जो बांग्लादेशी घुसपैठियों को ब्लाक नहीं कर रहे हैं, वह अब इंटरनेट ब्लाक कर रहे हैंः तोगडिया
सरकार का यह कदम असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक एवं कानून के विरूद्ध है
नई दिल्ली (अलर्ट न्यूज)। भारत के नागरिकों की भावना और इंटरनेट पर अभिव्यक्ति को ‘‘हेट स्पीच’’ कहके कुछ राजनतिक नेता अपनी बांग्लादेश से आयात की हुई वोट बैंक के लिए ‘‘लव स्पीच’’ देकर उनके लिए काम कर रहे हैं। परन्तु भारत के नागरिक असम के शरणार्थी, अनुसूचित जाति के मानवाधिकार के बारे में चुप है।’’ उक्त बाते मीडिया को जारी किये गये प्रेसनोट में विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगड़िया ने कही। केन्द्र सरकार के टेलीकॉम विभाग के द्वारा इंटरनेट सर्विस प्रोवाईडर को कुछ पत्रकार एवं अन्य लोगों के सलेक्टेड ट्यूटर ब्लाक करने के संदर्भ में टिप्पणी करते हुए विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि ‘‘मीडिया के द्वारा जानकारी प्राप्त हुई है कि संघ परिवार, पांचजन्य, डॉ0 प्रवीण तोगडिया, एवं कुछ पत्रकारों के सलेक्टेड टयूटर एकाउण्ट जंगली ऑडर के द्वारा उन सबको असम की हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराकर ब्लाक किया है। उन्होंने कहा कि यह तो ऐसी बात हुई केंसर के रोगी को केंसर का इलाज न करते हुए सिर्फ मेटासीन की गोली दी जाए। सरकार न तो 3 करोड बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर निकाल रही है, न तो उनके स्थानीय समर्थकों को दण्ड दे रही है और न तो बम्बई में पुलिस पर हमला करने वालों को पकड रही है। 3 करोड के करीबन बांग्लादेशी देश भर में फैलकर असम के रहने वाले भारतीय नागरिकों का नरसंहार कर रहे हैं, हुजी जैसे आतंकवादी संगठनों से जुडकर देश में आतंक फैला रहे हैं और उनके स्थानीय समर्थकों की मदद से उ.पू. के लोगों को पूरे भारत से भगा रहे हैं। परन्तु वोट बैंक राजनीति के कारण सरकार उनके विरूद्ध कदम नहीं उठा रही हैं। परन्तु यह राष्ट्रविरोधी गतिविधियांें का विरोध करने वाले भारत के नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकार पर प्रतिबन्ध लगा रहे हैं।
डॉ. तोगडिया ने पूछा ‘‘1990 में कश्मीर में हिन्दुओं का नरसंहार हुआ कौन सा ट्यूटर था? 1947 में 10 लाख लोगों की कत्ल और 1 करोड शरणार्थी बने कौन सा टयृटर था? 1975 में आपातकाल में कौन सा टयृटर था? बांग्लादेशी घुसपैठियों का गंभीर प्रश्न वोट बैंक के राजनीतिक के कारण सरकार सुलझाना नहीं चाहती है।
उन्होंने कहा कि आपातकाल से लेकर समय-समय देश ऐसे कानून विरोधी एवं मुंह बन्द करने वाले आदेश से परिचित है। कभी आपातकाल में समाचार पत्रों पर, अब मोबाईल के एसएमएस पर एवं इंटरनेट, टयूटर पर। आगे जाकर समाचार पत्र और टीवी चैनल की लोकतांत्रिक आवाज दवाने का प्रयत्न हो सकता है। बांग्लादेशियों के प्रश्न पर विफल सरकार का दूसरों पर विफलता का आरोप लगाने का यह प्रयास है। देश जानता है कि उसका उत्तर कैसे देना। ऐसे ‘‘टयूटर हेंडल ब्लाक, लोकतंत्र का ब्लाक है। हम यह असंवैधानिक, अलौकतांत्रिक एवं कानून विरोधी अत्याचार का विरोध करते हैं और सरकार के विरूद्ध कानूनी विकल्प के बारे सोच रहे हैं।
