लखनऊ. उप्र की अखिलेश सरकार ने नवंबर 2007 में लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर व फैजाबाद की कचहरियों में हुए सीरियल धमाकों के आरोपियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार ने इस बारे में फैजाबाद, बाराबंकी, लखनऊ व गोरखपुर के जिलाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है।
सीरियल धमाके के आरोपियों में एक जौनपुर, एक आजमगढ़ व दो कश्मीर के निवासी हैं। विशेष सचिव राजेंद्र कुमार की ओर से जिलों के डीएम को भेजे गए पत्र में बाराबंकी कोतवाली, फैजाबाद कोतवाली, लखनऊ के वजीरगंज थाने और गोरखपुर के कैंट थाने में दर्ज मुकदमों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इन जिलों में आतंकवाद के नाम पर निर्दोष मुस्लिम युवकों तारिक कासमी, खालिद मुजाहिद आदि पर दर्ज अभियोगों की वापसी के संदर्भ में शासन को सूचना चाहिए।
मुकदमे वापस लेने के लिए डीएम व एसपी के साथ ही अभियोजन अधिकारी, लोक अभियोजक के साथ-साथ परीक्षण अभियोजन अधिकारी की राय मांगी गई है। सरकार ने जानना चाहा है कि इन आरोपियों पर क्या-क्या धाराएं लगाई गई हैं। किन-किन न्यायालयों में इनके खिलाफ मामले लंबित हैं, वाद के तथ्य या हैं। विशेष सचिव ने वादी पक्ष की चोटों का विवरण भी मांगा है।
जिलों के डीएम से विवेचना के दौरान बरामदगी के विवरण व न्यायालय में मुकदमे की अद्यतन स्थिति के साथ-साथ यदि कोई क्रॉस केस हो तो उसकी भी जानकारी देने को कहा बया है। सीरियल धमाके के बाद सुरक्षा को लेकर प्रदेश के अधिवक्ताओं आंदोलन भी किया था। गौरतलब है कि सपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान आतंकवादी घटनाओं में गिर तार किए गए निर्दोष मुसलमान नौजवानों को रिहा करने का वादा किया था।
क्या था मामला : नवंबर 2007 में आधे-आधे घंटे के अंतराल पर फैजाबाद, लखनऊ, गोरखपुर तथा वाराणसी की कचहरियों में हुए सीरियल बम लास्ट में कई लोगों की जान गई थी और दर्जनों लोग घायल हुए थे। घटना के बाद देश में भय का वातावरण था। इन ब्लास्टों से प्रदेश दहल गया था व प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अधिवक्ताओं ने आंदोलन भी किया था।
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