एएनएम भंवरी मामला है महत्वाकांक्षाओं की एक अधूरी कहानी। इस कहानी का हर एक किरदार महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए उतावला था। फिर चाहे भंवरी की विधानसभा का टिकट लेने की महत्वाकांक्षा हो या मलखानसिंह की मंत्री बनने की। ऐसी ही हजारों ख्वाहिशें थीं महिपाल, मलखान, अमरचंद, इंद्रा और परसराम की। लेकिन इन ख्वाहिशों से दम निकला तो सिर्फ भंवरी का। दिलचस्प तो यह है कि इन सभी की महत्वाकांक्षाएं एक दूसरे के पतन या नुकसान से जुड़ी थीं।
(एक ऐसा केस जिसके हर खुलासे ने पैदा किये सैकड़ों सवाल)
(दस बातें जो पहली बार इसी केस में हुईं)
गरीब परिवार की बहू व सरकारी एएनएम भंवरी कभी भी अपनी हैसियत से संतुष्ट नहीं रही। पहले मलखान व बाद में महिपाल से रिश्ते बनाकर उसने मनचाही जगह तबादला करवाया। साथ ही अपनी आर्थिक व सामाजिक हैसियत भी दिन दुगुनी और रात चौगुनी बढ़ाई, लेकिन असंतुष्टि तो उसके स्वभाव का एक अंग था। अब उसकी महत्वाकांक्षा थी विधायक का टिकट लेना। इसके लिए उसने खूब हाथ-पांव मारे लेकिन यह मिल नहीं पाया।
(कहानी पूरी फ़िल्मी है)
(...और अकेले रह गए बच्चे)
दिग्गज कांग्रेसी नेता परसराम मदेरणा के पुत्र व तत्कालीन जल संसाधन मंत्री महिपाल मदेरणा की राजनीतिक चाहतें तो पूरी हो चुकी थीं लेकिन भंवरी से अनैतिक महत्वकांक्षाओं ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा।
भंवरी जैसी खूबसूरत महिला से संबंधों के बाद उनकी व्यक्तिगत आंकाक्षाएं निरंतर चलती रही। इस बीच भंवरी ने चुपके से सीडी बना ली और इसके नाम पर उन्हें ब्लैकमेल करने लगी। जब यह सीडी राजनीतिक हलकों में भी सामने आ गई तो शायद महिपाल को भंवरी के खात्मे में ही अपना हित नजर आया।
मंत्री बनने के लिए मलखान ने रचा चक्रव्यूह
दबंग कांग्रेसी नेता स्व.रामसिंह विश्नोई के बड़े बेटे मलखानसिंह को विधायक सीट विरासत में मिल गई। लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा इतने से पूरी नहीं हुई। उनकी नजर तो मारवाड़ से जाट-विश्नोई समीकरण के सबसे बड़े खिलाड़ी के रुप में उभरकर मंत्री पद के लिए ताल ठोंकने पर थी।
इसके लिए उन्होंने पहले तो भंवरी को मोहरा बना महिपाल से नजदीकियां बढ़ाईं। लेकिन जब भंवरी रूपी अस्त्र उन पर ही पलट कर आया तो उन्होंने पहले तो महिपाल मदेरणा के साथ मिल भंवरी को रास्ते से हटाया। यहीं नहीं, उन्होंने अमरचंद के माध्यम से केवल महिपाल मदेरणा को इस हत्या में फंसाकर मंत्री पद हथियाने की पूरी साजिश बना ली थी, लेकिन ये भी हो नहीं सका।
पैसे के लिए अमरचंद ने किया पत्नी का सौदा
अमरचंद नट शुरू से ही अपनी पत्नी भंवरी देवी की शख्सियत के आगे बौना था। मन ही मन में उसे यह बात सालती भी थी, लेकिन भंवरी के घर की आर्थिक धुरी होने व उसके ऊंचे संबंधों के चलते वह उसका पिछलग्गू ही बना रहता था।
इस बीच उसने अपनी महत्वाकांक्षाओं को दबाए रखा। अंतिम दिनों में भंवरी के स्वभाव एवं उसके दिग्गजों से बिगड़ते रिश्तों ने अमरचंद की धन को लेकर महत्वाकांक्षा को चिनगारी दे दी।
आखिर उसने रुपयों के लिए बीवी की जान का सौदा हत्यारों के साथ कर दिया और भंवरी को धोखे से उनके हवाले कर आया। इतना ही नहीं पैसों के लिए वह मलखान व उसके परिवार के इशारों पर महिपाल को ही दोषी बताता रहा।
रसूख की चाह में खो गई इंद्रा
रामसिंह विश्नोई की इकलौती बेटी इंद्रा विश्नोई ने शुरू से ही धन-दौलत और परिवार के राजनीतिक रसूखात देखे थे। पिता की मौत के बाद वह अपने भाई मलखानसिंह को मंत्री बनावाकर धन-दौलत और रसूख की अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करना चाहती थी।
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