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Sunday, September 2, 2012

जब तक कड़े कानून नहीं बनेंगे तब तक दहेज प्रथा जारी रहेगी’


नई दिल्ली .दहेज लेने वालों को सात साल तक की जेल हो सकेगी। बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार दहेज निषेध कानून में कड़े प्रावधानों पर विचार कर रही है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ तो दहेज हत्या के मामलों में कम से कम उम्रकैद की सजा की पैरवी कर रही हैं।

महिला सांसदों को महिला एवं बाल विकास विभाग ने कानून में संशोधनों पर नोट जारी किया है। यह कानून 1984 और 1986 में भी बदला जा चुका है। हालिया बदलाव नेशनल क्राइम रिकॉर्डस ब्यूरो के आंकड़ों के मद्देनजर अहम हैं। जो कहते हैं कि 2011 में दहेज प्रताड़ना की वजह से 8,618 हत्याएं हुई। तीरथ ने कहा, ‘जब तक कड़े कानून नहीं बनेंगे तब दहेज प्रथा जारी रहेगी।

दहेज प्रताड़ना की वजह से होने वाली मौतों के लिए उम्रकैद ही उचित सजा होगी। फिलहाल सजा कोर्ट के विवेक पर निर्भर करती है। लेकिन वहां न्याय मिलने में 20-20 साल लग जाते हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि जब अदालतों में सुनवाई के दौरान आरोपी अक्सर शादी कर लेते हैं।

फिर दलील देते हैं कि उनके छोटे बच्चे हैं। जिनकी जिम्मेदारी उन पर है। इसी तर्क पर वे बड़ी सजा से भी बच जाते हैं। दहेज हत्या से जुड़े मामलों में सजा आईपीसी की धारा 304-बी के तहत सुनाई जाती है। इसमें कम से कम सात साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है।

प्रस्तावित बदलाव

>दहेज लेने वालों के लिए सजा बढ़कर सात साल हो जाएगी। फिलहाल पांच साल जेल और 15 हजार रुपए जुर्माना है।

>दहेज देने के दोषियों की सजा पांच साल से घटाकर एक साल की जाएगी।

>दोनों पक्षों को शादी के दौरान जेवर आदि उपहारों की सूची बनाकर दहेज निषेध अधिकारी को सौंपनी होगी। सूची नहीं बनी तो छह माह से एक साल तक की सजा भी हो सकेगी।

>यह जरूरी नहीं होगा कि जिस जगह अपराध हुआ, वहीं पर मामला दर्ज हो। घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत भी मिलेगी।

>पीड़िता के पैरेंट्स या रिश्तेदार भी पीड़ित व्यक्तियों की परिभाषा के दायरे में आएंगे।

>यदि दूल्हा पक्ष की ओर से मांग पूरी नहीं होने पर दुल्हन को प्रताड़ित किया जाता है तो इसे शादी से जुड़ी मांग माना जाएगा।
sabhar dainikbhaskar.com

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