जौनपुर (अलर्ट न्यूज)। उत्तर प्रदेश के जनपद जौनपुर में जिलाधिकारी के फालोवर ने एसडीएम सदर, तहसीलदार सदर और थानाध्यक्ष बक्शा पर दबाव बनवाकर व साजिश कर गरीब व्यक्ति की आबादी की जमीन पर ही कब्जा कर लिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार 11 सितम्बर 2012 को डीएम जौनपुर का फालोवर राम आसरे उपाध्याय थानाध्यक्ष बक्शा को साथ लेकर हाजीपुर उर्फ फरीदाबाद गांव में मानिकचन्द विश्वकर्मा के यहां पहुंचा और गाली-गलौच करने लगा। थानाध्यक्ष ने हमराहियों को इशारा कर मानिकचन्द, कल्पनाथ व सुभाष को बिना वजह गिरफतार कर लिया और लाकर थाने में डाल दिया। अगले दिन 12 सितम्बर को तीनों को थाने से धारा 151 के तहत चालान भेजकर थानाध्यक्ष मयफोर्स हाजीपुर उर्फ फरीदाबाद गांव में पहुंचे जहां एसडीएम और तहसीलदार भी मौजूद थे। सभी की मौजूदगी में राम आसरे उपाध्याय के लोगों ने मानिकचन्द के घर के सामने पड़ी आबादी की जमीन पर दीवार उठवाना शुरू कर दिया, घर की महिलाओं ने विरोध किया तो पुलिस वालों ने उन्हें गाली देकर व मारपीट कर भगाया। शाम को जब मानिकचन्द, कल्पनाथ और सुभाष जमानत कराकर लौटे तो उन्हें प्रशासन की इस करनी की जानकारी हुई। जब यह लोग थाने पर शिकायत लेकर गये तो थानाध्यक्ष ने यह कहकर कि डीएम साहब का आदेश था हम कुछ नहीं कर सकते। यह लोग प्रार्थनापत्र लेकर डीएम जौनपुर के पास गये परन्तु उन्होंने इन सबकी एक न सुनी। इतना ही नहीं 30 सितम्बर की सुबह राम आसरे उपाध्याय व उसका भाई पंकज उपाध्याय कई और लोगों को लिवाकर मानिकचन्द के घर पर पहुंचा और कब्जा की गयी जमीन का दायरा बढ़ाने की नीयत से पानी पीने के लिये लगा हैण्डपम्प उखाड़कर फेंक दिया तथा रास्ता भी अवरूद्ध कर दिया। विरोध करने पर सभी ने मिलकर घर की महिलाओं को मारा-पीटा। मानिकचन्द चोटिल महिलाओं को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराने की गरज से पुलिस अधीक्षक जौनपुर के आवास पर गये जहां पुलिस अधीक्षक ने सादे कागज पर कुछ लिखकर दिया और कहा यह लेकर थाने पर चले जाओ एफआईआर लिख ली जायेगी। सभी लोग वापस थाने पर गये परन्तु थानाध्यक्ष की गैर मौजूदगी में मुंशी ने उक्त कागज लेकर रख लिया और कहा कि कुछ टूटा-फूटा तो नहीं है कौन सी एफआईआर लिखी जाये सभी को डांटकर थाने से भगा दिया।
जमीन कब्जा होने के बावत थानाध्यक्ष बक्शा का कहना है कि राजस्व के मामले में पुलिस को कुछ नहीं मालूम। जब एसडीएम और तहसीलदार खुद मौजूद थे तो पुलिस क्या करती फिर डीएम साहब का मौखिक आदेश भी था। परन्तु थानाध्यक्ष इस बात का जवाब नहीं दे सके कि क्या पुलिस का यही फर्ज है कि निर्दोष महिलाओं को गाली दे और अकारण ही मारे-पीटे। यह पूछने पर कि मानिकचन्द, कल्पनाथ और सुभाष को किस वजह से पकड़ कर थाने के लाकप में बन्द किया गया और धारा 151 में चालान भेजा गया इसका भी जवाब उनके पास नहीं था। राम आसरे उपाध्याय का कहना है कि यह आबादी की जमीन उनकी है जबकि न तो वहां राम आसरे उपाध्याय का मकान है और न ही खेत। बताया जाता है कि राम आसरे उपाध्याय के पिता स्व0 उमानाथ उपाध्याय किसी आठ बिस्वा जमीन पर कब्जे का एक आदेश कई वर्ष पूर्व प्राप्त किया था जिसके आधार पर पुलिस प्रशासन को मिलाकर डीएम का फालोवर होने का लाभ उठाते हुये राम आसरे उपाध्याय ने मानिकचन्द विश्वकर्मा की एक बिस्वा से भी कम उक्त आबादी की जमीन पर कब्जा कर लिया। यह जमीन कब्जा होने से मानिकचन्द का घर से निकलना भी दूभर हो गया है। अब मानिकचन्द अधिकारियों का चक्कर लगा रहा है लेकिन कहीं भी उसकी सुनवाई नहीं हो रही है। समाज के बल पर सत्ता सुख भोगने वाले नेता भी नदारद हो गये है।
No comments:
Post a Comment