जी हाँ आप अपनी जेब ढीली करने के लिए तैयार हो जाओ क्यो की सरकार का पेट्रोल बॉम्ब एक बार फिर जनता पर फटने वाला है|
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बाद एक बार फिर तेल कंपनियों पर पेट्रोल के दाम बढ़ाने का दबाव पड़ने लगा है।पेट्रोल पर कंपनियों का नुकसान 3.56 रुपये लीटर तक बढ़ गया है।
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने इससे पहले 24 जुलाई को पेट्रोल का दाम 70 पैसे प्रति लीटर बढ़ाया था जबकि उसके बाद से वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम 12 डालर प्रति बैरल बढ़ चुके हैं। इंडियन आॅयल कारपोरेशन के चेयरमैन आर.एस. बुटोला ने आज यहां कहा, ‘‘हमें पेट्रोल पर 1.37 रुपये लीटर का नुकसान हो रहा है।
यह नुकसान सिंगापुर के बेंचमार्क मूल्य के आधार पर पिछले पखवाड़े के औसत से है, लेकिन अब इस महीने के औसत मूल्य के हिसाब से नुकसान बढ़कर 3.56 रुपये लीटर तक पहुंच गया है।’’
सरकार ने पेट्रोल के दाम जून 2010 में नियंत्रणमुकत कर दिये थे लेकिन तब से लेकर अब तक कभी भी इसके दाम बाजार के अनुरूप तय नहीं किए जा सके। कंपनियों ने पेट्रोल के दाम बढ़ाने का दबाव बनाया था लेकिन संसद के मानसून सत्र को देखते हुये उन्हें ऐसा करने से हतोत्साहित किया गया।
बुटोला ने कहा, ‘‘हमने इस मुद्दे पर विचार किया और बोर्ड स्तर पर भी इस पर चर्चा हुई है .. हम इसे सरकार के समक्ष भी उठाते रहे हैं। हां, पेट्रोल के दाम बढ़ाने का मामला बनता है, हम इसके लिये दबाव बना रहे हैं … लेकिन मुद्रास्फीति उच्च्ंची है, ऐसा करने से मुश्किलें बढ़ सकती हैं।’’
उन्होंने कहा कि तेल कंपनियां चाहती हैं कि पेट्रोल को सरकार वापस अपने नियंत्रण में ले ले और इसपर भी नुकसान की भरपाई की जाये।
Sabhar Janmat Patrika, Business News
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