Pages

Tuesday, August 14, 2012

65वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे देशवासी आज भी है भ्रष्टाचार के गुलाम


अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली तो देश के भ्रष्ट अधिकारियों व सफेदपोशधारी नेताओं के गुलाम हो चुके भारतवासी

स्वतंत्र भारत में रहने वाली देश की जनता ले रही है भ्रष्टचार में भ्रष्ट सांस 
भ्रष्टचार में भ्रष्ट सांस लेने से हो रहा देश की जनता का जीना दुर्भरब
जादी का 65वां स्वतंत्रता दिवस आने पर हमारा मन गदगद हो उठा। पिछले साल हमने 65वां स्वतंत्रता दिवस मनाया था और अब वह दिन दूर नहीं जब देश को आजाद हुए 100 वर्ष पूरे हो जायेंगे। अब आजाद हुए हिन्दुस्तान को 100 वर्ष पूरे होने में मात्र 35 वर्ष ही शेष है। यह भी जल्द ही जा जायेंगे और फिर हम अपनी आजादी का 100वां वर्ष बड़े ही धूमधाम के साथ मनायेंगे। आज यदि वास्तव में देश के अंदर हो रहे विकास कार्यों पर नजर डाली जाये तो ज्ञात होता है कि हमें आजाद हुए 65 वर्ष पूरे हो चुके है लेकिन आज हम अपने ही देश में ही भ्रष्ट नेताओं व प्रशासनिक अधिकारियों के कारण भ्रष्टाचार के गुलाम बन चुके है जिसमें से निकलना शायद अब हमारे हाथ में नहीं रहा है परंतु फिर भी निकलने का प्रयास कर रहे है। क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों के खिलाफ देश के अंदर भ्रष्टाचारी इन्हें झूठे व फर्जी आरोप लगाकर अपने आपको भ्रष्टतंत्र में फंसने से बचाने का प्रयास करते है। देश को चलाने की बात करने वाले सफेदपोशधारी ये भ्रष्ट नेता व भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारी अपने भ्रष्ट फन को कुचलने वालों को देश में जीने नहीं देना चाहते है। परंतु सच्चाई यह है कि जब-जब धरती पर पाप बढा है तब-तब भगवान ने पाप को मिटाने के लिए विभिन्न रूपो में जन्म लेकर पाप का सत्यनाश किया है। लेकिन जब भ्रष्टाचार रूपी पाप का घडा भर जाता है तो जरूर फटता है और अब समय है गया है कि देश में भ्रष्टाचार रूपी पाप का घडा फुटने वाला है क्योंकि भ्रष्ट नेताओं की पोल व राज भी देश के दूसरे भ्रष्ट नेता ही खोल रहे है। अब वह दिन दूर नही ंहै जब देश के अंदर पनप रहा भ्रष्टाचार के फने को देश की जनता एक साथ खडी होकर कुचल देगी। इसका नजरा भी 13 अगस्त सोमवार को दिल्ली में रामलीला मैदान से संसद भवन की ओर कूच कर रहे बाबा रामदेव को समर्थकों व आंदोलनकारियों को देखने से स्पष्ट हो गया है। यह भी सच्चाई है कि बूंद-बंूद से ही घडा भरता है और यदि हम एक लाठी लेकर चले तो वह लाठी टूट जाती है परंतु यदि हम एक साथ दस लाठी लेकर चले तो वह इतनी मजबूत होती है कि वह कभी नहीं टूट सकती है और अब ऐसा ही समय आने वाला है कि देश की आम जनता जर्नाधन जो देश को चलाने वाले सफेदपोशधारी नेताओं को देश को चलाने की अनुमति देती है और नेताओं को चुनकर देश पारलामेंट में भेजती है और अब देश की जनता जर्नाधन भ्रष्ट अधिकारियों से लेकर हर सफेदपोशधारी नेताओं को इसकी सजा देगी। अंग्रेजों द्वारा जब भारत पर अपना कब्जा कर लिया गया था और भारत में अंग्रेजी हुकूमत कर देशवासियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया उस समय भी अंग्रेजों के अत्याचार को खत्म करने के लिए देश के शहीद भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, सुभाष चन्द बोस, बापू महात्मा गांधी जी आदि नौजवान वीर आगे आये और अपने प्राणों को देशवासियों और भारत मां की रक्षा करने को हंसते-हंसते अंग्रेजी हुकूमत के बढते अत्याचारों के फने को कुचलते हुए नौछावर