इलाहाबाद: गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर मकर संक्रांति के साथ ही सोमवार को इस शताब्दी के दूसरे महाकुंभ का आगाज हो गया. महाकुंभ के पहले शाही स्नान पर जहां एक तरफ अखाड़े पूरी शानो शौकत से शाही स्नान के लिए निकले, तो वहीं करीब 1 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु भी मेले में पहुंचे. महाकुंभ हमेशा से ही देश विदेश में रह रहे हिन्दुओं को लुभाता रहा है.
महाकुंभ का इतिहास
कुंभ का इतिहास हजारों साल पुराना है, लेकिन ये कब शुरू हुआ इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है. ईसा पूर्व 629 से 645 तक भारत में रहे चीनी यात्री ह्वेन सांग ने अपने यात्रा वर्णन में प्रयाग में हर पांच साल बाद लोगों के जुटने और गंगा में स्नान करने का जिक्र किया है. इतिहासकारों का मानना है कि कुंभ की शुरुआत राजा हर्षवर्धन के कार्यकाल में हुई, जबकि कुछ लोग मानते हैं कि इसे आदि शंकराचार्य ने शुरू कराया.
महाकुंभ की मान्यताएं
मान्यता के मुताबिक समुद्र मंथन में अमृत कलश मिला था, जिसे पाने के लिये देवताओं और राक्षसों में बारह साल तक भीषण संग्राम हुआ. संग्राम में ही अमृत कलश की कुछ बूंदें प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरीं. इसी के बाद इन जगहों पर हर पांच या छह साल बाद कुंभ की शुरुआत हुई. मान्यताओं के मुताबिक प्रयाग, इलाहाबाद में कलश से ज्यादा बूंदें गिरी थीं, इसलिये हर बारह साल बाद यहां महाकुंभ लगने लगा. कुंभ छोटे भारत का स्वरूप प्रदान करता है. मुस्लिमों के लिए जिस तरह मक्का और इसाईयों के लिए यरूशलम की महत्ता है उसी तरह हिन्दुओं के लिए कुंभ महत्वपूर्ण है. इसे पाप पर पुण्य की विजय के रूप में भी देखा जाता है. पुराणों के मुताबिक इसकी शुरुआत विश्व कल्याण के लिए की गई.
महाकुंभ की सुरक्षा व्यवस्था
हर बार की तरह इस बार भी महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए पीपा पुल, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानें और केन्द्रीय अस्पताल पूरी तरह तैयार है. आने वाले श्रद्धालुओं के बीमार हो जाने पर इलाज के पर्याप्त इन्तजाम किए गए हैं. लोगों को सही दिशा और उनके शिविर तक ले जाने के लिए ट्रैफिक पुलिस के तीन हजार जवानों को लगाया गया है.
महाकुंभ में साठ लाख विदेशियों के आने की भी संभावना है. विदेशी मेहमानों के लिए विदेशी प्रवासी रजिस्ट्रेशन कार्यालय खोला गया है. आने वालों में कुछ प्रवासी भारतीय भी होंगे. विदेशी पर्यटकों के लिए ये ऑफिस चौबीस घंटे खुला रहेगा. मेला पुलिस के पास इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी रहेगी. मेला क्षेत्र के 14 सेक्टरों में स्त्रान के लिए बीस घाट बनाए गए हैं. अखाड़ों के स्नान के लिए अलग से व्यवस्था की गई है. उनके लिए अलग से आने और जाने के मार्ग हैं. कल्पवासियों के लिए दस लाख टेंट लगाए गए हैं.
इतना ही नहीं मेले की सुरक्षा के लिए बम निरोधक दस्ते, आतंकवाद निरोधक दस्ते और उत्तर प्रदेश पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स को लगाया गया है. लापता लोगों की तलाश के लिए अलग से व्यवस्था की गई है. सुरक्षा इंतजाम को पूरी तरह अचूक बनाने के लिए केंद्र सरकार ने भी पूरा सहयोग दिया है. मेला क्षेत्र में 80 क्लोज सर्किट कैमरे लगाए गए हैं.
पहली बार खुलेगा अकबर का किला
इस बीच सेना ने पहली बार गंगा तट पर बने अकबर के किले को आम लोगों के लिए खोल दिया है. अब तक यहां आम लोगों के जाने पर मनाही थी. कुंभ में ये पहली बार हुआ है कि अकबर का किला आम लोगों को देखने के लिए खुला है. श्रद्धालु किले में बने अक्षयवट को भी देख सकेंगे. इसके अलावा पाताल लोक तक भी उन्हें जाने की इजाजत होगी. पाताल लोक तक जाने के लिए अलग से रोशनी की व्यवस्था की गई है.
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