भरतपुर.उम्र मात्र आठ से दस दिन। हाथ पांव नीले और लंबी-लंबी चलती सांसें। शीत लहर के बीच बालिका को सड़क पर झाड़ियों में छोड़ते समय शायद मां की ममता नहीं जाग पाई। पिता का कलेजा न कांपा।
बेहद नाजुक हालात में इस बालिका को जिसने देखा, सलामती की दुआ के साथ बालिका की मां और बाप को कोसे रह नहीं सका। शुक्रवार की सुबह करीब चार बजकर पैंतालीस मिनट पर जनाना अस्पताल के निकट झाड़ियों में मिली इस बालिका को गंभीर अवस्था में उपचार के लिए जयपुर जेकेलॉन अस्पताल भेजा गया है।
इससे पहले कुछ देर इस बालिका को जनाना अस्पताल के बच्चा वार्ड में रखा गया। बालिका को देखने के लिए अस्पताल में अनेक लोग एकत्र हो गए। सुबह करीब पौने पांच बजे राहगीरों को अस्पताल के निकट झाड़ियों से बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। इसकी जानकारी अस्पताल के चौकीदार को दी गई।
इसके बाद अस्पताल के चौकीदार व कर्मचारी बच्ची को झाड़ियों से उठा लाए और अस्पताल में भर्ती कर लिया। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.आरएस गुप्ता ने बताया कि बच्ची को डीप हाइपोथरमिया की शिकायत थी। बच्ची को सर्दी में खुले में छोड़ने से यह स्थिति बनी। कलेक्टर ने उसे उपचार व चिकित्सकीय देखभाल के लिए जयपुर के जेके लॉन हॉस्पिटल भिजवाया।एम्बुलेंस में जीवन रक्षक दवाओं के साथ स्थानीय नर्सिग स्टाफ व मथुरा गेट थाने से सिपाही भी भेजा गया।
रात आया था फोन
गुरुवार-शुक्रवार की रात किसी अज्ञात व्यक्ति ने बाल कल्याण समिति अध्यक्ष अलोक शर्मा को फोन किया और बालक या बालिका सरेंडर करने की प्रक्रिया पूछी। साथ ही गोद देने के बारे में भी जानकारी मांगी। यह मथुरा से किया गया था। सुबह इस नंबर पर संपर्क किया गया, तब पता लगा कि फोन नंबर एसटीडी-पीसीओ का है। माना जा रहा है कि बालिका को सड़क पर छोड़ने वालों ने ही यह फोन किया होगा
sabhar dainikbhaskar.com
No comments:
Post a Comment