नई दिल्ली. सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कभी अपने सबसे भरोसेमंद सहयोगी रहे अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला है। हजारे ने कहा है कि पार्टी बनाने के फैसले के चलते भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा किया आंदोलन बंट गया। उन्होंने कहा कि आंदोलन राजनीति की वजह से विभाजित हुआ। उन्होंने कहा है कि पार्टी बनाने के समर्थन में आने से आंदोलन के तेवर पर असर पड़ा।
अन्ना हजारे ने कहा कि जो पार्टी बनाने के हक में थे, उनसे मेरी असहमति साफ थी। इसके बावजूद मेरे निर्णय के खिलाफ पार्टी बनाने की योजना पर अमल किया गया। अन्ना ने कहा, 'कई लोग कहते हैं कि मैंने पार्टी बनाने पर सहमति दे दी थी लेकिन यह सही नहीं है।
महाराष्ट्र से आने वाले वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि पिछले दो सालों में यूपीए सरकार की लाख कोशिश के बावजूद आंदोलन बंट नहीं पाया था। वही आंदोलन बिना सरकार की कोशिश के विभाजित हो गया। एक ग्रुप के चुनावी राजनीति में जाने का फैसला इसकी प्रमुख वजह रही। अन्ना हजारे ने कहा कि दुर्भाग्य से आंदोलन विभाजित नहीं हुआ होता तो लोकपाल बिल 2014 के आम चुनाव से पहले ही पास हो गया होता। एक ग्रुप ने चुनावी राजनीति में जाने का निर्णय लिया और दूसरा आंदोलन के साथ खड़ा है।
अन्ना हजारे ने इस बात पर दुख जताया कि उन्हें सांप्रदायिक संगठनों के साथ जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा, 'अब तक जीवन में मेरा किसी भी संगठन से कोई रिश्ता नहीं रहा। मैं जीवन के अंतिम सांस तक किसी पार्टी या संगठन का हिस्सा नहीं बनूंगा। हजारे ने कहा कि चुनाव करीब आ रहा है। कुछ पार्टियां मेरा नाम चुनाव में अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं। आंदोलन केवल आंदोलन रहेगा क्योंकि यह पवित्र है
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