जयपुर. मुंबई में हमला कर आतंक फैलाने वाले आतंकी अजमल कसाब को फांसी के तख्ते तक पहुंचाने में पाली (राजस्थान का एक जिला)की बेटी 11 वर्षीय देविका की सबसे अहम भूमिका रही।
आतंकी वारदात की चश्मदीद गवाह और गोली लगने से विकलांग होने वाली पाली के एक व्यवसायी की बेटी देविका ने कसाब के खिलाफ मुंबई अदालत में निडरता के साथ बयान दिए थे। उसने पूछने पर पिछली साल जून में भरी अदालत में यहां तक कहा था कि इस आतंकी को हर हाल में फांसी मिलनी ही चाहिए।
पाली के एक मध्यमवर्गीय व्यवसायी नटवरलाल रोटावर की बेटी 26/11 को आतंकी हमले के वक्त सीएसटी पर खड़ी थी। तभी कसाब और उसके दो साथियों ने अंधाधुध फायरिंग करते हुए 72 लोगों की जान ली थी। अपने पिता की उंगली पकड़ कर वहां स्टेशन के बाहर खड़ी देविका के पैर में गोली लगी थी, इसका जख्म आज भी वो झेल रही है। उसे बैसाखी का सहारा लेकर चलना पड़ रहा है।
इसके बावजूद देविका ने हिम्मत नहीं हारी। उसने जून 2011 में मुंबई की भरी अदालत में हमलावर अजमल कसाब को पहचान लिया और कहा कि इसी दरिंदे ने मेरे सामने फायरिंग की थी।
मासूम देविका के चेहरे का गुस्सा और आक्रोश देखकर पहली बार कसाब का सर शर्म से नीचे झुक गया। उससे पहले कसाब अदालत में भी बेशर्मी से हंसता रहता था। देविका के पिता नटवरलाल ने भी तब अदालत में गवाही दी थी ।
नटवर लाल ने कहा था, इस राक्षस ने मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद की, इतने लोगों की जान लेने वाले इस दरिंदे को फांसी मिलनी चाहिए।
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