सचिन धीमान
ज्योतिषियों की माने तो मां लक्ष्मी की पूजा पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके बैठें। लक्ष्मीजी की प्रतिमा या चित्र सामने रखें। साथ में विष्णु जी की प्रतिमा भी रखें।
लाल सफेद या पीले रंग केे पाट पर बिछाकर हल्दी से स्वस्तिक बना दें। इस पर चावल व पुष्प दल बिछाकर लक्ष्मीजी की स्थापना करें।
लक्ष्मीजी के आगे गणेशजी की प्रतिमा या सुपारी रखें। लक्ष्मीजी की दाहिनी ओर कुबेर व बायीं ओर सरस्वतीजी की स्थापना करें।
आंवलाए कमल गट्टाए सिंघाड़ेए सीताफलए अनारए सेबए ईख अर्पण करते हुए मिष्ठान्न व विभिन्न व्यंजन बनाकर नेवैद्य लगाएं।
घी की बत्ती से आरती करें। इसके बाद प्रार्थना करते हुए आतिशबाजी करें।
लाल सफेद या पीले रंग केे पाट पर बिछाकर हल्दी से स्वस्तिक बना दें। इस पर चावल व पुष्प दल बिछाकर लक्ष्मीजी की स्थापना करें।
लक्ष्मीजी के आगे गणेशजी की प्रतिमा या सुपारी रखें। लक्ष्मीजी की दाहिनी ओर कुबेर व बायीं ओर सरस्वतीजी की स्थापना करें।
आंवलाए कमल गट्टाए सिंघाड़ेए सीताफलए अनारए सेबए ईख अर्पण करते हुए मिष्ठान्न व विभिन्न व्यंजन बनाकर नेवैद्य लगाएं।
घी की बत्ती से आरती करें। इसके बाद प्रार्थना करते हुए आतिशबाजी करें।
कब करें पूजा
व्यापारी- दोपहर २.५६ से ४.१८ व शाम ७.१७ से ८.५२ के बीच पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर।
उद्योगपति- सायंकाल ७.१७ से ८.५२ व १०.३१ से १२.०८ तक पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर
घरों में सायंकाल ७.१७ से ८.५२ तक पूर्व दिशा की ओर मुंह कर पूजा करे।
विद्यार्थी- अभिजीत मुहूर्त में ११.४७ से १२.३५ तक उत्तर दिशा की ओर मुंह कर
उद्योगपति- सायंकाल ७.१७ से ८.५२ व १०.३१ से १२.०८ तक पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर
घरों में सायंकाल ७.१७ से ८.५२ तक पूर्व दिशा की ओर मुंह कर पूजा करे।
विद्यार्थी- अभिजीत मुहूर्त में ११.४७ से १२.३५ तक उत्तर दिशा की ओर मुंह कर
पूजा के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त
सुबह ९.२७ से १०.४९, रात १.४५ से ३.२२ तक
लाभ- सुबह १०.४९ से १२.१२, शाम ७.१७ से ८.५२ तक
अमृत- दोपहर १२.१२ से १.३४, रात १२.०८ से १.४५ तक
शुभ-दोपहर २.५६ से ४.१८, रात १०.३१ से १२.०८ तक
लाभ- सुबह १०.४९ से १२.१२, शाम ७.१७ से ८.५२ तक
अमृत- दोपहर १२.१२ से १.३४, रात १२.०८ से १.४५ तक
शुभ-दोपहर २.५६ से ४.१८, रात १०.३१ से १२.०८ तक
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