आगरा. सितंबर तो बीत गया, गनीमत समझिए कि वाह ताज की आवाज आह ताज में तब्दील न हुई। पूरे महीने हमारा ताज पूरे 22 बार खतरों में पड़ा। ताजमहल की मेन इंट्री पर लगे मेटल डिडेक्टर कई बार ठप हुए। रात में सर्च लाइट बंद हुईं तो कई बार सीसीटीवी कैमरे ठप हुए। इनके ठप होने में इनकी कोई गलती नहीं थी, सारे उपकरण ठीक थे, चेक करके लगाए गए थे।
इस दौरान सीआईएसएफ के जवानों को रात में टॉर्च की रोशनी में गश्त लगानी पड़ी। स्मारक में प्रवेश करने वाले लोगों की जांच सुरक्षा जवान बैटरी (सेल) चलित हैंड मेटेल डिटेक्टर से ही कर पाए। अंदर हजारों लोग निगरानी से दूर थे।
आगे जानिए, क्यों हुआ ऐसा...
यह सब हुआ टोरेंट पावर की वजह से। कंपनी ने 30 दिन में कुल 22 बार बिजली कटौती की। कुल 66 घंटे तक ताजमहल में सुरक्षा से खिलवाड़ हुआ। तीस सितंबर को दिनभर में आठ घंटे बिजली गुल रही। ये आंकड़े ताजमहल में सीआईएसएफ के कंट्रोल रूम में मौजूद लॉग बुक के हैं।
यह ऐसे अतिसंवेदनशील स्मारक पर हुआ, जिसके बारे में खुफिया एजेंसियां कई बार ताजमहल पर आतंकी हमले की आशंका जता चुकी हैं। अमेरिका द्वरा पकड़े गए डेविड हेडली पहले ही ताजमहल में सुरक्षा की खामियां आतंकियों को दे चुका है। स्मारक की सुरक्षा की वजह से ही सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे बिजली देने का आदेश दिया हुआ है।
टोरेंट पावर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं कर रही है। अक्टूबर में भी बिजली गुल होने का सिलसिला जारी है। सीआईएसएफ के इंस्पेक्टर पुष्कर सिंह कहते हैं कि बिजली न होने पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निगरानी आसान नहीं है। उत्तर प्रदेश में गंभीर बिजली संकट होने पर भी ताजमहल को लगातार बिजली आपूर्ति के लिए अलग से फीडर बना है। इसके लिए ट्रांसमीशन की अलग लाइन है। लेकिन तमाम विशेष व्यवस्थाओं के बावजूद बिजली गुल हुई और सुरक्षा उपकरण ठप हुए। सीआईएसएफ कंट्रोल रूम के एसआई अशोक कुमार कहते हैं ताजमहल में इन्वर्टर तो है, लेकिन यह घंटे भर में ही जवाब दे देता है। इससे केवल कम्प्यूटर व ऑफिस की लाइट्स ही जल पाती हैं। टोरेंट पावर के एजीएम (पीआर) पंकज सक्सेना का कहना है कि मेंटेनेंस के लिए कुछ समय बिजली गुल की जाती है, लेकिन इस दौरान शुक्रवार के लिए ताजमहल बंद होने का ख्याल रखा जाता है।
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