मुजफ्फरनगर (अलर्ट न्यूज)। उत्तर प्रदेश में सोलह हजार ईंट भट्टे बंदी के कगार पर पहुंच गये हैं। उत्तर प्रदेश की ईंट निर्माता समिति ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद सरकार से राहत की मांग की है कि ईंट भट्टे में प्रयुक्त होने वाली मिट्टी को खनन की श्रेणी से बाहर निकाला जाये। सुप्रीम कोर्ट के नये आदेशों के अनुसार ईंट भट्टा चलाने के लिए अब जमीन के लिए पर्यावरण व वन मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी जिसकी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि ईट भट्टा मालिकों के उसे पूरा करने में ही सांसे फूल जायेगी।
मुजफ्फरनगर ईंट निर्माता समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र मलिक ने समिति के पदाधिकारियों के साथ पूर्व मंत्री योगराज सिंह के भाई लेखराज के आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर ईंट भट्टा उद्योग पर आ रही आफतों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि अब वह दिन दूर नहीं जब प्रदेष के सोलह हजार भट्टे बंद हो जायेंगे और करीब तीस-बत्तीस लाख इस उद्योग से जुडे़ लोग बर्बाद हो जायेंगे। दरअसल यह स्थिति पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद उत्पन्न हुई है जिसमें कहा गया है कि खनन को लेकर नियम सख्त किये जाये और उसकी जद में ईट भट्टे के लिए होने वाली खनन मिट्टी को भी ले लिया गया। पहले यह था कि जहां ईट भट्टा है वहां पांच हेक्टेयर भूमि में पट्टे लेकर जमीन की क्लीरेयेन्स लेकर और अन्य विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर ईट भट्टे के लिए मिट्टी प्रयुक्त की जाती थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अब यह शून्य भूमि पर भी आदेश लागू होगा। पांच हैक्टेयर का आदेश खत्म किया जाता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी डायरेक्शन दी थी कि राज्य सरकार चाहे तो जनहित में अपने हिसाब से इस संबंध में कुछ नियम कानून बनाकर सरलीकरण कर सकते हैं। ईट निर्माता संघ की लखनऊ में पिछले दिनों इसकी चिंतन को लेकर बैठक हुई जिसमें प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल, महामत्रंी प्रमोद चौधरी के नेतृत्व में फैसला लिया गया कि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इस बारे में अक्टूबर के अंत में सम्मेलन कर अवगत कराया जायेगा और नियमों में सरलीकरण की मांग की जायेगी। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा न हुआ तो प्रदेष के सोलह हजार भट्टे बंद हो जायेंगे जिनसे करीब तीस-बत्तीस लाख लोग सीधे जुडे़ है और अस्सी लाख लोग अप्रत्यक्ष रूप से जुडे़ है। अकेले मुजफ्फरनगर व शामली जिलों में 350 भट्टे हैं। ईट भट्टों को जीवित रखने के लिए अब यूपी के ईट भट्टा संचालकों को राज्य सरकार की तरफ देखना पड़ रहा है। जटिल नियम पर्यावरण वन मंत्रालय, प्रदूषण विभाग सहित तमाम तरह से जकडे़ हुए ईट उद्य़ोग अब बहुत ही कठिन स्थिति में गुजर रहा है। मलिक के अनुसार प्रदेष सरकार ने इस ओर ध्यान न दिया तो प्रदेश में लोगों को ईटें नसीब नहीं होगी। जबकि ईंट जनोपयोगी सामान माना जाता है। पत्रकार वार्ता में भूपेंद्र मलिक, राजेंद्र तोमर, मेघराज सिंह, सरदार रणधीर सिंह, कृष्ण कुमार शर्मा, बलराम तायल, केपी सिंह मौजूद रहे।
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