नई दिल्ली (एसएनएन) : दिल्ली गैंगरेप में रेपिस्टों के फांसी की मांग भले ही जोर पकड़ रही हो, लेकिन हाल ही के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रेप और हत्या के दोषी की फांसी को उम्रकैद में तब्दील किया.
SC ने नशे और दिमागी रूप से संतुलित नहीं होने की वजह से दोषी की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील किया. दिल्ली रेप केस से महज 3 दिन पहले जस्टिस स्वतंत्र कुमार (अब रिटायर्ड) और जस्टिस मदन बी. लोकुर की बेंच ने कहा कि अपराध को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस में रखने से पहले अपराध को अंजाम देने के तरीके और आरोपी की मानसिक स्थिति का अध्ययन किया जाना चाहिए.
बेंच ने कहा था कि मृत्युदंड देने के लिए CRPC की धारा 354 (3) के तहत विशेष वजहों में केवल अपराध और उसके अनेक पहलू ही नहीं, बल्कि अपराधी और उसकी पृष्ठभूमि भी आधार होते हैं.
क्या था मामला
क्या था मामला
साईनाथ कैलाश नाम के एक व्यक्ति ने 10 सितंबर, 2007 को पूणे में एक महिला के घर में घुसकर उसकी जान ले ली थी. साथ ही आरोपी ने महिला की बाईं कलाई और सीधे हाथ की चार उंगुलियां बड़ी बेरहमी से काट दी थीं.
इस जघन्य अपराध को अंजाम देने के बाद उसने मृतक महिला की एक गर्भवती रिश्तेदार पर हमला कर उसके साथ रेप किया. तब आरोपी की उम्र 23 साल की थी.
कोर्ट ने घायल महिला के बयान समेत सभी साक्ष्यों को देखने के बाद दोषी को राहत दी. घायल महिला ने बताया था कि आरोपी नशे में था.
पीड़ित परिवार है निराश
कोर्ट के हालिया फैसले पर कठोर प्रतिक्रिया देते हुए पीड़ित के परिवार ने रविवार को कहा कि अपराध को अंजाम देने वाले को जीने का अधिकार नहीं है. परिवार की ओर से वकील डी. वाई. जाधव ने कहा कि ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला है.
मेरी मुवक्किल इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले को मौत की सजा चाहती थीं. वो कोर्ट के फैसले से निराश हैं. जाधव ने पुणे सेशन्स कोर्ट में सरकारी अभियोजक के तौर पर मुकदमे में पक्ष रखा था जिसने आरोपी को मौत की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट ने भी मौत की सजा को बरकरार रखा था
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