नई दिल्ली (अलर्ट न्यूज)। भारत के नागरिकों की भावना और इंटरनेट पर अभिव्यक्ति को ‘‘हेट स्पीच’’ कहके कुछ राजनतिक नेता अपनी बांग्लादेश से आयात की हुई वोट बैंक के लिए ‘‘लव स्पीच’’ देकर उनके लिए काम कर रहे हैं। परन्तु भारत के नागरिक असम के शरणार्थी, अनुसूचित जाति के मानवाधिकार के बारे में चुप है।’’ उक्त बाते मीडिया को जारी किये गये प्रेसनोट में विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगड़िया ने कही। केन्द्र सरकार के टेलीकॉम विभाग के द्वारा इंटरनेट सर्विस प्रोवाईडर को कुछ पत्रकार एवं अन्य लोगों के सलेक्टेड ट्यूटर ब्लाक करने के संदर्भ में टिप्पणी करते हुए विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि ‘‘मीडिया के द्वारा जानकारी प्राप्त हुई है कि संघ परिवार, पांचजन्य, डॉ0 प्रवीण तोगडिया, एवं कुछ पत्रकारों के सलेक्टेड टयूटर एकाउण्ट जंगली ऑडर के द्वारा उन सबको असम की हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराकर ब्लाक किया है। उन्होंने कहा कि यह तो ऐसी बात हुई केंसर के रोगी को केंसर का इलाज न करते हुए सिर्फ मेटासीन की गोली दी जाए। सरकार न तो 3 करोड बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर निकाल रही है, न तो उनके स्थानीय समर्थकों को दण्ड दे रही है और न तो बम्बई में पुलिस पर हमला करने वालों को पकड रही है। 3 करोड के करीबन बांग्लादेशी देश भर में फैलकर असम के रहने वाले भारतीय नागरिकों का नरसंहार कर रहे हैं, हुजी जैसे आतंकवादी संगठनों से जुडकर देश में आतंक फैला रहे हैं और उनके स्थानीय समर्थकों की मदद से उ.पू. के लोगों को पूरे भारत से भगा रहे हैं। परन्तु वोट बैंक राजनीति के कारण सरकार उनके विरूद्ध कदम नहीं उठा रही हैं। परन्तु यह राष्ट्रविरोधी गतिविधियांें का विरोध करने वाले भारत के नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकार पर प्रतिबन्ध लगा रहे हैं।
डॉ. तोगडिया ने पूछा ‘‘1990 में कश्मीर में हिन्दुओं का नरसंहार हुआ कौन सा ट्यूटर था? 1947 में 10 लाख लोगों की कत्ल और 1 करोड शरणार्थी बने कौन सा टयृटर था? 1975 में आपातकाल में कौन सा टयृटर था? बांग्लादेशी घुसपैठियों का गंभीर प्रश्न वोट बैंक के राजनीतिक के कारण सरकार सुलझाना नहीं चाहती है।
उन्होंने कहा कि आपातकाल से लेकर समय-समय देश ऐसे कानून विरोधी एवं मुंह बन्द करने वाले आदेश से परिचित है। कभी आपातकाल में समाचार पत्रों पर, अब मोबाईल के एसएमएस पर एवं इंटरनेट, टयूटर पर। आगे जाकर समाचार पत्र और टीवी चैनल की लोकतांत्रिक आवाज दवाने का प्रयत्न हो सकता है। बांग्लादेशियों के प्रश्न पर विफल सरकार का दूसरों पर विफलता का आरोप लगाने का यह प्रयास है। देश जानता है कि उसका उत्तर कैसे देना। ऐसे ‘‘टयूटर हेंडल ब्लाक, लोकतंत्र का ब्लाक है। हम यह असंवैधानिक, अलौकतांत्रिक एवं कानून विरोधी अत्याचार का विरोध करते हैं और सरकार के विरूद्ध कानूनी विकल्प के बारे सोच रहे हैं।
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