लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 23 नवंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र के मद्देनजर राजनीतिक दलों की कवायद तेज हो गई है. पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे के हमलों को बेअसर करने की रणनीति में जुट गए हैं.
बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक शुक्रवार सुबह होगी. इस बैठक में बीजेपी विधायक और विधान परिषद के सदस्य सदन में सरकार को घेरने की रणनीति बनाएंगे.
चार महीने बाद विधानसभा का ये सत्र शुरू होने जा रहा है. इससे पहले जून में विधानसभा सत्र की बैठक हुई थी, जो जुलाई के पहले हफ्ते तक चली थी. विधानसभा के मौजूदा सत्र में कानून-व्यवस्था का मुद्दा छाए रहने के आसार हैं.
पिछले चार महीनों में सूबे के राजनीतिक हालात को देखते हुए विपक्ष के पास कई मुद्दे हैं. जिनसे वो विधानसभा में सरकार को घेरने की कोशिश करेगी. इसके साथ ही गाजियाबाद के मसूरी में सांप्रदायिक तनाव, बरेली, प्रतापगढ़ और फैजाबाद में हुए दंगे भी सरकार का सिरदर्द बढ़ाएंगे. इन चार महीनों में जहां सरकार के नुमाइंदों और अधिकारियों के बीच टकराव के कई मामले सामने आएं, वहीं कई जगह मारपीट तक की नौबत पहुंच गई.
माना जा रहा है कि चीनी मिल बिक्री घोटाला भी सरकार के लिए अच्छी खासी परेशानी पैदा करेगा. बीजेपी की प्रदेश ईकाई के प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक के मुताबिक सत्र छोटा होने की वजह से पार्टी कुछ विशेष मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी. गन्ने के समर्थन मूल्य को लेकर सदन के भीतर और बाहर सरकार को घेरा जाएगा. कानून-व्यवस्था का मुद्दा अहम है. सरकार को सदन में ये जवाब देना होगा कि उसके कार्यकाल में दंगे कैसे हुए और उससे निपटने में सरकार की क्या भूमिका रही?
तो वहीं बीएसपी के एक सीनियर नेता के मुताबिक विधानसभा सत्र के दौरान प्रमुख मुद्दा कानून-व्यवस्था ही रहेगा क्योंकि एसपी सरकार के कार्यकाल में आधा दर्जन से अधिक दंगे हुए हैं.
sabhar shrinews.com
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