New Delhi.
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में ‘जिल्लत और जबर्दस्ती’ की जिंदगी झेलने को मजबूर हिंदुओं ने खिलाड़ियों से ‘पकिस्तान के साथ मैच नहीं खेलने’ की अपील करते हुए कहा है कि भारत के साथ किसी भी मैच में पाक की हार का खामियाजा वहां रहने वाले हिंदू परिवारों को भुगतना पड़ता है। पाकिस्तान से हाल ही में अमृतसर के रास्ते भारत आये पाकिस्तानी हिंदुओं ने अपनी पीड़ा को बातचीत में बयां किया। उन्होंने कहा कि उनके मुल्क में सामाजिक भेदभाव, जबरन धर्मांतरण, हिंदू लड़कियों से जबरन निकाह, स्कूलों में भेदभाव और खेल में पाक की हर हार पर हमारी दुर्दशा अब आम हो गयी है और न तो सरकार और न ही पुलिस कुछ कर पाती है। मध्य प्रदेश जाने वाले कुछ परिवार के सदस्यों का कहना है, ‘‘हमारा दुर्भाग्य है कि हम पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू परिवार हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच खेले जाने वाले क्रिकेट या हॉकी मैच में अगर पाक की हार होती है तो उसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन मैचों में हार जीत से हमारा कोई वास्ता नहीं है। हां, पाक की हार का असर हम पर होता है और हमें जुनूनी लोगों की मार सहनी पड़ती है। सुनने में आया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच फिर क्रिकेट मैच होने वाला है। इससे हम अभी से दहशत में हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम नहीं चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच मैच हों क्योंकि मैच में अगर पाक हार गया तो हमारी जिंदगी नरक बन जाती है। यहां के खिलाड़ियों से हमारी अपील है वह मैच नहीं खेलें या फिर हार जायें।’’
यहां आने वाले अधिकतर पाकिस्तानी हिंदू सिंध प्रांत से आये हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वह वापस जाएंगे इसलिए उनका नाम उजागर नहीं होना चाहिए। हालांकि, कुछ का कहना है कि ‘चाहे मर जायें, लेकिन पाकिस्तान वापस नहीं जायेंगे।’ हरिद्वार रवाना होने से पहले सिंध प्रांत के गोटकी जिले से आये एक परिवार ने कहा, ‘‘सबसे अधिक समस्या सिंध में है। दिन दहाड़े हिंदू लड़कियों को उठा लेना और उसके साथ निकाह कर लेना आम है। पुलिस हमारी मदद नहीं करती है। रिपोर्ट करने पर ‘ईश निंदा कानून’ लगा कर ‘बंद’ करने की धमकी देते हैं।’’ पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए काम करने वाले अमृतसर के एक धार्मिक नेता सुरिंदर कुमार बिल्ला ने बताया, ‘‘पाकिस्तान में हिंदू खौफ के साये में जी रहे हैं। पहले पेशावर में अधिक समस्या थी लेकिन अब सिंध में दिक्कत होने लगी है। पाक में हिंदुओं के साथ जो हो रहा है वह जगजाहिर है फिर भी कोई कुछ नहीं बोल रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हाल ही में पाक से आये हिंदू परिवारों के 500 लोगों से मेरी मुलाकात हरिद्वार में हुई है। उनका कहना है कि श्मशानघाट की जमीन पर कब्जा हो चुका है। शव जलाने नहीं दिया जाता है। खौफ ऐसा है कि शाम होते ही हिंदू अपने घरों में चले जाते हैं। सबसे बड़ी दिक्कत है कि यह सब सत्तारुढ़ दल के एक सांसद के इशारे पर हो रहा है।’’
दूसरी ओर पाक हिंदुओं के लिए काम करने वाले भारतीय जनता पार्टी के सांसद अविनाश राय खन्ना ने कहा, ‘‘मैंने संसद के मौजूदा सत्र में यह मुद्दा उठाया है लेकिन इसका कोई उचित जवाब सरकार की ओर से नहीं आया। सरकार इस बारे में कुछ करने को तैयार नहीं है।’’ खन्ना ने कहा, ‘‘सरकार की ओर से हमेशा एक ही घिसा पिटा जवाब आता है। यह पाकिस्तान का आंतरिक मामला है। हम इसमें दखल नहीं दे सकते हैं लेकिन सरकार वहां हो रही गतिविधियों पर निगाह रखे हुए है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसका एक ही हल है कि हमारी सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाकर पाकिस्तान पर दबाव बनाना होगा। इसके अलावा कोई हल नहीं है। सरकार ने ऐसा नहीं किया तो पाकिस्तान में हिंदुओं की दुर्दशा और पलायन जारी रहेगा। यह समस्या केवल हिंदुओं के साथ ही नहीं है ऐसा वहां सिखों के साथ भी हो रहा है।’’ भाजपा सांसद ने कहा, ‘‘जब तक अंतरराष्ट्रीय दबाब नहीं होगा तब तक पाकिस्तान ऐसा करता रहेगा। न तो वहां की पुलिस का और न ही वहां की प्रांतीय अथवा संघीय सरकार का इस ओर ध्यान है। हालांकि, हालिया घटनाक्रम और हमारे विरोध के बाद पाक राष्ट्रपति का इस बारे में बयान आया है लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस पहल नहीं हो सका है।’’
पाकिस्तान के एक अंग्रेजी दैनिक के हवाले से एक ‘आनलाइन जर्नल’ की हालिया प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो साल में लगभग 1600 परिवार पाकिस्तान छोड़कर जा चुके हैं। सिंध प्रांत में एक के बाद एक जबरन धर्मांतरण की घटना के बाद पिछले चार महीने में लगभग 500 परिवार भारत चले गए हैं। इसमें बताया गया है कि बंटवारे के बाद ‘देशभक्त’ हिंदुओं ने भारत जाने से इंकार कर दिया था और अब सामंतवाद, धार्मिक भेदभाव, जबरन धर्मांतरण और जबरन निकाह कर उन्हें देश छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है।
sabhar प्रभासाक्षी
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