सर्व शिक्षा अभियान का नारा खोखला साबित, नगर में सैंकड़ों बालक मांग रहे हैं भीख, पेट भरने के लिए कूड़ा भी बीन रहे हैं बच्चे
मुजफ्फरनगर (अलर्ट न्यूज)। जो हाथ देश की नई पीढ़ी का निर्माण करते आज वे ही हाथ नगर में दर्जनों स्थानों पर कूड़ा ढो रहे हैं। पांच से लेकर पन्द्रह वर्ष तक के बच्चे स्कूलों में पढ़ते तो क्या कूड़े के ढेरों में पन्नियां आदि चुग कर अपना व अपने परिवारो का पेट पाल रहे हैं। नगर में सैंकड़ों बच्चे हाथा में कटोरा लिये भीख मांग रहे हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत ‘सब पढ़े सब बढ़ें’ आदि योजनाओं पर अरबों रूपय खर्च किया जा रहा है लेकिन कितने बच्चे इन योजनाओं का लाभ उठा पा रहे हैं यह विचारणीय है। सरकार व जिला प्रशासन के लाखों दावों के बावजूद भी सरकारी स्कूलों तक गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने के लिए नहीं जा पाते हैं। बड़ी शर्मनाक स्थिति है कि जिन हाथों में स्कूलों की पुस्तकंे होनी चाहिए थी उन्हीं हाथों में हैं भीख के कटोरे। देश का आने वाला भविष्य सड़कों पर भीख मांगते देखा जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार द्वारा सर्व शिक्षा अभियान चलाकर ‘सब पढ़े सब बढ़ें’ का नारा देकर शिक्षा विभाग पर अरबों रूपये खर्च किये जा रहे है लेकिन इसके बावजूद भी जनपद में हजारों छोटे बच्चेे सड़कों पर भीख मांगते देखे जा सकते हैं। इनमें से अधिकांश बच्चे अपने ही परिजनों के शिकार होकर मजबूरीवश अपना बचपन खेलकूद व पढ़ाई के बजाए सड़कों पर हाथों में परिजनों के दिये गये कटोरो में भीख मांग रहे हैं। इनमंे कुछ बच्चे तो ऐसे है जो अपने माता पिता के मरने के बाद उनके सगे सम्बंधियों का शिकार हो रहे है और उसने रिश्तेदारों द्वारा ऐसे बच्चों के हाथों में कटोरा देकर उन्हें सड़कों, रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड भेजकर भीख मंगवा रहे है। हमारे देश का दुर्भाग्य है कि सरकार द्वारा सर्वशिक्षा अभियान चलाया जा रहा है लेकिन इसके बाद भी जनपद के हजारों बच्चों के हाथों में पुस्तकें न होकर भीख मांगने के लिए कटोरा है। जिला प्रशासन इस स्थिति से अंजान बना हुआ है तथा ऐसे बच्चों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है ओर न ही ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उन्हें सर्व शिक्षा अभियान में जोड़कर उनके हाथों में पुस्तकें थमा रहा है जिस कारण रेलवे स्टेशन, रोडवेज बस स्टैंड, प्राइवेट बस स्टैंडो, कचहरी आदि में ऐसे बच्चों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
स्थानीय कचहरी में एक बच्चा अपने एक हाथ में कुछ बिस्कुट और दूसरे हाथ में प्लास्टिक का का कटोरा लिए हुए था। जब उस बच्चे से भीख मांगने का कारण पूछा तो उसने अपना नाम मोनी उर्फ योगेश बताया तथा कहा कि उसके माता पिता की बुखार आ जाने के कारण मृत्यु हो गयी थी और अब वह अपने चाचा रवि के पास रूडकी चुंगी स्थित बिजलीघर के पास रह रहा है। उसने बताया कि हम चार भाई है और हम चारों अपने चाचा रवि के साथ रहते हैं। मोनी उर्फ योगेश भीख मांगने का काम करता हूं जबकि उसकेे अन्य