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Friday, October 12, 2012

छात्रों के लिए प्रवेष बना जंजाल: लक्ष्मण सिंह

मुजफ्फरनगर (अलर्ट न्यूज)। चौधरी छोटूराम कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. लक्ष्मण सिंह ने बताया कि वर्ष 2012 में इंटर का बम्पर परिणाम होने के कारण स्नातक कक्षाओं में छात्रा-छात्राओं के प्रवेश की बहुत ही गम्भीर समस्या पैदा हो गयी है। यहां तक प्रथम श्रेणी के अंक वालो को भी प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। इस वर्ष प्रवेश का उत्तरदायित्व विश्वविद्यालय ने स्वयं अपने अध्किार में लिया जो सुचारू रूप से क्रियान्वित नहीं हो सका। वैसे इंटर का परिणाम गत मई माह में आ गया था। अक्टूबर का प्रथम सप्ताह समाप्त हो चुका है। शिक्षण तो दूर अभी प्रवेश भी नहीं हो पाये है। इससे शिक्षा सत्र के नियमितीकरण के विषय में अनुमान लगाया जा सकता है। शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा लोेकप्रिय और कल्याणकारी सरकार का उत्तरदायित्व होता है। वर्तमान सरकार इसमें पूर्णतः असफल है। छात्र-छात्राएं अपने प्रवेश हेेतु अहिंसात्मक प्रदर्शन कर रहे है। प्रशासन द्वारा उन पर लाठीचार्ज करना और झूठे मुकदमें कायम करना कितना दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रशासन की कार्यशैली आज भी अंग्रेजों के काल से बढकर हो रही है। सामान्यतः छात्र-छात्राओं को शिक्षण में ज्यादा रूचि नहीं है। वे तो मात्रा संस्था में प्रवेश चाहते है और फिर परीक्षा देना। संस्था में प्रवेश से उनको लैपटाप व छात्रवृत्ति मिल जायेगी। अब शिक्षा मात्र पंजीकरण, प्रवेश, परीक्षा और परिणाम तक सीमित रह गयी है। पढ़ाई से कोई मतलब नहीं रह गया है। इसका एक मुख्य कारण यह भी है कि जो शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके है उनके स्थान पर नई नियुक्तियां नहीं हो पा रही है। प्रयोगशालाओं में समान नहीं है। वर्तमान में ऐसे अनेक कालेज है जहां पर विषय अध्यापक ही नहीं है। वित्तविहीन कालेजों में अनुमोदन किसी का है और पढ़ाता कोई और है। इसके चलते वित्त विहीन कालेजों में शिक्षकों का घोर शोषण हो रहा है। अशासकीय अनुदान राजकीय कालेजों में तीन-चार माह का ठेका पढ़ाई का किसी भी शिक्षित व्यक्ति को दे दिया जाता है। भले ही उसके मानक पूरे न होते हो। शिक्षा विभाग कालेजों के अति उदासीन रवैया अपनाये हुए है। सामान्यतः कालेजों में अपरान्ह दो बजे तक सूना सूना हो जाता है समय सारिणी सायं चार से साढे चार बजे तक होती है। प्रवेश की समस्या के समाधान के लिए त्वरित रूप से शासन को विश्वविद्यालय अधिकारियों, शिक्षकों, शिक्षक संगठनों, प्राचार्यो और प्रबंध समिति के प्रतिनिधियों की बैठक करनी चाहिए। समाधन अवश्य निकलेगा। सांध्यकालीन कक्षाओं को खोलने के साथ साथ वहां पर उपलब्ध संसाधनों का भी निरीक्षण किया जाना अति आवश्यक है। लक्ष्मण सिंह के अनुसार कालेज प्रबंध समितियां एवं उनके प्राचार्य कालेजों को अपनी बबौती मान बैठे है। ये लोग व्यक्तिगत स्वार्थी में लिप्त हो चुके है। इनकी शिक्षण एवं छात्रों की सुविधाओं से काई चिंता नहीं है। परिणाम स्वरूप सामान्यतः निष्ठावान शिक्षक और अन्य कर्मचारीगण शिक्षण एवं अन्य कार्यो के प्रति उग्रसीन से हो जाते है।

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