टीम अन्ना में फुट डालने का काम कर रही है सरकार
सचिन धीमान
मुजफ्फरनगर। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने में भारत के पहले नागरिक के रूप में गिने व जाने पहचाने जाने वाले अन्ना हजारे का देश को भ्रष्टाचार मुफ्त व लोकपाल बिल लागू कराने के लिए विगत 9 दिनों से चल रहे दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन से देश की केन्द्र कांग्रेस सरकार हिल चुकी है जो अनशन स्थल तक भी पहुंच नहीं पा रही है क्योंकि उसे पता है कि अन्ना हजारे का आंदोलन केंद्र सरकार को लेकर बैठ जायेगा और इसी डर के कारण केन्द्र सरकार ने अन्ना के आंदोलन में फूट डालने का काम कर दिया है। कहीं न कहीं बृहस्पतिवार को जंतर मंतर पर देश की 23 माननीय हस्तियों द्वारा अन्ना हजारे की कौर कमेटी के नाम भेजी गयी हस्ताक्षरयुक्त चिट्ठी के बाद अन्ना टीम द्वारा देशवासियों से राजनीतिक पार्टी बनाये जाने के बारे में जो विकल्प देशवासियों से पूछा गया है उससे ऐसा प्रतीत होने लगा है कि यह कांग्रेस ही एक चाल है अन्ना की कौर कमेटी में फुट डालने की, क्योंकि आजादी से पहले जब देश को आजाद कराने के लिए देश के वीर सपूतों ने कसम खा ली और देश के लिए प्राण न्यौछावर करने को चल दिेय तो अंग्रेजों ने भी हिन्दुस्तान के आंदोलनों में फुट डालो राज करो की नीति अपनाई थी।
अन्ना के आंदोलन से आज जब सारा देश एक होता दिखाई दे रहा है उसे देखकर केन्द्र सरकार के पांव तले से जमीन खिसकनी शुरू हो गयी है और सरकार बिना कुछ बोले अपनी राह में रोडा बने अन्ना हजारे की टीम में फुट डालने की चाल चलना चाहती है जिसमें यदि वह कामयाब हो जाती है वह अन्ना की टीम को लोकपाल बिल पास कराने से रोकने में तथा जनता की बुलंद होती आवाज को चुप करने में सफल हो जायेगी। जिससे अन्ना टीम राजनीतिक पार्टी बनाकर देश में राजनीति करने के लिए विश्वस होगी और इस राजनीति पार्टी का पूरा और सीधा लाभ लालचवश कांग्रेस अपने खेमे में ही ले जायेगी। क्योंकि आज जो सहयोग अन्ना हजारे की टीम को देशवासियों का मिल रहा है उसमें कहीं न कहीं वो लोग भी शामिल है जो कांग्रेस के वोटर है तो इनमें कुछ भाजपा, सपा, व अन्य राजनैतिक पार्टियों के वोटर है क्योंकि मतदान के समय वोटर किस प्रत्याशी को मत करेगा यह बात कोई नहीं जानता है और मतदान से कुछ समय पूर्व ही पैसों के भूखे भेडियों अपने पक्ष में मतदान कराने के लिए वोटरों को लालचवश अपने पक्ष में करने में कामयाब हो जाते है। ऐसे में अन्ना टीम को बडे ही सोमच समझकर कदम उठाने की जरूरत है। क्योंकि अन्ना टीम इस समय अपने बुलंद हौंसलों के साथ बडे ही धैयपूर्वक अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ रही है। अन्ना टीम का आंदोलन लक्ष्य की ओर तेजी के साथ बढते कदमों और उनके साथ जुड रहे देशवासियों के सहयोग को देखकर केन्द्र सरकार हिल चुकी है ओर इसी का परिणाम है कि केन्द्र सरकार अपनी कहीं न कहीं कुटनीति के तहत अन्ना टीम में फुट डालना चाहती है। क्योंकि देश की केन्द्र सरकार को अब अपने ऊपर पूरा विश्वास हो चुका है कि वह अन्ना हजारे के आन्दोलन के