनीति में आती है तो इससे आंदोलन गलत रास्ते पर चला जाएगा।
25 जुलाई से अनशन कर रही टीम अन्ना शनिवार को अपनी मांगें पूरी हुए बिना अनशन तोड़ने जा रही है। अब टीम अन्ना देश को राजनीतिक विकल्प देने की तैयारी में है। टीम अन्ना ने जनता से पूछा है कि क्या उन्हें राजनीति में आना चाहिए? इस सवाल के ज्यादातर जवाब हां में आ रहे हैं। लेकिन टीम अन्ना के सदस्य मनीष सिसोदिया ने कहा कि अभी राजनीतिक पार्टी बनाने पर कोई विचार नहीं हो रहा है, बात राजनीतिक विकल्प देने की हो रही है।
शुक्रवार को 23 प्रतिष्ठित नागरिकों ने जैसे ही टीम अन्ना से अनशन छोड़ कर राजनीतिक विकल्प देने की अपील की, टीम अन्ना ने जनता से इस बारे में राय पूछी। तभी दैनिक भास्कर.कॉम ने अपने पाठकों से इस पर रायशुमारी करवाई। हमने अपने पाठकों से सवाल पूछा था कि क्या टीम अन्ना को राजनीतिक पार्टी बनानी चाहिए? इस सवाल के जवाब में 90 फीसदी पाठकों ने माना कि टीम अन्ना को ऐसा करना चाहिए। इससे देश को बेहतर विकल्प मिलेगा। वहीं, महज 10 फीसदी पाठक राजनीतिक पार्टी बनाने के विरोधी हैं। उनका मानना है कि अगर टीम अन्ना राजनीति में आती है तो इससे आंदोलन गलत रास्ते पर चला जाएगा।
साभार दैनिक भास्कर
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