तीन भाई कूड़ा बीनने का काम करते है। उसके अनुसार वह मुम्बई के रहने वाले हैं कुछ कुछ वर्ष पहले उसके माता पिता मुजफ्फरनगर में आकर बस गये थे। उसने माता पिता यहां पर तस्वीर बेचने का काम करते थे लेकिन बुखार आ जाने के कारण उसके माता पिता की मृत्यु हो गयी थी जिसके बाद वह अपने चाचा के साथ रह रहे है। मोनी की तरह अन्य सैंकडों बच्चे ऐसे हैं जिनके सिर से उनके माता पिता का साया उठ गया है और वे पेट की भूख मिटाने के लिए दर दर भटक कर भीख मांगने को विवश हैं।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार द्वारा सर्व शिक्षा अभियान चलाकर ‘सब पढ़े सब बढ़ें’ का नारा देकर शिक्षा विभाग पर अरबों रूपये खर्च किये जा रहे है लेकिन इसके बावजूद भी जनपद में हजारों छोटे बच्चेे सड़कों पर भीख मांगते देखे जा सकते हैं। इनमें से अधिकांश बच्चे अपने ही परिजनों के शिकार होकर मजबूरीवश अपना बचपन खेलकूद व पढ़ाई के बजाए सड़कों पर हाथों में परिजनों के दिये गये कटोरो में भीख मांग रहे हैं। इनमंे कुछ बच्चे तो ऐसे है जो अपने माता पिता के मरने के बाद उनके सगे सम्बंधियों का शिकार हो रहे है और उसने रिश्तेदारों द्वारा ऐसे बच्चों के हाथों में कटोरा देकर उन्हें सड़कों, रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड भेजकर भीख मंगवा रहे है। हमारे देश का दुर्भाग्य है कि सरकार द्वारा सर्वशिक्षा अभियान चलाया जा रहा है लेकिन इसके बाद भी जनपद के हजारों बच्चों के हाथों में पुस्तकें न होकर भीख मांगने के लिए कटोरा है। जिला प्रशासन इस स्थिति से अंजान बना हुआ है तथा ऐसे बच्चों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है ओर न ही ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उन्हें सर्व शिक्षा अभियान में जोड़कर उनके हाथों में पुस्तकें थमा रहा है जिस कारण रेलवे स्टेशन, रोडवेज बस स्टैंड, प्राइवेट बस स्टैंडो, कचहरी आदि में ऐसे बच्चों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
स्थानीय कचहरी में एक बच्चा अपने एक हाथ में कुछ बिस्कुट और दूसरे हाथ में प्लास्टिक का का कटोरा लिए हुए था। जब उस बच्चे से भीख मांगने का कारण पूछा तो उसने अपना नाम मोनी उर्फ योगेश बताया तथा कहा कि उसके माता पिता की बुखार आ जाने के कारण मृत्यु हो गयी थी और अब वह अपने चाचा रवि के पास रूडकी चुंगी स्थित बिजलीघर के पास रह रहा है। उसने बताया कि हम चार भाई है और हम चारों अपने चाचा रवि के साथ रहते हैं। मोनी उर्फ योगेश भीख मांगने का काम करता हूं जबकि उसकेे अन्य तीन भाई कूड़ा बीनने का काम करते है। उसके अनुसार वह मुम्बई के रहने वाले हैं कुछ कुछ वर्ष पहले उसके माता पिता मुजफ्फरनगर में आकर बस गये थे। उसने माता पिता यहां पर तस्वीर बेचने का काम करते थे लेकिन बुखार आ जाने के कारण उसके माता पिता की मृत्यु हो गयी थी जिसके बाद वह अपने चाचा के साथ रह रहे है। मोनी की तरह अन्य सैंकडों बच्चे ऐसे हैं जिनके सिर से उनके माता पिता का साया उठ गया है और वे पेट की भूख मिटाने के लिए दर दर भटक कर भीख मांगने को विवश हैं।
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