सामने एक ना एक दिन झुकना पडेगा और देश में लोकपाल बिल लाना होगा। यदि लोकपाल बिल देश में लाया जाता है तो उसके आने से सबसे पहले लोकपाल बिल के दायरे में आकर केन्द्र की सत्तारूढ कांग्रेस पार्टी के बडे बडे नेता ही फंसेंगे। इसी डर के कारण केन्द्र सरकार नौ दिन अन्ना टीम के अनशन स्थल पर भी नहीं पहुंचे ओर न ही अपना कोई संदेश पहुंचाया। परंतु अन्ना टीम में फुट डालने के लिए यह कदम उठाने में कहीं ना कहीं केन्द्र सरकार की सबसे बडी चाल है क्योंकि जब किसी मजबूत संगठन को तोडना हो तो उसे सीधे तोडना जब नामुमकिन हो जाता है तो उस समय उसकी पीठ पर वार करना चाहिए। केन्द्र की सत्तारूढ पाटी कांग्रेस ने भी यही चाल टीम अन्ना पर चलने की कोशिश करते हुए टीम अन्ना के अनशन को समाप्त कराने का कार्य शुरू कर दिया है और केन्द्र सरकार के पास टीम अन्ना को तोडने का इससे सर्वश्रेष्ठ कोई अन्य रास्ता नहीं मिल सकता था। अन्ना टीम में राजनीति की फुट डालकर ही उसे तोडने का सबसे बडी नीति की सरकार की सोच बन सकती है ओर इन्हीं अपने मंसूबों को लेकर कांग्रेस व सरकार अन्ना टीम में राजनीति पार्टी बनाने की नींव डलवाकर उसमें फुट डालने का काम करने का प्रयास कर रही है और यदि कांग्रेस व देश की केन्द्र सरकार अपने मंसूबों में कामयाब हो जाती है तो वह टीम अन्ना को हमेशा हमेशा के लिए उसके लक्ष्य, कर्तव्य व मार्ग से भटका देगी। परंतु यदि अन्ना टीम समझती है कि उन्हें राजनीति में आये बिना लोकपाल बिल लाया जाना नामुमकिन है तो इसके लिए उन्हें अपनी स्वयं की राजनैतिक पार्टी न बनाकर एक ऐसी पार्टी को समर्थन देना चाहिए जो अन्ना को अपना पूर्ण समर्थन देने को तैयार हो और वह अन्ना टीम के नियमों व शर्तांे को लागू कर सरकार से मनवाकर लोकपाल बिल पास करा सके। इसलिए अन्ना टीम को अपने बढते कदमों के साथ अपने लक्ष्य की ओर आगे बढते रहना चाहिए चाहे इसके लिए टीम अन्ना को अपना अनशन खत्म करना पडे परंतु टीम अन्ना को अपने लक्ष्य की ओर आगे बढते हुए देश की जनता के अंदर भ्रष्टाचार के खिलाफ ज्योति जगाते रहना चाहिए। पंरतु बीच में ही इस आंदोलन को रोकना और राजनीतिक पार्टी बनाना टीम अन्ना के लिए सही सिद्ध नहीं होगा।
अन्ना के आंदोलन से आज जब सारा देश एक होता दिखाई दे रहा है उसे देखकर केन्द्र सरकार के पांव तले से जमीन खिसकनी शुरू हो गयी है और सरकार बिना कुछ बोले अपनी राह में रोडा बने अन्ना हजारे की टीम में फुट डालने की चाल चलना चाहती है जिसमें यदि वह कामयाब हो जाती है वह अन्ना की टीम को लोकपाल बिल पास कराने से रोकने में तथा जनता की बुलंद होती आवाज को चुप करने में सफल हो जायेगी। जिससे अन्ना टीम राजनीतिक पार्टी बनाकर देश में राजनीति करने के लिए विश्वस होगी और इस राजनीति पार्टी का पूरा और सीधा लाभ लालचवश कांग्रेस अपने खेमे में ही ले जायेगी। क्योंकि आज जो सहयोग अन्ना हजारे की टीम को देशवासियों का मिल रहा है उसमें कहीं न कहीं वो लोग भी शामिल है जो कांग्रेस के वोटर है तो इनमें कुछ भाजपा, सपा, व अन्य राजनैतिक पार्टियों के वोटर है क्योंकि मतदान के समय वोटर किस प्रत्याशी को