कर दिये और भारत मां को अंग्रेजों की अंग्रेजी हुुकूमत से आजाद कराते हुए देशवासियों को आजादी दिलायी थी। लेकिन देशवासी भारत को आजाद हुए 64 वर्ष पूरे होने के बाद भी यह भूल गये कि इन्हें आजादी ऐसे नहीं मिली बल्कि भारत माता को आजाद कराने के लिए बडी-बडी कुर्बानियां देनी पडी तब जाकर देश अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था और अब इस आजाद भारत के अंदर खुली सांस लेकर जी रहे है हम। लेकिन इसी आजादी के बाद भी आज देश अपने ही सफेदपोश नेताओं व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा फैलाये जा रहे भ्रष्टाचार की जकड में फंस चुका है आज एक बार फिर देश की वही स्थिति हो चुकी है जो 64 वर्ष पहले भारत की थी। अंतर है तो सिर्फ इतना कि उस समय देश में अंग्रेजी हुकूमत का राज था और अब देश में देशवासियों का राज है। परंतु स्थिति उस से भी ज्यादा बदतर हो चुकी है। क्योंकि अंग्रेजी हुकूमत के समय अंग्रेज अपने बनाये गये नियमों व कानून के आधार पर ही चलते थे लेकिन अब देश को चलाने वाले व देशवासी कानून या नियमों पर नहीं बल्कि पैसे पर चलते है। आज देश में भ्रष्टाचार ने अपनी जड दुबडे की नाल की तरह फैला ली है जो हर सरकारी कार्यालय से शुरू होकर गांव-शहर गली मौहल्ले से होती हुई हर उस कार्यालय तक है जहां से प्रदेश सहित देश को चलाने के लिए कमान दी जाती है। यहां तक की देश की रक्षा करने वाली सेना में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। आज देशवासियों सहित देश के नेता व प्रशासनिरक अधिकारी उन शहीदों के बलिदान को भूल चुके है जिन्होंने देश को आजाद कराने में हंसते-हंसते अपने प्राण नौछावर कर दिये और इस अंग्रेजों द्वारा गुलाम किये गये भारत को आजाद कराया। जिस समय अंग्रेजी हुकूमत से लडने के लिए चन्द्रशेखर आजाद, शहीद भगत सिंह आदि देश के वीर जवानों ने बिडा उठाया तो अंग्रेजों ने उन्हें भी कुचलने का प्रयास किया था लेकिन एक के बाद एक वीर जवान अंग्रेजी हुकूमत से लौहा लेने के लिए आगे आते गये और अंग्रेजी हुकूमत से लडने को देश में वीर जवानों की एक बडी फौज तैयार हो गयी क्योकि उस समय जहां महात्मा गंाधी जी ने सत्यग्रह आंदोलन चलाकर लोगों को जागरूक कर अंग्रजों के खिलाफ लडाई का बुगुल बजाया वहीं सुभाष चन्द्र बोस ने भी अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए अपनी सेना तैयार कर अंग्रेजों को कुचने की तैयारी कर दिल्ली की ओर प्रस्थान कर दिया। उस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग कार्यक्रम अलग-अलग स्थानों पर किये गये थे और देश के हर कोने में अंग्रेजों के खिलाफ बुगुल बजाया गया था जिससे देखकर अंग्रेजी हुकूमत के पैरों तले से जमीन खिसक गयी थी लेकिन अंग्रेजों ने भी अपनी कुटनीति चलते हुए उनके खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाने का प्रयास किया था परंतु अंग्रेजों के लाख प्रयास के बाद भी देश के वीर जवानों के बुलंद हौंसले देख अंग्रेजों को देश के वीर जवानांे के सामने घुटने टेकने पडे और भारत छोडकर जाना पडा। आज देश में भ्रष्टाचार अपनी चरमसीमा पर पहुंच चुका है और भ्रष्टाचार के खिलाफ जो जंग विगत स्वतंत्रता दिवस के समय अगस्त माह में अन्ना हजारे ने शुरू की है वह जंग एक साल तक चलती रही लेकिन अन्ना हजारे एक साल बाद अगस्त माह 2012 में इस आंदोलन के कामयाब न होने पर आंदोलन को समाप्त कर राजनैतिक पार्टी बनाने की ओर चल पडे लेकिन इस लडाई को लड रहे रामदेव अपने समर्थकों के साथ विगत 9 अगस्त 2012 से रामलीला मैदान में