अहमदाबाद : चुनाव नतीजे आने के बाद अब चुनावी विश्लेषक फायदे और नुकसान का आंकड़ा निकालने में लग गए हैं. विश्लेषकों के मुताबिक, अगर इस चुनाव में सबसे ज्यादा किसी को नुकसान हुआ है तो वो हैं गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल. चुनाव के बाद केशुभाई का राजनीतिक भविष्य खत्म माना जा रहा है. उन्होंने जिस उम्मीद के साथ जीपीपी पार्टी बनाई उसके परिणाम ठीक उसके उल्टे आए. विश्लेषकों का मानना है कि परिणाम के बाद अब उनका असर पूरी तरह से गुजरात से खत्म हो गया है.
- गुजरात चुनाव में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हैट्रिक से दिल्ली की राजनीति में नए समीकरण बनने लगे हैं. काफी समय से उन्हें विकास के रोल मॉडल के रूप में प्रमोट किया जाता रहा. अब जीत के बाद एक बार फिर से उनके पीएम पद के उम्मीदवार की मांग जोर पकड़ने की पूरी आशा है. माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ा सकती है.
- इस जीत के साथ नरेन्द्र मोदी को चुनाव में कुछ झटके भी लगे हैं. उनके चार मंत्री चुनाव हार गए. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, मोदी ने चुनाव में 75 फीसदी पुराने विधायकों को टिकट दिया था, जो हिम्मत का काम था.
· नरेंद्र मोदी की इस जीत को राजनीतिक विश्लेषक बहुत महत्वपूर्ण मान रहे हैं, क्योंकि एक तरफ तो कांग्रेस के सारे नेता उनके खिलाफ उतर गए थे, तो वहीं बीजेपी से अलग हुए केशुभाई पटेल भी उनके लिए चुनौती बने हुए थे. हर बार की तरह इस बार उनके साथ संघ परिवार भी नहीं था. विश्लेषकों के मुताबिक, मोदी की ये जीत सही मायने में मोदी की खुद की जीत है.
- चुनाव नतीजों से ये साफ हुआ है कि बीजेपी का वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है. लेकिन जितनी सीटें जीतने का मोदी दावा कर रहे थे, उतनी वो नहीं जीत सके. तो वहीं इस चुनाव में कांग्रेस फायदे में रही. उसकी सीटें भी बढ़ी हैं और वोटिंग प्रतिशत भी.
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