लखनऊ. यूपी के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही अखिलेश यादव ने ऐलान किया था कि बदले की भावना से कोई कदम नहीं उठाया जाएगा, प्रदेश सरकार का हर कदम यूपी के विकास के लिए होगा। लेकिन 6 महीने की सरकार ने मायावती सरकार के कई चर्चित फैसलों को या तो रद्द कर दिया या उन्हें समाजवादी नाम दे दिया। इन फैसलों को मायावती के खिलाफ माना गया।
लखनऊ में बसपा के पूर्व प्रमुख कांशीराम की पुण्यतिथि पर बहुजन समाज पार्टी की संकल्प महारैली में मायावती ने अखिलेश सरकार द्वारा लिए गए इन फैसलों को दलित विरोधी करार देते हुए जमकर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि इसका भविष्य में बहुत बुरा अंजाम होगा। प्रदेश में जानबूझकर बसपा सरकार के कार्यकाल में रहे मंत्रियों और अधिकारियों को प्रताड़ित किया जा रहा है। (माया ने और क्या-क्या कहा पढ़े)
अखिलेश यादव ने फिर किया वार, कहा- तकलीफ में हैं मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा बसपा रैली में सपा पर लगाए गए आरोपों पर आजमगढ़ में कन्या विद्याधन और बेरोजगारी भत्ता बांटने गए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि लोकतंत्र में सबसे बड़ी सजा चुनाव में हार होती है। यह सजा यूपी की जनता ने बसपा को दे दी है। मायावती जिन दलित महापुरुषों के अपमान की बात कर रही हैं और वह जरा सा भी उन महापुरुषों को मानतीं तो प्रदेश में भीमराव अम्बेडकर और दूसरे महापुरुषों के नाम पर बनाए गए पार्कों में अरबों रुपयों की लूट नहीं करतीं। दरअसल मायावती ने रैली में कहा कि अगर अम्बेडकर नहीं होते तो मुलायम और अखिलेश भैंस चरा रहे होते।
sabhar dainikbhaskar.com
No comments:
Post a Comment