कालेधर की वापिस व भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया जिसमें देखते ही देखते देश के लाखों लोग कूद पडे ओर सोमवार 13 अगस्त को दिल्ली की सडकों पर रामदेव के साथ खडे दिखाई दिये जिससे केन्द्र सरकार के पैरों तले से जमीन खिसकनी शुरू हो गयी और वह धीरे धीरे कालेधन वापिस की ओर चर्चा करने पर वापिस लौटती दिखाई देने लगी है। रामदेव की आवाज को एक सूर में बांध तेज करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से आम जनता जर्नाधन की आवाज अन्ने हजारे के बाद अब रामदेव के साथ देश से भ्रष्टाचार मिटाने व कालेधन वापिस को उठ रही है लेकिन देश के अंदर बैठे भ्रष्टाचारी भी अपने आपको सीधे जेल में जाने का रास्ता खुला देखते हुए अन्ना की तरह रामदेव के आंदोलन को इस भ्रष्टाचार मिटाने की मुहीम को पूरा न होने देने में अंग्रेजी हुकूमत की तरह कुटनीति से राजनीति कर दबाने का प्रयास कर रहे है और विभिन्न प्रकार से अन्ना की तरह रामदेव को किसी भी तरह रोकने के लिए हरसम्भव उसके रास्ते में रूकावटे पैदा कर रहे है परंतु देश के लाखों लोगों के समाने नाकामयाब साबित होने दिखाई देने लगे हे। अब वह समय भी दूर नहीं जब एक अन्ना हजारे के बाद रामदेव के साथ हजारों रामदेव बनकर भ्रष्टाचार के खिलाफ खडे हो जायेंगे। 15 अगस्त 2011 को समस्त देशवासी हिन्दुस्तान की आजादी की 65वीं वर्षगांठ बनायेगा और 9 अगस्त को सूरज की किरणों के साथ ही देश से भ्रष्टाचार को जड से मिटाने का बिडा उठा चुके रामदेव दिल्ली में भ्रष्टाचार व कालेधन के खिलाफ जारी अनशन को देखते हुए आज स्पष्ट प्रतीत होता है कि एक बार फिर जो आंदोलन देश में सफेदपोशधारी भ्रष्ट नेताओं व प्रशासनिक अधिकारियांे के खिलाफ जारी हुआ है वह आजादी का दूसरा आंदोलन है जिसकी नींव रामदेव द्वारा रखी गयी है। इस आंदोलन में देश का हर वो आम व्यक्ति भाग ले रहा है जो देश के अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार से त्रस्त और अजीज आ चुका है वो आम व्यक्ति अन्ना हजारे के बाद अब रामदेव के आंदोलन की एक बडी ताकत के रूप में भ्रष्टाचार के खिलाफ खडा दिल्ली में सोमवार को दिखाई दिया। जिसका अंदाजा देश की सरकार ने भी नहीं लगा पाया था। क्योंकि आज अपने आपको देश का नेता कहलवाने वाले सफेदपोशीधारी नेता इस बात को भूल गये है कि वह विधानसभा, लोकसभा व संसद (पारलामेंट) तक अपने आप नहीं पहुंच गये बल्कि देश की जनता जर्नाधन ने उन्हें चुनकर यहां तक पहुंचाया हैै और जनता जर्नाधन की वोट में इतना दम होता है कि वह अपनी एक वोट से नेता का भविष्य बना सकते है और एक ही वोट से नेता के भविष्य को बनते हुए डूबा सकते है। लेकिन देश के नेता विधानसभा, लोकसभा व संसद (पारलामेंट) में बैठकर नोटों की चमक देख देश की जनता की वोट का कीमत भूल गये है कि उनका भविष्य देश की जनता की मुठी में कैद है जो पलभर में पासा पलट देती है लेकिन देश को चलाने वाले ये नेता इस बात को विधानसभा, लोकसभा व संसद (पारलामेंट) में बैठकर भूल जाते है और चला देते है देश की निर्देश जनता पर लाठियां, परंतु आज शिक्षित इस आधुनिक युग में हर व्यक्ति स्वतंत्र और अपने अधिकारों कोे जानता है कि उसे कब क्या करना है अच्छी प्रकार समझता है? इसलिए अब देश की जनता भ्रष्टाचार से तंग आ चुकी है और इस भ्रष्टाचार रूपी भेडियों के खिलाफ आजादी के 65वें वर्ष शुरू होने के बाद ही देश में पनप रहा भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा। 
(लेखक सचिन धीमान के स्वतंत्र विचार)

No comments:

Post a Comment