मत करेगा यह बात कोई नहीं जानता है और मतदान से कुछ समय पूर्व ही पैसों के भूखे भेडियों अपने पक्ष में मतदान कराने के लिए वोटरों को लालचवश अपने पक्ष में करने में कामयाब हो जाते है। ऐसे में अन्ना टीम को बडे ही सोमच समझकर कदम उठाने की जरूरत है। क्योंकि अन्ना टीम इस समय अपने बुलंद हौंसलों के साथ बडे ही धैयपूर्वक अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ रही है। अन्ना टीम का आंदोलन लक्ष्य की ओर तेजी के साथ बढते कदमों और उनके साथ जुड रहे देशवासियों के सहयोग को देखकर केन्द्र सरकार हिल चुकी है ओर इसी का परिणाम है कि केन्द्र सरकार अपनी कहीं न कहीं कुटनीति के तहत अन्ना टीम में फुट डालना चाहती है। क्योंकि देश की केन्द्र सरकार को अब अपने ऊपर पूरा विश्वास हो चुका है कि वह अन्ना हजारे के आन्दोलन के सामने एक ना एक दिन झुकना पडेगा और देश में लोकपाल बिल लाना होगा। यदि लोकपाल बिल देश में लाया जाता है तो उसके आने से सबसे पहले लोकपाल बिल के दायरे में आकर केन्द्र की सत्तारूढ कांग्रेस पार्टी के बडे बडे नेता ही फंसेंगे। इसी डर के कारण केन्द्र सरकार नौ दिन अन्ना टीम के अनशन स्थल पर भी नहीं पहुंचे ओर न ही अपना कोई संदेश पहुंचाया। परंतु अन्ना टीम में फुट डालने के लिए यह कदम उठाने में कहीं ना कहीं केन्द्र सरकार की सबसे बडी चाल है क्योंकि जब किसी मजबूत संगठन को तोडना हो तो उसे सीधे तोडना जब नामुमकिन हो जाता है तो उस समय उसकी पीठ पर वार करना चाहिए। केन्द्र की सत्तारूढ पाटी कांग्रेस ने भी यही चाल टीम अन्ना पर चलने की कोशिश करते हुए टीम अन्ना के अनशन को समाप्त कराने का कार्य शुरू कर दिया है और केन्द्र सरकार के पास टीम अन्ना को तोडने का इससे सर्वश्रेष्ठ कोई अन्य रास्ता नहीं मिल सकता था। अन्ना टीम में राजनीति की फुट डालकर ही उसे तोडने का सबसे बडी नीति की सरकार की सोच बन सकती है ओर इन्हीं अपने मंसूबों को लेकर कांग्रेस व सरकार अन्ना टीम में राजनीति पार्टी बनाने की नींव डलवाकर उसमें फुट डालने का काम करने का प्रयास कर रही है और यदि कांग्रेस व देश की केन्द्र सरकार अपने मंसूबों में कामयाब हो जाती है तो वह टीम अन्ना को हमेशा हमेशा के लिए उसके लक्ष्य, कर्तव्य व मार्ग से भटका देगी। परंतु यदि अन्ना टीम समझती है कि उन्हें राजनीति में आये बिना लोकपाल बिल लाया जाना नामुमकिन है तो इसके लिए उन्हें अपनी स्वयं की राजनैतिक पार्टी न बनाकर एक ऐसी पार्टी को समर्थन देना चाहिए जो अन्ना को अपना पूर्ण समर्थन देने को तैयार हो और वह अन्ना टीम के नियमों व शर्तांे को लागू कर सरकार से मनवाकर लोकपाल बिल पास करा सके। इसलिए अन्ना टीम को अपने बढते कदमों के साथ अपने लक्ष्य की ओर आगे बढते रहना चाहिए चाहे इसके लिए टीम अन्ना को अपना अनशन खत्म करना पडे परंतु टीम अन्ना को अपने लक्ष्य की ओर आगे बढते हुए देश की जनता के अंदर भ्रष्टाचार के खिलाफ ज्योति जगाते रहना चाहिए। पंरतु बीच में ही इस आंदोलन को रोकना और राजनीतिक पार्टी बनाना टीम अन्ना के लिए सही सिद्ध नहीं होगा।
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