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Sunday, September 23, 2012

यूपी के इन नेताओं को सता रहा है सबसे ज्यादा डर

लखनऊ. सरकार बदली लेकिन हालात नहीं। हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश कि जहां पर सपा सरकार ने अपने 6 महीने तो पूरे कर लिए है लेकिन उन के नेताओं को ही सब से ज्यादा अपनी जान का डर सता रहा है। इस बात का खुलासा हुआ है समाजवादी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की तरफ से अप्लाई किये गये अशलाहो के लाइसेंस से। पुलिस के पास 25 हज़ार से भी ज्यादा आवेदन आ गए।
 सत्ता में आते ही सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने रसूक को बरकरार रखने के साथ साथ अपनी जान के खतरे का डर भी सताने लगा है। इतने ही कम समय में पुलिस विभाग के पास आर्म्ड पुलिस गनर के 25 हजार से ज्यादा आवेदन आए हैं। पिछली सरकार के दौरान पुलिस गनर का काफी इस्तेमाल होने के कारण माया सरकार की काफी आलोचना हुई थी। इसलिए अखिलेश सरकार इस मामले में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। अब पुलिस इन सभी आवेदनों की जांच कर रही है की क्या वाकई इन लोगो को अपनी जान का खतरा है या यह केवल अपने रसुक को और अधिक बढाने के लिए यह आवेदन किये गये है। इन सभी आवेदनों मे आवेदकों ने अपनी जान का खतरा बताते हुए आवेदन किया है।
 वर्तमान मे करीब 1600 लोगों को पुलिस गनर की सुविधा मिली हुई है, वहीं बीएसपी के राज़ में 2,207 लोगों को यह सुविधा मिली थी। सूत्रों की माने तो एसपी के राज में आर्म्ड गनर पाने वाले लोगों की लिस्ट में उस समय और इजाफा हो सकता है। एसपी प्रदेश में विभिन्न बोर्डों और कॉरपोरेशन के 250 अध्यक्षों की नियुक्ति करेगी।
आईजी ला एंड आर्डर बद्री प्रसाद का कहना है कि इस तरह के आवेदन जो उन के पास आये है उन सभी की जांच की जाएगी। कोई वाकई ज़रूरतमंद होगा तभी उस को एनओसी दी जाएगी। अगर आंकड़ों पर नज़र डाले तो स्पष्ट होता है की किस तरह से सत्ता आने के बाद नेता लाइसेंस के लिए परेशान रहते है। 2003 में जब एसपी सरकार सत्ता में आई तो 2,690 लोगों के पास पुलिस गनर थे।
2007 में एसपी सरकार के सत्ता के बाहर जाने के समय 6 हजार से ज्यादा लोगों के पास पुलिस गनर थे। पुलिस महकमे के आंकड़ों के अनुसार लखनऊ में कम से कम 296 लोगों को पुलिस गनर की सुविधा दी गई थी। इसमें से 68 लोग आपराधिक पृष्ठभूमि के थे। इलाहाबाद में 154 लोगों को पुलिस गनर अलॉट किए गए थे, जिसमें से 97 लोगों को प्रदेश सरकार ने और 57 लोगों को जिला पुलिस ने गनर अलॉट किए थे।
 हाल ही में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को पुलिस गनर अलॉटमेंट के मामलों की समीक्षा करने का निर्देश दिया था।हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ मुलायम ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका भी दायर की , लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार , पुलिस गनर के अलॉटमेंट के लिए आने वाले आवेदनों की जांच के लिए राज्यसरकार ने सुरक्षा कमेटी गठित की , जिसमें गृह विभाग के प्रमुख सचिव , डीजीपी और डीजी ( सिक्युरिटी ) शामिल किए गए। गनर अलॉट होने से पहले आवेदक के निवास क्षेत्र की स्थानीय खुफ़िया इकाई से सिक्यु्रिटी पैनल को रिपोर्ट जरूरी कर दिया गया है। कोर्ट ने सक्षम लोगों से सिक्युरिटी कवर का चार्ज वसूलने का सरकार को निर्देश दिया है।
 ऐसे में यूपी सरकार प्रदेश के एमएलए को एक के बजाय दो गनर देने पर विचार कर रही है। आने वाले दिनों में ये आवेदन और बढ़ सकते है। गनर की मांग करने वालों की स्थिति पर सरकार तय करती है कि किसे कितने प्रतिशत पर गनर मुहैया कराया जाए। जान का खतरा होने पर वेतन के दस प्रतिशत लेकर गनर की सेवा दी जाती है। वहीं, राजनीतिक आधार पर 25 फीसदी रकम ली जाती है कुछ मामलों में सौ फीसदी पर गनर उपलब्ध कराया जाता है। एक जनवरी, 2011 तक पुलिस बल के स्वीकृत 3 लाख 68 हजार 260 में से सिर्फ 01 लाख 49 हजार 68 पदों पर ही तैनाती हुई है। देश के हर वीआईपी की सुरक्षा पर तीन पुलिसवाले तैनात हैं। रही आम आदमी की बात तो, उनके लिए 761 लोगों पर केवल एक पुलिसकर्मी तैनात है। यह आकंड़े पुलिस रिसर्च ऐंड डवलेपमेंट ब्यूरो के हैं। 2010 के इन आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि कि देश के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, जजों समेत 16,788 वीआईपी की सुरक्षा में 50,059 पुलिसवाले तैनात थे। जब उनकी सुरक्षा के लिए 21,761 पुलिसकर्मी ही स्वीकृत थे।
sabhar dainikbhaskar.com

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