लखनऊ , : उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था के मसले को लेकर हमेशा विपक्षियों के निशाने पर रहने वाले सूबे के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दिशा-निर्देशों को खास महत्व नहीं दिया जा रहा है, इसीलिए तो लिंगदोह समिति की सिफारिशों के आधार पर छात्रसंघ चुनाव कराने और उनके निर्देशों के बावजूद अधिकारी अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं।लिंगदोह समिति की सिफारिशों के आधार पर छात्रसंघ चुनाव कराने के मुख्यमंत्री के निर्देश बेपरवाह जिम्मेदार अधिकारियों के सामने बौने साबित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने गुरुवार को छात्र नेताओं के बैनर, पोस्टर और होर्डिंग हटाने का निर्देश दिया था इसके बावजूद अभी तक किसी भी चौराहे से होर्डिग नहीं हटाए गए हैं।उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने 21 मार्च 2012 को लिंगदोह समिति की सिफारिशों के आधार पर छात्रसंघ चुनाव कराने के निर्देश दिए थे, बावजूद इसके नगर निगम और लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन के ढीले-ढाले रवैये के चलते छात्र नेता भारी पड़ते दिख रहे हैं। यही कारण है कि लखनऊ के हर चौराहे और हर कॉलेज के पास बैनर व पोस्टर की भरमार है।मुख्यमंत्री अखिलेश के निर्देश के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन और नगर निगम एक दूसरे पर कार्रवाई की जिम्मेदारी डाल रहे हैं। इस मामले में अधिकारियों से बातचीत करने पर अधिकारी छात्र संघ चुनाव का संविधान आ जाने के बाद ही कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं। स्थिति यह है कि नगर निगम के अधिकारी भी दो दिन होर्डिंग हटाने के बाद शांत हो गए।राजधानी लखनऊ में पॉलिटेक्निकचौराहे और फैजाबाद रोड पर नगर निगम के अभियान के बाद दोबारा बैनर एवं पोस्टर लगा दिए गए हैं।गुरुवार को मुख्यमंत्री ने लिंगदोह समिति की सिफारिशों को सख्ती से लागू कर छात्रसंघ चुनाव कराए जाने के साथ ही बैनर एवं होर्डिंग तत्काल हटाए जाने का निर्देश दिया था लेकिन उनके इस फरमान के बाद भी नगर निगम और लखनऊ विश्वविद्यालय के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि संविधान के लागू होने के बाद नियम के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। नगर निगम की किसी भी प्रकार की कार्रवाई में विश्वविद्यालय प्रशासन अपेक्षित सहयोग को तैयार है।लिंगदोह समिति की सिफारिशें लागू होने के बाद चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा पांच हजार रुपये हो जाएगी। पोस्टर-बैनर, वाहन, लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। परिसर के बाहर प्रचार सामग्री का उपयोग नहीं किया जा सकता है।गौरतलब है कि यदि किसी प्रत्याशी द्वारा किसी शर्त का उल्लंघन किया जाता है तो उसका चुनाव निरस्त किया जा सकता है। इस मामले में जब नगर निगम के अधिकारियों से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।इस सम्बंध में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "जहां तक लिंगदोह समिति की सिफारिशों के आधार पर छात्रसंघ चुनाव कराने की बात है तो मुख्यमंत्री ने दिशा निर्देश तो जारी किए हैं लेकिन उनके निर्देशों का पालन कोई नहीं कर रहा है। अब सवाल यह खड़ा होता है कि अधिकारी उनके निर्देशों को इतनी कम अहमियत क्यों दे रहे हैं।"पाठक कहते हैं, "विभागीय अधिकारियों के अलावा मुख्यमंत्री अपने कार्यकर्ताओं को भी नियंत्रण करने में नाकाम साबित हुए हैं। उनके अपने कार्यकर्ता ही आए दिन उनके आदेशों की अवहेलना कर कानून व्यवस्था को अपने हाथों में लेकर उनके लिए परेशानी खड़ी करते रहते हैं।"उल्लेखनीय है कि कानून व्यवस्था को लेकर अखिलेश सरकार को कई बार अदालत द्वारा फटकार भी लगायी जा चुकी है। सपा कार्यकर्ता भी प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के फरमानों को धता बताते हुए स्वयं भी सरकार के लिए कई बार मुसीबतें खड़ी कर चुके हैं। अखिलेश की बात न सुने जाने की वजह से ही सपा प्रमुख मुलायम सिंह भी कई बार कार्यकर्ताओं को अनुशासन का पाठ पढ़ा चुके हैं।
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