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Sunday, August 5, 2012

समाजसेवा ·े बहाने अधि·ारियों से नजदी·ी बढ़ा रहे है अपराधी

मुजफ्फरनगर। अधि·ारियों से नजदी·ी बढ़ा·र ·ुछ लोग अपने उल्टे-सीधे ·ामों ·ो अंजाम देने में जुटे हुए है। अधि·ारी भी यह नहीं सोचते ·ि आखिर यह व्यक्ति ·ौन है? इस·ा ·ौन-सा ·ारोबार है और समाज में इस·ी क्या छवि है? ऐसे लोग ·िसी न ·िसी आयोजन ·े बहाने अधि·ारियों ·े नि·ट खडे हो·र अपने फोटो खिंचवा·र समाज पर अपनी गहरी छाप छोड़ते है और अधि·ारियों ·े साथ खिंचवाये गये फोटो ·ो फ्रेम में जड़वा·र अपने प्रतिष्ठानों पर लगा लेते है, जिससे उनसे मिलने आने वालों ·ो पता चल जाये ·ि इस·ी अधि·ारियों से अच्छी सांग-गांठ है। ऐसे लोग ·िसी न ·िसी तरह से अपने ·ाले ·ारनामों पर पर्दा डालने में ·ामयाब हो जाते है। ऐसे लोग पुलिस ·े लिए दुधारू गाय ·ी तरह ही है जिन·ा दोहन होता रहता है फिर यह भी अपने ·ाले ·ारनामों ·ो आसानी से पुलिस ·े संरक्षण में अंजाम देते रहते है। अधि·ांश ऐसे लोग नगर में ग्रीन ·ार्ड शिविर ·ा आयोजन ·र ग्रीन ·ार्डों पर अपने नाम छपवा लेते हे और उस·ा पूरा लाभ उठाते है। ग्रीन ·ार्ड पर नाम छपे होने ·े ·ारण अधि·ारियों ·े साथ बैठ·र ·ार्य·्रम ·ो सफल बनाने में पुलिस ·ी मिलीभगत भी उजागर हो रही है। यह ·िसी से छुपा नहीं है ·ि पुलिस ·े हर ·ार्य·्रम ·ा ·ोई न ·ोई प्रायोज· अवश्य होता है और पुलिस ·ो ऐसे लोगों से भला और ·ौन मिलेगा? जो प्रायोज· बन स·े। खुफिया तंत्र भी इन पर निगरानी नहीं रख पा रहा है या फिर इन लोगों ·े विरूद्ध ठी· से सूचना ए·त्र नहीं ·र पा रहा है। शायद इसी ·ारण जनपद पुलिस से बदमाशों ·ा खौफ खत्म हो गया है और बदमाशों से खुलेआम दिनदहाडे लूट चोरी हत्या ऐसी वारदातों ·ो अंजाम दे·र चले आते है और पुलिस है ·ि जनपद ·े सफेदपोश नेताओं ·े पास बैठ·र चाय ·ी चुस·ियां लेते रहते है और जब आंख खुलती है तो बदमाशों ·ा ·ुछ पता नहीं होता ·ि बदमाश घटना ·ो अंजाम दे·र ·िस ·ोने में घुस गये।
इतना ही नहीं जनपद में इसी तरह ·े यातायात नियमों ·ी जान·ारी देने ·े लिए शिविर लगाए जाते है जिन·ा खर्चा भी ऐसे लोग उठाते हैं, जो अधि·ारियों ·े नजदी· खड़े ओर अपने फोटो खिंचवा·र अपने प्रतिष्ठान, ऑफिस व घरों में इन फोटों ·ो बड़े ·रा·र फोटो फ्रेम में जड़वा·र लगा लेते है और उन·े पास आने वाले लोगों पर इस·ा प्रभाव छोड़·र लोगों ·े बीच चर्चा में रहते है। अधि·ारी भी ऐसे लोगों से शिविरों ·ा खर्चा उठाने पर खुश नजर आते है, क्यों·ि अधि·ारियों ·ा मान सम्मान बढ़ता नजर आता है और जेब से ए· रूपया खर्च नहीं होता है, ले·िन अधि·ारियों ·ो शायद ऐसे लोगों ·ी मंशा ·ा पता नहीं होता ·ि ये लोग मात्र अपने ·ारोबार ·ो चलाने ·े लिए इन अधि·ारियों से उल्टे सीधे ·ाम अंजाम देने में जुट जाते है अधि·ारी तो ऐसे लोगों ·े पास बैठ·र चाय पीने त· सीमित रह गये है।

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