नई दिल्ली (अलर्ट न्यूज)। श्रीराम जन्मभूमि के अधिगृहीत 70 एकड़ भूमि में श्रीरामलला का ही केवल एक विराट मन्दिर बनेगा। किसी भी प्रकार का मस्जिद निर्माण अयोध्या की शास्त्रीय एवं सांस्कृतिक सीमा के अन्तर्गत नहीं होगा। उक्त बाते मीडिया को जारी किये गये बयान में विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक अशोक सिंहल ने कही।
अशोक सिंहल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से यह सुनने में आ रहा है कि श्री मुलायम सिंह यादव श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र में अधिगृहीत 70 एकड़ से सटी हुई भूमि को अधिग्रहीत कराना चाहते हैं। इस विषय में श्री मुलायम सिंह यादव एवं श्रीमती सोनिया गांधी मिलजुल कर कार्य कर रहे हैं। इस हेतु इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त एक न्यायमूर्ति तथाकथित आम सहमति बनाने के प्रयास में लगभग दो वर्षों से लगाए गए हैं।
श्रीराम जन्मभूमि के सम्बन्ध में देश के सभी सन्तों का मत है कि अधिगृहीत 70 एकड़ भूमि में श्रीरामलला का ही केवल एक विराट मन्दिर बनेगा एवं किसी नई मस्जिद का निर्माण अयोध्या की शास्त्रीय एवं सांस्कृतिक सीमा के अन्तर्गत नहीं होगा। न्यायमूर्ति के द्वारा किए जा रहे प्रयासों से ऐसा लगता है कि श्री मुलायम सिंह यादव 70 एकड़ से सटी भूमि जहाँ वर्तमान में आरा मशीन स्थित है वहाँ मस्जिद एवं इस्लामिक कल्चरल सेन्टर बनाना चाहते हैं। इस्लामिक शक्तियाँ ऐसा करने के लिए उनको बाध्य कर रही हैं।
इसीलिए यह चर्चा चली है कि अधिग्रहण का कार्य उत्तर प्रदेश की सपा सरकार करेगी एवं श्रीमती सोनिया गांधी की नेतृत्व वाली कांग्रेसनीत संप्रग सरकार उसके लिए आर्थिक पक्ष को मजबूत करेगी। श्रीराम जन्मभूमि के संदर्भ में यदि कोई गैरजिम्मेवारी भरा निर्णय लिया जाता है तो उसके भयंकर दुष्परिणाम हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इस्लामिक शक्तियों का दबाव पूरे उत्तर प्रदेश में हिन्दू समाज के लिए असह्य होता जा रहा है। मूर्तियों को मन्दिरों से हटाए जाने की घटनाएं प्रदेश में बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में अयोध्या में माँ देवकाली की प्रतिमाओं का तोड़कर निकाला जाना (चोरी) इसका जीता.जागता उदाहरण है। विशेष रूप से नवरात्र के पूर्व इन मूर्तियों का तोड़ा जाना समाज को उत्तेजित करने के लिए बाध्य कर रहा है। श्री अखिलेश यादव की नेतृत्व वाली सपा सरकार उपर्युक्त घटनाएं रोकने में पूर्णतया अक्षम साबित हुई है।
अशोक सिंहल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से यह सुनने में आ रहा है कि श्री मुलायम सिंह यादव श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र में अधिगृहीत 70 एकड़ से सटी हुई भूमि को अधिग्रहीत कराना चाहते हैं। इस विषय में श्री मुलायम सिंह यादव एवं श्रीमती सोनिया गांधी मिलजुल कर कार्य कर रहे हैं। इस हेतु इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त एक न्यायमूर्ति तथाकथित आम सहमति बनाने के प्रयास में लगभग दो वर्षों से लगाए गए हैं।
श्रीराम जन्मभूमि के सम्बन्ध में देश के सभी सन्तों का मत है कि अधिगृहीत 70 एकड़ भूमि में श्रीरामलला का ही केवल एक विराट मन्दिर बनेगा एवं किसी नई मस्जिद का निर्माण अयोध्या की शास्त्रीय एवं सांस्कृतिक सीमा के अन्तर्गत नहीं होगा। न्यायमूर्ति के द्वारा किए जा रहे प्रयासों से ऐसा लगता है कि श्री मुलायम सिंह यादव 70 एकड़ से सटी भूमि जहाँ वर्तमान में आरा मशीन स्थित है वहाँ मस्जिद एवं इस्लामिक कल्चरल सेन्टर बनाना चाहते हैं। इस्लामिक शक्तियाँ ऐसा करने के लिए उनको बाध्य कर रही हैं।
इसीलिए यह चर्चा चली है कि अधिग्रहण का कार्य उत्तर प्रदेश की सपा सरकार करेगी एवं श्रीमती सोनिया गांधी की नेतृत्व वाली कांग्रेसनीत संप्रग सरकार उसके लिए आर्थिक पक्ष को मजबूत करेगी। श्रीराम जन्मभूमि के संदर्भ में यदि कोई गैरजिम्मेवारी भरा निर्णय लिया जाता है तो उसके भयंकर दुष्परिणाम हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इस्लामिक शक्तियों का दबाव पूरे उत्तर प्रदेश में हिन्दू समाज के लिए असह्य होता जा रहा है। मूर्तियों को मन्दिरों से हटाए जाने की घटनाएं प्रदेश में बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में अयोध्या में माँ देवकाली की प्रतिमाओं का तोड़कर निकाला जाना (चोरी) इसका जीता.जागता उदाहरण है। विशेष रूप से नवरात्र के पूर्व इन मूर्तियों का तोड़ा जाना समाज को उत्तेजित करने के लिए बाध्य कर रहा है। श्री अखिलेश यादव की नेतृत्व वाली सपा सरकार उपर्युक्त घटनाएं रोकने में पूर्णतया अक्षम साबित हुई है।
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