लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजनीति मायावती सरकार के भ्रष्टाचार के कारनामों के एक के बाद एक खुलासे से गरमाई हुई है। बसपा सरकार के दो मंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में है। पूर्ववर्ती बसपा सरकार के पशुधन विकास राज्यमंत्री अवधपाल सिंह उनके बेटे व रिश्तेदार पर एक दलित महिला ने दुराचार करने का आरोप लगाया है।
महिला आयोग में दिए शिकायत पत्र में आरोप है कि नौकरी दिलाने के बहाने अवध पाल सिंह और उनके बेटे रणजीत सिंह ने उसके साथ लंबे समय तक दुराचार किया और उनके भाई चंद्र प्रताप ने उसके साथ मारपीट की। इसके साथ श्रम निर्माण एवं सहकारी संघ लिमिटेड लैकफेड, घोटाले की जांच कर रही कोऑपरेटिव सेल की एसआइबी ने बसपा सरकार के सात मंत्रियों को नोटिस भेजकर तलब किया है। उपस्थित न होने पर अदालत की अनुमति से इन मंत्रियों की गिरफ्तारी भी हो सकती है।
गौरतलब है कि उप्र की अखिलेश सरकार छह महीने बाद भी मायावती सरकार के भ्रष्टाचार के कारनामों को उजागर करने में जुटी है। एनआरएचएम, लैकफेड, सिंचाई के घोटाले, स्मारकों व पार्को में पत्थर घोटाले पहले ही खुल चुके हैं। स्मारकों व पार्को में पत्थर घोटाले की जांच लोकायुक्त कर रहे हैं। लैकफेड की जांच में पर्त दर पर्त बसपा सरकार के मंत्रियों के कारनामे सामने आ रहे हैं। पूर्व श्रम मंत्री बादशाह सिंह को पांच करोड़ की घूस लेने के मामले में जेल भेजा जा चुका है, जबकि पूर्व परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा सीबीआई की जांच में पहले ही जेल जा चुके है।
एसआइबी के कार्यवाहक एसपी आदित्य प्रकाश गंगवार ने लैकफेड घोटाले में पूछताछ के लिए बसपा सरकार के लघु उद्योग मंत्री चंद्रदेव राम यादव, होम्योपैथिक चिकित्सा मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी, माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र, पशुधन दुग्ध विकास राज्य मंत्री अवधपाल सिंह यादव, व्यवसायिक शिक्षा मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अनीस अहमद उर्फ फूल बाबू और प्राविधिक शिक्षा राज्य मंत्री सदल प्रसाद को नोटिस दी है। इन सभी पर अपने विभाग के निर्माण कार्य के बजट को लैकफेड को देकर कमीशन लेने का आरोप है।
सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि लैकफेड घोटाले में परत दर परत बंदरबांट की नई-नई कहानियां सामने आ रही हैं। घोटाले के अभियुक्त अपने साथियों के साथ बसपा राज के कई मंत्रियों की करतूतें भी बयान कर रहे हैं। बसपा नेता इससे बहुत हैरान परेशान हैं, क्योंकि उन्हें कानून की गिरफ्त में आने का डर सता रहा है।
उन्होंने कहा कि बसपा के कुछ नेता इतने आतंकित हैं कि वे अपनी ही बातें काट रहे हैं। एक बड़े बसपा नेता एक तरफ तो अपने जमाने के एक मंत्री की गिरफ्तारी को गलत बताते हुए उनका बचाव करते हैं और दूसरी तरफ उनके पंचम तल पर उंगली उठाने को दुराग्रह पूर्ण बयानबाजी बताते हैं।
चौधरी ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री तो घर को ही दफ्तर समझती थीं और जो कुछ भी होता था सब पंचम तल से ही होता था। उस समय तो चुनाव हो या स्थानांतरण, ठेकों की नीलामी हो या सरकारी मिलों की बिक्री इस सबका फैसला मुख्यमंत्री कार्यालय से ही होता था। तब विपक्ष में रहते हुए सपा ने राज्यपाल को कई ज्ञापन देकर बताया था कि सचिवालय एनेक्सी के पंचम तल से ही भ्रष्टाचार का परनाला बह रहा है।
sabhar विजय उपाध्याय/भास्कर न्यूज
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